शाह-ठाकरे की मुलाकात में नहीं बनी बात, सभी चुनाव अकेले लड़ेगी शिवसेना
- गुरुवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि शिवसेना चुनाव अकेले ही लड़ेगी।
- पार्टी पहले ही आगामी चुनावों में अकेले लड़ने का रिजॉल्यूशन पास कर चुकी है। अब इसमें कोई भी परिवर्तन नहीं किया जाएगा।'
- शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मुलाकात अपना रंग नहीं दिखा पाई।
डिजिटल डेस्क, मुंबई। ‘समर्थन के लिए संपर्क अभियान’ के तहत शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मुलाकात अपना रंग नहीं दिखा पाई। इस मुलाकात के बाद भी शिवसेना आने वाले चुनाव में अकेले लड़ने की बात कह रही है। गुरुवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि बीजेपी अध्यक्ष और शिवसेना प्रमुख के बीच बातचीत अपनी जगह है लेकिन शिवसेना चुनाव अकेले ही लड़ेगी। उन्होंने कहा है, "हम अमित शाह जी का एजेंडा जानते हैं लेकिन पार्टी पहले ही आगामी चुनावों में अकेले लड़ने का रिजॉल्यूशन पास कर चुकी है। अब इसमें कोई भी परिवर्तन नहीं किया जाएगा।"
We know what the agenda of Amit Shah ji is but Shiv Sena has passed a resolution that we"ll contest all upcoming elections on our own. There will be no change in that resolution: Sanjay Raut, Shiv Sena on meeting between BJP President Amit Shah Shiv Sena Chief Uddhav Thackeray pic.twitter.com/4wXEk5nDfA
— ANI (@ANI) June 7, 2018
गौरतलब है कि अमित शाह बुधवार रात करीब पौने आठ बजे उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री पहुंचे थे। बंद कमरे में करीब दो घंटे चली इस मुलाकात में कैबिनेट विस्तार और आगामी लोकसभा चुनाव में साथ लड़ने और सीटों के बंटवारे पर चर्चा हुई थी। बैठक के बाद यह कहा जा रहा था कि अमित शाह ने नाराज उद्धव ठाकरे को मना लिया है। बीजेपी नेताओं की ओर से भी इस बैठक को सफल बताया जा रहा था लेकिन संजय राउत के ताजा बयान ने बीजेपी के लिए फिर मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
शिवसेना का साथ बीजेपी के लिए क्यों है जरूरी
देश में विपक्ष एकजुट हो रहा है। विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय दल मिलकर बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मात देने की तैयारी कर रहे हैं। एक-दूसरे के विरोधी दल भी एक होकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में मजबूत विपक्ष का सामना करने के लिए बीजेपी को भी क्षेत्रीय दलों के सहयोग की जरूरत होगी। महाराष्ट्र में शिवसेना के सहयोग के बिना बीजेपी के लिए पिछले चुनाव जितनी सीटें जीत पाना बेहद मुश्किल होगा। इसी को देखते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, उद्धव ठाकरे को मनाने पहुंचे थे।
बीजेपी के शिवसेना के प्रति नरम रूख का कारण
साल 2014 के बाद से हो रहे उपचुनावों में लगातार बीजेपी को हार मिल रही है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक विपक्षी पार्टियां एकजुट हो रही हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा ने एकजुट होकर बीजेपी को लगातार तीन लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में हराया है। दक्षिण भारत में TDP, बीजेपी से नाता तोड़ चुकी है और हाल ही में जदयू ने भी आगामी लोकसभा में सीट बंटवारे को लेकर कड़े तेवर दिखाए हैं। बीजेपी के पास अब कम ही सहयोगी दल बचे हुए हैं। इसलिए हालिया उपचुनाव के नतीजों के बाद कई बीजेपी नेता यह कहते हुए सुने जा चुके हैं कि पार्टी अगले सारे चुनाव शिवसेना के साथ मिलकर ही लड़ेगी।
शिवसेना नहीं मानी तो क्या
महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटें हैं। पिछले आम चुनाव ने बीजेपी-शिवसेना ने मिलकर यहां चुनाव लड़ा था। यहां बीजेपी ने 23 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं शिवसेना ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी। पिछले चुनाव में NCP-कांग्रेस गठबंधन को यहां महज 6 सीटें हासिल हुई थी। बीजेपी और शिवसेना के बीच अगर बात नहीं बनी, तो बीजेपी अपने एक खास और सबसे पुरान सहयोगी खो देगी। शिवसेना और बीजेपी के अलग-अलग लड़ने से दोनों पार्टियों के वोट कटेंगे। ऐसे में कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन को इसका बड़ा फायदा मिलेगा।
Created On :   7 Jun 2018 11:44 AM IST