क्या वाकई रजनीकांत के लिए राजनीति की राह आसान होगी?
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। तमिल फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत ने साल के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर को राजनीति में आने की घोषणा कर ही दी। उन्होंने रविवार को ये भी कहा कि वो एक नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे और सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार भी खड़े करेंगे। तमिलनाडु में जयललिता की मौत के बाद से उनकी कमी खल रही है और बीजेपी, कांग्रेस या किसी भी राजनीतिक दल के पास ऐसा चेहरा नहीं है, जो जयललिता की जगह भर सके। ऐसे में रजनीकांत इस कमी को पूरा कर सकते हैं, लेकिन उसके बावजूद अभी भी ये आशंका है कि क्या वाकई राजनीति में रजनीकांत एक नई ताकत बनकर उभरेंगे। रजनीकांत, एमजीआर और जयललिता के बाद ऐसे व्यक्ति हैं, जो फिल्मों से राजनीति में एंट्री कर रहे हैं। रजनीकांत ने नई राजनीतिक पार्टी बनाने और राजनीति में उतरने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन ये पार्टी वो कब तक बनाएंगे, इसके बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है। रजनीकांत भले ही राजनीति में उतरने की सोच रहे हों, लेकिन क्या वाकई उनके लिए राजनीति की राह उतनी आसान होगी, जितनी एमजीआर और जयललिता के लिए थी।
सालों से राजनीति में आने की सोच रहे हैं रजनीकांत
रजनीकांत, तमिल फिल्मों के बड़े स्टार हैं और उनकी फैन फॉलोइंग भी काफी ज्यादा है। तमिलनाडु में जब-जब रजनीकांत की कोई नई फिल्म रिलीज होती है, तो राज्य में छुट्टी कर दी जाती है। रजनीकांत तमिल फैंस के लिए किसी भगवान से कम नहीं है। रजनीकांत हमेशा से राजनीति में आने का सोच रहे हैं। पिछले एक सालों में राजनीति में आने की सक्रियता भी काफी दिखाई दी। रजनीकांत जब पीएम मोदी से मिले थे, तब लग रहा था कि वो बीजेपी ज्वॉइन करेंगे। हालांकि, उन्होंने साल के खत्म होने तक नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी। अब क्योंकि उन्होंने कहा है कि वो राज्य की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे, तो बीजेपी के साथ गठबंधन की बात तो अभी दिखाई नहीं देती, लेकिन चुनावों के वक्त क्या परिस्थिति बनती है, ये तो वक्त ही बताएगा। तमिलनाडु में 2021 में चुनाव होने हैं। जाहिर है, तब तक देश और राज्य की राजनीति में काफी उथल-पुथल हो चुकी होगी।
क्या एमजीआर और जयललिता की तरह सफल हो पाएंगे?
रजनीकांत भी फिल्म इंडस्ट्री से आते हैं और उनसे पहले एमजी रामचंद्रन और जयललिता भी फिल्म इंडस्ट्री से राजनीति में एंट्री कर चुके हैं। एमजीआर और जयललिता दोनों ही राज्य में मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कुछ लोगों का मानना है कि जिस तरह से राजनीति में एमजीआर सफल हुए, जयललिता सफल हुईं, उसी तरह से रजनीकांत में सफल होंगे। हालांकि, इसमें भी कई रुकावटें है। रजनीकांत के पास अभी सिर्फ फैंस ही हैं और राजनीति में उतरने के लिए फैंस नहीं बल्कि एक विचारधारा की जरूरत होती है। एमजीआर, द्रविड़ मुनेत्र कझगम (डीएमके) के सदस्य थे और विधायक भी रह चुके थे। 1972 में जब एमजीआर को पार्टी से निकाला गया, तब उनके साथ डीएमके के कई नेता और पार्टी कार्यकर्ता साथ में थे। इसी के बलबूते एमजीआर ने एआईएडीमके बनाई और राज्य में 5 सालों के अंदर सरकार भी बना दी। जयललिता के पास भी एआईएडीएमके का आधार था। यही कारण था कि एमजीआर और जयललिता दोनों ही राजनीति में कामयाब हुए। इसलिए ये नहीं कहा जा सकता कि रजनीकांत भी इन दोनों की तरह राजनीति में सफल होंगे।
तो क्या पूरी तरह फेल हो जाएंगे रजनीकांत?
रजनीकांत राजनीति में पूरी तरह फेल हो जाएंगे, ये कहना भी सही नहीं है। क्योंकि रजनीकांत तमिलनाडु में एक ऐसे स्टार हैं, जिनके फैंस उन्हें भगवान मानते हैं। रजनीकांत के कटआउट को उनके फैंस दूध से नहलाते हैं। लेकिन ये फैन उन्हें वोट भी देंगे, ये नहीं कहा जा सकता। रजनीकांत के पास अभी सिर्फ उनके फैंस ही उनका आधार है। फैंस वो लोग हैं, जो डीएमके और एआईएडीमके के फॉलोअर्स भी हो सकते हैं और ये फैंस अपनी पसंदीदा पार्टी को ही वोट देंगे। तमिलनाडु की जनता पिछले 50 सालों से डीएमके और एआईएडीमके को देख रहे हैं। ऐसे में वो बदलाव भी चाहते हैं, लेकिन ये बदलाव लोगों को रजनीकांत के रूप में कितना पसंद आता है, ये तो देखने वाली बात ही होगी। फिर भी ये कहा जा सकता है कि रजनीकांत राजनीति में एमजीआर और जयललिता की तरह कामयाब नहीं होते हैं, तो फेल भी नहीं होंगे।
फैन फॉलोइंग के बावजूद जीत नहीं दिला पाए रजनीकांत
रजनीकांत राजनीति में कल या परसों ही नहीं आए हैं, वो पिछले 20 सालों से राजनीति में हैं। इस बात को खुद रजनीकांत भी कह चुके हैं। हालांकि ये पहली बार है जब उन्होंने राजनीति में आने की घोषणा की है। 1996 के विधानसभा चुनावों में रजनीकांत ने डीएमके और टीएमसी को समर्थन दिया और भारी बहुमत से ये गठबंधन जीता। इसके 2 साल बाद ही लोकसभा चुनावों में रजनीकांत ने फिर डीएमके-टीएमसी को समर्थन दिया, लेकिन वो हार गई। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनावों में रजनीकांत ने एआईएडीएमके और बीजेपी गठबंधन को समर्थन दिया और जनता से वोट देने की अपील की। बावजूद ये गठबंधन एक भी सीट नहीं जीत पाया। रजनीकांत के करोड़ों फैंस थे, लेकिन उनके कहने के बावजूद जनता ने एआईएडीएमके-बीजेपी गठबंधन को वोट नहीं दिया। इसलिए फैंस के दम पर फिल्में तो हिट हो सकती हैं, लेकिन राजनीति में हिट होने के लिए फैंस नहीं बल्कि भरोसे और अनुभव की जरूरत होती है। और ये दोनों ही रजनीकांत के पास अभी तो नहीं है।
कमल हासन के साथ मिलकर कमाल दिखाएंगे?
रजनीकांत और कमल हासन ये दोनों ही स्टार राजनीति में आने के लिए बेताब हैं। भारतीय राजनीति में हमेशा से वोटबैंक के लिए सुपरस्टार्स की मदद ली जाती है और इन दोनों ही स्टार्स की जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। रजनीकांत और कमल हासन की अपनी फैन फॉलोइंग है और अगर ये फैन फॉलोइंग वोटों में तब्दील हो जाए, तो दोनों कमाल दिखा सकते हैं। रजनीकांत ने तो राजनीति में आने की घोषणा कर दी और कमल हासन ने भी इसका स्वागत किया है। कमल हासन ने ये भी कहा है कि वो रजनीकांत का साथ देंगे। रजनीकांत के राजनीति में आने का इंतजार जनता भी कर रही है। इसका एक कारण है कि जनता अब बदलाव चाहती है। अगर 2021 के विधानसभा चुनावों में रजनीकांत की पार्टी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करते हैं और कमल हासन भी उनका साथ देते हैं। तो ये दोनों ही काफी हद तक राजनीति में कामयाब होंगे। अगर रजनीकांत और कमल हासन राजनीति में कामयाब हो गए और अपनी सरकार बना ली, तो ये तमिलनाडु में अगली पीढ़ी के एमजीआर और जयललिता साबित हो सकते हैं।
Created On :   1 Jan 2018 9:12 AM IST