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खड़से को मिला कांग्रेस में आने का ऑफर, कांग्रेस ने की तारीफ
डिजिटल डेस्क, नागपुर। भाजपा नेता एकनाथ खड़से को कांग्रेस में आने का आफर मिल गया। दरअसल विधानसभा में कांग्रेस नेता यशोमती ठाकुर ने खड़से के भाषण से प्रभावित होकर उनकी प्रशंसा की और उन्हें कांग्रेस में आने का न्योता दे दिया। इस पर खड़से के उत्तर ने भी खूब तालियां बटोरीं। पूरक मांगों के सत्र में भाजपा नेता एकनाथ खड़से ने प्रदेश में नए पशु चिकित्सा महाविद्यालय न खुलने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अधिकारी महाविद्यालय की जमीन की तलाश में आते हैं, लेकिन उन्हें गांवों के समीप नहीं, शहरों के पास की ही जमीन पशु महाविद्यालय शुरू करने के लिए सुहाती है। अब बताइए शहरों में कहां पशु होते हैं, अधिकारी ऐसा अपनी सुविधाओं की खातिर करते हैं।
यशोमती ठाकुर ने की प्रशंसा: खड़से ने जानकारी दी कि उन्होंने अपने क्षेत्र में पशु महाविद्यालय के लिए गांव के नजदीक 100 एकड़ निजी जमीन मुफ्त में सरकार को दी है। इस पर कांग्रेस की यशोमती ठाकुर ने खड़से की प्रशंसा करते हुए कहा कि "वाह, ऐसा दिलदार नेता तो हमारी पार्टी में होना चाहिए'। कांग्रेस विधायकों ने भी उनका इस बात पर समर्थन किया। इधर एकनाथ खड़से ने भी इस पर अपने अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि "आएंगे, मेरे जैसे लोग भी आपकी पार्टी में आएंगे। मगर जिस भाजपा को पिछले 40 वर्षों से अपने खून-पसीने से सींच कर इस मुकाम पर पहुंचाया, इन्हें (मुख्यमंत्री फडणवीस की कुर्सी की ओर इशारा करके) सत्ता में लाकर बिठाया, अब मेरा पार्टी छोड़ कर पुनर्वसन करना सही नहीं है।' खड़से के इस जवाब पर सभा में खूब तालियां बजीं।
नहीं तो प्यास से तड़पेंगे लोग: खड़से ने प्रदेश के कई ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को घेरा। उन्होंने पेय जलापूर्ति के मुद्दे पर कहा कि महाराष्ट्र में सूखे की समस्या है। खासकर पेयजल की भारी कमी है। ऐसी स्थिति होने के बावजूद सरकार बिजली कटौती करती है, जिससे जनता को उपयोग लायक पानी उपलब्ध नहीं हो पाता। पेयजल संबंधी सरकारी योजनाएं इतनी जटिल हैं, कि इन्हें सरल बनाकर इनका योग्य क्रियान्वयन नहीं किया गया तो जनता प्यास से तड़प कर मर जाएगी। उन्होंने जिलाधिकारी और तहसीलदारों के पास पेय जलापूर्ति से जुड़े विशेषाधिकार देने की वकालत की है। खड़से ने कपास पर बोंडअंडी को राष्ट्रीय समस्या बताया। उन्होंने कहा कि इससे राहत देने के लिए महाराष्ट्र की सरकार को किसानों के लिए योग्य योजनाएं शुरू करनी चाहिए। उन्होंने अपने भाषण में भूमि अधिग्रहण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि, सरकारी प्रकल्पों के लिए जमीन अधिग्रहण होने के बाद 15-15 वर्षों तक लोगों को मुआवजे और पुनर्वसन का लाभ नहीं मिला। लोगों को कोर्ट जाकर अपना अधिकार लेना पड़ा। इस चक्कर में कई अधिकारियों ने अपनी कुर्सी भी गंवाई। सरकार को इस दिशा में योग्य कदम उठाने होंगे।
Created On :   19 Dec 2017 11:45 AM IST