मध्यप्रदेश की जड़ी-बूटियों से होगा क्रिकेटर सनथ जयसूर्या का इलाज
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। श्रीलंका क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और 1996 वर्ल्ड कप के हीरो सनथ जयसूर्या का इलाज अब मध्यप्रदेश के पातालकोट की जड़ी-बूटियों से होगा। जयसूर्या पिछले कुछ समय से ""नी इंज्यूरी"" से जूझ रहे हैं। काफी इलाज कराने के बाद भी ठीक नहीं हुए तो उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने आयुर्वेद की शरण में जाने की सलाह दी। साथ ही अजहरुद्दीन ने छिंदवाड़ा के आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रकाश इंडियन टाटा से उनकी बात करवाई।
कुछ समय तक उनकी बीमारी को समझने के बाद डॉ. प्रकाश टाटा को उनका इलाज पातालकोट की जड़ी-बूटियों में मिला। इन जड़ी बूटियों को लेकर डॉ. टाटा श्रीलंका रवाना हो गए हैं। अब 10 फरवरी से श्रीलंका के पूर्व स्टार खिलाड़ी सनथ जयसूर्या का इलाज शुरु होगा। उम्मीद की जा रही है कि जयसूर्या जल्द ही स्वस्थ होकर अपने पैरों पर चलने लगेंगे।
"नी इंज्यूरी" से पीड़ित हैं जयसूर्या
श्रीलंका के पूर्व स्टार क्रिकेटर सनथ जयसूर्या "नी इंज्यूरी" से पीड़ित है। इस बीमारी की वजह से वे चलने फिरने में असमर्थ है। बैसाखी के सहारे उन्हें चलना पड़ रहा है। पिछले कई महीनों से वे अपना इलाज करा रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा। अब आयुर्वेदिक दवाओं से वे अपना इलाज कराना चाह रहे हैं। जिसके लिए डॉ. टाटा को श्रीलंका बुलाया गया है।
इन जड़ी बूटियों से होगा इलाज
हिमालय की तरह पातालकोट में भी दुर्लभ जड़ी-बुटिया बहुतायत में पाई जाती है। देश के विभिन्न हिस्सों के जानकार यहां जड़ी-बूटियों की तलाश में आते हैं। क्रिकेटर सनथ जयसूर्या के इलाज के लिए दो दर्जन से ज्यादा जड़ी-बूटियां श्रीलंका ले जाई जा रही हैं। इन जड़ी बुटियों में अपा मार्ग, सलाम पाजा, अश्वगंधा, बंसीघारा, क्यूकंद, सोनापाखी, हार सिंगार, अरंडी की जार, आमा हल्दी, सफेद मूसली, काली मूसली आदि जड़ी बुटी शामिल है।
छिंदवाड़ा के हैं प्रकाश टाटा
छिंदवाड़ा के जुन्नारदेव निवासी डॉ. प्रकाश इंडियन टाटा आयुर्वेद के बड़े जानकार माने जाते हैं। बॉलीवुड सहित देश की नामचीन हस्तियों का इलाज आयुर्वेद के जरिए वे करते रहे हैं। कई हस्तियां उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु भी मानती है। उन्हें उत्कृष्ट कार्य के लिए कई जाने-माने अवॉर्ड मिले हैं।
जड़ी बूटियों का भंडार है पातालकोट में
पातालकोट घाटी विभिन्न जड़ी-बूटियों से भरी हुई है। यहां औषधीय गुण वाली कई ज्ञात और अज्ञात दुर्लभ जड़ी बूटियों का भंडार है। 89 वर्गमीटर में फैला पातालकोट 1700 फुट की गहराई में है। यहां की जटिलताओं का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां सूर्य की किरण ही दोपहर में पहुंचती है। तकरीबन 500 वर्षों से भारिया जनजाति के लोग यहां निवास करते हैं।
Created On :   8 Feb 2018 6:34 PM IST