वकील ने उठाए SC पर सवाल, जज बोले- आप नहीं बताएंगे हमें क्या करना है?

Judge Loya Case SC takes umbrage over accusation by senior lawyer
वकील ने उठाए SC पर सवाल, जज बोले- आप नहीं बताएंगे हमें क्या करना है?
वकील ने उठाए SC पर सवाल, जज बोले- आप नहीं बताएंगे हमें क्या करना है?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को CBI कोर्ट के स्पेशल जज बृजगोपाल लोया की संदिग्ध मौत केस की SIT जांच कराने के मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान पीटीशनर्स की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट पर ही सवाल खड़े कर दिए। दवे ने कहा कि हम इस मामले में कुछ भी कहते हैं तो आप काट देते हैं, जबकि महाराष्ट्र सरकार के वकील से कुछ नहीं कहते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने कहा कि "हमें क्या करना है, ये हमें पता है। किससे क्या पूछना है, हम अच्छी तरह जानते हैं।" 

कोर्ट में किसने क्या कहा?

सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे : सुनंदा पुष्कर केस में सुब्रमण्यम स्वामी की पिटीशन पर दूसरी पार्टी को सुने बिना ही कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया, लेकिन जब हम कुछ कहते हैं तो उसका एक्सप्लेनेशन खुद ही कोर्ट देने लगता है।

जस्टिस एएम खानविलकर : हमें किन मामलों में नोटिस करना है और किसमें नहीं। हमें कारण बताने की जरूरत नहीं है।

सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे :  महाराष्ट्र सरकार के वकील मुकुल रोहतगी जब दलील दे रहे थे तब कोर्ट ने कोई सवाल नहीं पूछा।

जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ : सिस्टम ही ऐसा है कि हम दलीलें सुनकर फैसला देते हैं। हमें किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं। जो हम फैसला देते हैं वो दिलो-दिमाग और अंतर्मन से निकलता है। आप तय नहीं करेंगे कि हमें क्या फैसला देना है।

प्रशांत भूषण ने ECG रिपोर्ट पर उठाए सवाल

वहीं पिटीशनर्स की तरफ से पेश हुए प्रशांत भूषण ने जज लोया की ECG रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि "हमने और भी कई स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की इस पर राय ली है। उन्होंने बताया कि हिस्टोपैथोलॉजिकल की रिपोर्ट के मुताबिक भी जज की मौत हार्ट अटैक से नहीं हुई है।" उन्होंने कहा कि "इस मामले में जानबूझकर एक अखबार में हार्ट अटैक की खबर लगाई गई। अब इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि आखिर खबर किसने लगवाई?"

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रोहतगी ने SIT जांच का किया था विरोध

जज लोया केस की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने जज लोया की मौत की SIT जांच का विरोध किया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि "जज लोया की मौत पर जितनी भी पिटीशन फाइल की गई है, वो ज्यूडीशियरी को "सनसनीखेज" बनाने के लिए की गई है। ये राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश है, आरोप लगाए जा रहे हैं, प्रेस कॉन्फ्रेंस की जा रही है।" उन्होंने आगे कहा कि "अमित शाह को इस मामले में जबरन लिंक किया जा रहा है। उनकी मौत के पीछे कोई रहस्य नहीं है। इसलिए इसकी आगे जांच की कोई जरूरत नहीं है। 

किन लोगों ने फाइल की है पिटीशन? 

जज लोया की मौत के मामले में कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोन ने सुप्रीम कोर्ट में पीटीशन फाइल की थी, जो अभी पेंडिंग हैं। इसके बाद नेवी के पूर्व प्रमुख एल रामदास ने पिटीशन फाइल कर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और पूर्व पुलिस अधिकारियों की एक कमिटी बनाकर स्वतंत्र जांच कराने की मांग की थी। बता दें कि 12 जनवरी 2018 को 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उसमें भी जज लोया की मौत के केस की सुनवाई पर सवाल उठाए गए थे।

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जज लोया की मौत पर शक क्यों? 

जज लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को हुई थी। बताया गया था उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है, लेकिन उनकी मौत के एक साल बाद उनकी बहन ने मौत के हालात पर शक जाहिर किया था। जज लोया की बहन का ये भी कहना था कि उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का समय सुबह 6:15 बजे का है, जबकि उनके परिजनों को सुबह 5 बजे जज लोया की मौत की जानकारी दी गई थी। इसके साथ ही उनकी बहन ने ये भी कहा था कि उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक को बताया गया है, लेकिन उनके कपड़ों पर खून के धब्बे लगे हुए थे। बता दें कि जज लोया सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे और उनकी मौत के तार भी सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जुड़े। हालांकि, हाल ही में जज लोया के बेटे अनुज लोया ने कहा था कि उनके पिता की मौत संदिग्ध नहीं है और वो जांच रिपोर्ट से संतुष्ट हैं।

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क्या है सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस? 

सीबीआई के मुताबिक, सोहराबुद्दी शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को गुजरात के एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) ने उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वो हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे। इसके बाद 26 नवंबर 2005 को सोहराबुद्दीन शेख का फर्जी एनकाउंटर कर उसकी हत्या कर दी गई। ये दावा किया गया कि सोहराबुद्दीन के पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ संबंध थे। इसके एक साल बाद दिसंबर 2006 को पुलिस ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के गवाह और उसके साथी तुलसीराम प्रजापति की भी कथित तौर पर हत्या कर दी थी। उस वक्त अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री थे और इन दोनों एनकाउंटर में अमित शाह का नाम आया।

Created On :   9 March 2018 8:51 AM IST

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