चुनाव आयोग ने कहा, AAP विधायकों की याचिका जुर्माने के साथ हो खारिज

Election Commission was not bound to call Aam Aadmi Party
चुनाव आयोग ने कहा, AAP विधायकों की याचिका जुर्माने के साथ हो खारिज
चुनाव आयोग ने कहा, AAP विधायकों की याचिका जुर्माने के साथ हो खारिज

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में फंसे आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों का मामला दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा है। हाईकोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट में शनिवार को हलफनामा दायर कर अपना जवाब दिया है। आयोग ने जवाब दाखिल करते हुए  कहा है कि आम आदमी पार्टी के विधायकों की याचिका सुनवाई योग्य ही नहीं है। इतना ही नहीं, चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि AAP विधायकों की याचिका जुर्माने के साथ खारिज कर दी जाए। हालांकि हाईकोर्ट ने फिलहाल चुनाव आयोग को उपचुनाव में जल्दबाजी न करने के लिए कहा है।


ये कहा चुनाव आयोग ने

1. AAP की  याचिका पथ से भटकी हुई और गलत समझ वाली है।

2. याचिका में राष्ट्रपति के फैसले या कानून मंत्रालय के नोटिफिकेशन को नहीं बल्कि चुनाव आयोग की सिफारिश को चुनौती दी गई है।

3. राष्ट्रपति अपने संवैधानिक अधिकार के तहत फैसला दे चुके हैं और मंत्रालय नोटिफिकेशन जारी कर चुका है।

4. राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 103 के तहत दिल्ली की सरकार के लिए एक्ट के तहत यह फैसला लिया है।

5. कानून के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश से अलग नहीं जा सकते।

6. प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है आम आदमी पार्टी की दलील।

7. आम आदमी पार्टी की मौखिक सुनवाई की दलील पर चुनाव आयोग ने कहा कानून में ये जनादेश नहीं है कि मौखिक सुनवाई अनिवार्य है।

8.  चुनाव आयोग की सुनवाई में खुद इन विधायकों ने ही कहा था कि आयोग सुनवाई न करे क्योंकि मामला दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है।

 

 

ये है आप विधायकों की मांग
 
आप विधायकों ने हाईकोर्ट में जो याचिका दायर की है उसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद केंद्र ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है उसे रद्द किया जाए। वहीं चुनाव आयोग को आदेश दिया जाए कि कानून के मुताबिक विधायकों की फिर से ठीक तरीके से सुनवाई हो। इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि जब तक चुनाव आयोग में दोबारा सुनवाई होकर फैसला ना आए तब तक विधायकों की आयोग्यता पर रोक लगे। गौरतलब है कि आप विधायक बार-बार चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहे है कि उन्हें आयोग ने सुनवाई का मौका नहीं दिया। 

 

इन विधायकों पर गिरी गाज

1. आदर्श शास्त्री, द्वारका

 2. जरनैल सिंह, तिलक नगर

 3. नरेश यादव, मेहरौली

 4. अल्का लांबा, चांदनी चौक

 5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा

 6. राजेश ऋषि, जनकपुरी

 7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर

 8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर

 9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर

 10. अवतार सिंह, कालकाजी

 11. शरद चौहान, नरेला

 12. सरिता सिंह, रोहताश नगर

 13. संजीव झा, बुराड़ी

 14. सोम दत्त, सदर बाज़ार

 15. शिव चरण गोयल, मोती नगर

 16. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर

 17. मनोज कुमार, कोंडली

18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर

 19. सुखबीर दलाल, मुंडका

 20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़


क्या है मामला ?

आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया। कानून के मुताबिक, दिल्ली में कोई भी विधायक रहते हुए लाभ का पद नहीं ले सकता है। इसके बाद जरनैल सिंह के पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राजौरी गार्डन के विधायक के रूप में इस्तीफा देने के साथ उनके खिलाफ कार् बंद कर दी गई थी। इस्तीफे के बाद इन विधायकों की संख्या 20 रह गई।


नियम विरुद्ध नियुक्ति

गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ देल्ही एक्ट, 1991 के तहत दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव का पद हो सकता है। यह संसदीय सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा होगा, लेकिन केजरीवाल ने सीधे 21 विधायकों को ये पद दे दिया। 

 

ये है ऑफिस ऑफ प्रॉफिट 

- आर्टिकल 102 (1) (A) में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का जिक्र किया गया है

- सांसद या विधायक 2 अलग-अलग लाभ के पद पर नहीं हो सकता

- अलग से सैलरी और अलाउंस मिलने वाले पद पर नहीं रह सकता

- आर्टिकल 191(1)(A) के तहत सांसद-विधायक दूसरा पद नहीं ले सकते

- पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव एक्ट के सेक्शन 9 (ए) के तहत लाभ का पद नहीं ले सकते

- लाभ के पद पर बैठा शख्स उसी वक्त विधायिका का हिस्सा नहीं हो सकता

Created On :   4 Feb 2018 11:22 AM IST

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