बहुविवाह और निकाह हलाला पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब, 4 पिटीशंस पर हो रही है सुनवाई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बहुविवाह और निकाह हलाला को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग को लेकर फाइल की गई पिटीशंस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच इन पिटीशंस पर सुनवाई करने को राजी हो गई है। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार और लॉ कमीशन को भी नोटिस जारी कर उनका रूख मांगा है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले को 5 जजों की कॉन्स्टीट्यूशनल बेंच को ट्रांसफर कर दिया है। बता दें कि बहुविवाह और निकाह हलाला को असंवैधानिक घोषित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 4 पिटीशंस फाइल की गई हैं।
किन लोगों ने फाइल की है पिटीशन?
मुसलमानों की प्रथा निकाह हलाला और बहुविवाह को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता समेत 4 लोगों ने पिटीशंस फाइल की है। इस मामले में सबसे पहले बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने पिटीशन फाइल की थी, जिसके बाद दिल्ली की शमीना बेगम और नफीसा खान ने भी इसे लेकर पिटीशन फाइल की। इस मामले में हैदाराबाद के रहने वाले मौलिम मोहिसिन बिन हुसैन ने भी पिटीशन फाइल की है।
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पिटीशंस में क्या की गई है मांग?
सुप्रीम कोर्ट में फाइल की गई इन पिटीशंस पर निकाह हलाला और बहुविवाह को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। इन सभी ने अपनी पिटीशन में कहा है "निकाह हलाला और बहुविवाह संविधान के आर्टिकल-14 (समानता का अधिकार), आर्टिकल-15 (लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं) और सेक्शन-21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन करता है।" पिटीशनर्स का कहना है कि "मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट के सेक्शन-2 को असंवैधानिक घोषित किया जाए, क्योंकि ये निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता देता है, जो संविधान का उल्लंघन है।"
निकाह हलाला और बहुविवाह को रद्द करने के पीछे तर्क :
- बीजेपी नेता और एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने अपनी पिटीशन में कहा है कि "सुप्रीम कोर्ट ने जब एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था, तब मुस्लिम पर्सनल लॉ के सेक्शन-2 को असंवैधानिक ठहराया था। क्योंकि सेक्शन-2 ट्रिपल तलाक को मान्यता देता था। इसी तरह से सेक्शन-2 निकाह हलाला और बहुविवाह को भी मान्यता देता है, जिसे असंवैधानिक घोषित किया जाए।"
- शमीना बेगम ने अपनी पिटीशन में कहा है कि "मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एक्ट के सेक्शन-2 को संविधान के आर्टिकल-14 (समानता का अधिकार), आर्टिकल-15 (लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं) और सेक्शन-21 (जीवन के अधिकार) और सेक्शन-25 का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए। क्योंकि शरीयत एक्ट का सेक्शन-2 निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता देता है।"
वो महिलाएं, जिन्होंने लड़ी "तीन तलाक" की लंबी लड़ाई
- चारों पिटीशंस में कहा गया है कि "कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वो ट्रिपल तलाक को IPC के सेक्शन-498A के दायरे में लाए। साथ ही निकाह हलाला को सेक्शन-375 (रेप) और बहुविवाह को सेक्शन-494 (शादी में रहते हुए दूसरी शादी करना) के दायरे में लाया जाए।"
- पिटीशंस में कुरान का जिक्र करते हुए कहा गया है कि "कुरान में बहुविववाह की इजाजत इसलिए दी गई है, ताकि उन महिलाओं और बच्चों की स्थिति को सुधारा जा सके, जो उस समय लगातार होने वाले युद्ध के बाद बच गए थे और उनका कोई सहारा नहीं था। पर इसका मतलब ये नहीं है कि इसकी वजह से आज के मुसलमानों को एक से ज्यादा महिलाओं से निकाह करने का लाइसेंस मिल गया है।"
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क्या होता है निकाह हलाला?
जानकारी के मुताबिक, अगर कोई पति अपनी पत्नी को तलाक दे देता और बाद में वो फिर से अपनी पत्नी के साथ रिश्ते बहाल करना चाहता है। तो इसके लिए पत्नी को निकाह हलाला से गुजरना होता है। निकाह हलाला के तहत, तलाकशुदा महिला को किसी दूसरे आदमी से निकाह करना होगा और उसके साथ संबंध बनाने होंगे। फिर उसे तलाक देकर वो अपने पहले पति से निकाह कर सकती है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि निकाह हलाला इसलिए बनाया गया है ताकि कोई मजाक में ही अपनी पत्नी को तलाक न दे दे।
क्या होता है बहुविवाह?
इसके साथ ही इस्लाम में बहुविवाह का चलन है। इसके तहत एक आदमी को 4 शादियां करने की इजाजत है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि अगर कोई महिला विधवा या बेसहारा है तो उसे सहारा दिया जाए। समाज में ऐसी औरतों को बुरी नजर से न देखा जाए, इसलिए आदमियों को शादी करने की इजाजत दी गई है।
Created On :   26 March 2018 1:45 PM IST