जस्टिस कुरियन की CJI को चिट्ठी, 'SC का अस्तित्व खतरे में, इतिहास माफ नहीं करेगा'

Justice Kurian Joseph writes to CJI Dipak Misra says Govt sits on proposals
जस्टिस कुरियन की CJI को चिट्ठी, 'SC का अस्तित्व खतरे में, इतिहास माफ नहीं करेगा'
जस्टिस कुरियन की CJI को चिट्ठी, 'SC का अस्तित्व खतरे में, इतिहास माफ नहीं करेगा'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जजों में से एक जस्टिस कुरियन जोसेफ ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा को लेटर लिखा है। इस लेटर में जस्टिस कुरियन जोसेफ ने इस लेटर में लिखा है कि "सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व खतरे में हैं, अगर हमने कुछ नहीं बोला तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।" उन्होंने कहा कि "सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों पर कोई कदम नहीं उठा रही है। अब इस मसले पर 7 जजों की बेंच बनाई जाए और सुनवाई की जाए।" बता दें कि जस्टिस कुरियन उन 4 जजों में शामिल थे, जिन्होंने जनवरी में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।

जस्टिस कुरियन ने अपने लेटर में क्या लिखा?

- एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जजों में से एक जस्टिस कुरियन जोसेफ ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को एक लेटर लिखा है। इस लेटर में उन्होंने कहा है कि "कॉलेजियम ने एक जज और एक सीनियर एडवोकेट को सुप्रीम कोर्ट में अपॉइंट करने की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार इस पर कुछ कार्रवाई करने के बजाय फाइल दबाकर बैठी है। अब समय आ गया है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सरकार से सवाल पूछे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की सांख भी दांव पर है।"

- इसमें उन्होंने आगे लिखा कि "ये इतिहास में पहली बार है, जब सिफारिश के तीन महीने बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया है।" उन्होंने इस मामले में CJI से तुरंत हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि इस पर सुनवाई के लिए 7 जजों की बेंच बनाई जाए।

- उन्होंने लिखा कि "अगर कॉलेजियम अपनी सिफारिशें सरकार को भेजती है, तो सरकार का ये कर्तव्य है कि वो उस पर जल्द से जल्द से कार्रवाई करे। मगर सरकार अपने इस कर्तव्य को निभाने में नाकाम रही और कॉलेजियम की सिफारिशों पर चुपचाप बैठी रही। ऐसे में ये एक तरह से अपने पॉवर का मिसयूज है।"

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CJI ने माना, तो क्या होगा?

अगर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने जस्टिस कुरियन जोसेफ की मांग ली और 7 सीनियर जजों की बेंच का गठन कर दिया, तो इस मामले पर बेंच सुनवाई करेगी। ये 7 जजों की बेंच सरकार को कॉलेजियम की पैंडिंग पड़ी सिफारिशों पर तत्काल फैसला लेने का आदेश दे सकती है। इसके बाद सरकार को ऐसा करना पड़ेगा और अगर सरकार ऐसा नहीं करती तो सरकार को "कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट" का सामना करना पड़ेगा।

किसकी बात कर रहे थे जस्टिस कुरियन?

दरअसल, इसी साल जनवरी में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और 4 सीनियर जजों के कॉलेजियम ने सीनियर एडवोकेट इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ के नाम की सिफारिश की थी। इन दोनों के नामों को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा गया था, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक इनकी मंजूरी नहीं दी गई है। अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इंदु मल्होत्रा के नाम पर तो राजी है, लेकिन जस्टिस केएम जोसेफ के नाम पर सरकार सहमत नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि माना जा रहा है कि साल 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ ने रोक लगा दी थी।

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कौन हैं इंदु मल्होत्रा?

 

इंदु मल्होत्रा को 2007 में सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया गया था। इंदु मल्होत्रा कभी भी हाईकोर्ट की जज नहीं रहीं हैं। अगर केंद्र सरकार उनके नाम की सिफारिश को मंजूरी दे देती है, तो वो सुप्रीम कोर्ट की 7वीं महिला जज होंगी। इसके साथ ही आजादी के बाद से ये पहली बार होगा, जब कोई महिला एडवोकेट सीधे जज बनेंगी।

 

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कौन हैं केएम जोसेफ?

केएम जोसेफ अभी उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। केएम जोसेफ 2004 में केरल हाईकोर्ट के जज बने थे और बाद में उनका ट्रांसफर उत्तराखंड हाईकोर्ट में कर दिया गया था। 2014 में केएम जोसेफ उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज बनाए गए थे।

कैसे होती है जजों की नियुक्ति? 

सुप्रीम कोर्ट के जज और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के नामों की सिफारिश कॉलेजियम करता है। इस कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के ही 4 सीनियर जज रहते हैं। कॉलेजियम एक्सपीरियंस और सीनियॉरिटी के आधार पर ही जजों के नाम तय करता है और इन नामों को मंजूरी के लिए कानून मंत्रालय के पास भेजा जाता है। फिलहाल, कॉलेजियम में सीजेआई दीपक मिश्रा के साथ-साथ जस्टिस जे चेलमेश्र्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं। बता दें कि कॉलेजियम के पास ये राइट रहता है कि वो सीनियर एडवोकेट को सीधे जज भी बना सकता है। 

Created On :   12 April 2018 10:29 AM IST

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