नॉर्थ ईस्ट में अवैध आबादी की घुसपैठ के पीछे पाक और चीन - आर्मी चीफ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने इंडिया के नॉर्थ ईस्ट में बाहर से आ रही अवैध आबादी के पीछे पाकिस्तान का हाथ बताया है। बिपिन रावत ने कहा कि अवैध आबादी आने के पीछे प्रॉक्सी ऐंगल है, जिसकी योजना पश्चिमी पड़ोसी (पाकिस्तान) ने बनाई है और उसे उत्तरी पड़ोसी (चीन) का समर्थन हासिल है। वे हमेशा सुनिश्चित करना चाहेंगे कि इलाके में प्रॉक्सी युद्ध लड़ा जाए। बुधवार को राजधानी दिल्ली में हुए एक सेमिनार में आर्मी चीफ ने ये बात कही। बता दें कि ये सेमिनार उत्तर पूर्व में सीमा सुरक्षा को लेकर आयोजित किया गया था
PAK पर सेना प्रमुख का हमला
पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए आर्मी चीफ ने कहा कि वहां पश्चिमी पड़ोसी यह गेम अच्छी तरह खेल रहा है। इस इलाके को डिस्टर्ब रखने के लिए अवैध आबादी भेजी जाती रहेगी। इस समस्या के पीछे वोट बैंक की राजनीति की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि वहां एयूडीफ नाम के राजनीतिक संगठन को देखना होगा। उसका बीजेपी के मुकाबले तेजी से विकास हुआ है। जनसंघ से लेकर बीजेपी का आज तक का सफर जितना लंबा रहा है, उसके मुकाबले एयूडीएफ का तेजी से विस्तार हुआ है। गौरतलब है कि असम में एयूडीएफ मुस्लिमों के मुद्दे उठाती रही है, जिन्हें बड़ी संख्या में बांग्लादेश से आया समझा जाता है।
समस्या पैदा करने वालों की करनी होगी पहचान
उत्तर पूर्व में बांग्लादेश से लोगों के आने की बात पर आर्मी चीफ ने कहा कि मानव विकास के इंडेक्स में बांग्लादेश भले ही हमसे आगे हो, लेकिन वहां से आबादी आती रहेगी, क्योंकि वहां बाढ़ के कारण जमीन की कमी होती है। उन्होंने कहा, "मैं नहीं समझता हूं कि उत्तर पूर्व में आबादी का स्वरूप बदला जा सकता है। हमें सभी लोगों के साथ मिलकर रहना सीखना होगा, चाहे वे किसी जाति, धर्म, लिंग आदि से हों। अगर हम लोगों को अलग करने लगे तो समस्या बढ़ेगी। जो लोग समस्या पैदा कर रहे हैं उनकी पहचान करनी होगी, लेकिन यह समझना होगा कि वहां मुस्लिम बाद में नहीं, शुरुआत में आने वालों में थे।"
उत्तर पूर्व के लोगों को पहचान की समस्या
आर्मी चीफ ने कहा, "हमें वहां विकास की जरूरतों को पूरा करने के साथ लोगों को जोड़ना होगा। सरकार विकास का ध्यान रख रही है, लेकिन मैं आज सद्भावना यात्रा पर मणिपुर से आए बच्चों से मिला। वे कल दिल्ली के आसपास घूमने गए थे, जहां उन्हें विदेशी समझा गया। उत्तर पूर्व के लोगों की पहचान की समस्या है, जबकि वे हमारे देश का हिस्सा हैं।" उन्हें कैसे जोड़ा जा सकता है, इस पर एक पुराना वाकया याद करते हुए आर्मी चीफ ने बताया,"उत्तर पूर्व में मैं एक बार अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय आबादी से मिलने गया था तो एक शख्स से मैंने सांकेतिक भाषा में बातचीत की। 3-4 मिनट के बाद वह शख्स बोला- क्या आप हिंदी जानते हो। इसके बाद हिंदी में बातचीत हुई।"
Created On :   21 Feb 2018 11:53 PM IST