आदर्श स्कैम में अशोक चव्हाण को राहत, HC का केस चलाने से इनकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र के बहुचर्चित आदर्श सोसाइटी स्कैम में पूर्व सीएम अशोक चव्हाण को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने चव्हाण पर मुकदमा चलाने से मना कर दिया है। चव्हाण ने इस मामले में सीबीआई को उन पर मुकदमा चलाए जाने की अनुमति देने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी थी। महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने सीबीआई को चव्हाण पर मुकदमा चलाए जाने की परमिशन दी थी। अशोक चव्हाण उन 13 लोगों में शामिल हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई ने आदर्श घोटाले में चार्जशीट दाखिल की थी।
The Bombay High Court today rejected the Maharashtra Governor"s sanction to prosecute former Chief Minister Ashok Chavan in the Adarsh case. pic.twitter.com/lljhlkKLUl
— Congress (@INCIndia) December 22, 2017
कई धाराओं में था मामला दर्ज
राज्यपाल ने चव्हाण पर सीआरपीसी की धारा 197, आईपीसी की धारा 120-बी (षडयंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मुकदमा चलाने के लिए अपनी मंजूरी दी थी। जब यह घोटाला सामने आया था तब चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। अशोक चव्हाण ने इस पर आत्ति जताते हुए, फैसले को मनमाना बताया था। अप्रैल 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह पूछा था कि परिस्थितियों में ऐसे कौन सा बदलाव आया जिसकी वजह से महाराष्ट के राज्यपाल ने आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला मामले में शुरुआती इनकार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने को मंजूरी दी।
शहीद के परिजनों के लिए थी सोसायटी
महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के कोलाबा में 31 मंजिला आदर्श हाउसिंग सोसायटी बनाई थी। ये सोसायटी रक्षा विभाग की जमीन पर बनी है। नौसेना ने इस इमारत पर अपनी आपत्ति जाहिर की थी। नौसेना को आपत्ति इस बात से है कि इतनी ऊंची इमारत से उसके कई प्रतिष्ठानों को संभावित सुरक्षा का खतरा हो सकता है। नौसेना के पूर्व अध्यक्ष एडमिरल माधवेंद्र सिंह का भी इस हाउसिंग सोसायटी में एक फ्लैट है। रिपोर्ट में उनका भी नाम है। हालांकि रिपोर्ट में ये कहा गया है कि एडमिरल का घोटाले से कोई लेना देना नहीं है।
आदर्श सोसायटी के अपार्टमेंट युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की विधवाओं और भारतीय रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए बनाए गए थे। सोसायटी बनने के कुछ सालों बाद एक RTI में ये खुलासा हुआ कि नियमों को ताक पर रखकर कम दामों में ब्यूरोक्रैट्स, राजनेताओं और सेना के अफसरों को दिए गए है। साल 2010 में यह घोटाला सामने आने के बाद महाराष्ट्र में सियासी तूफान खड़ा हो गया था। आखिरकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना पड़ा था।
इमारत के गिराने की सिफारिश
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर 2010 को इसे धोखेबाजी का मामला माना था। इसके बाद कोर्ट ने सोसायटी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. पर्यावरण नियमों को दरकिनार करने की वजह से केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सिफारिश की कि इस इमारत को तीन महीने के अंदर गिरा दिया जाए।
Created On :   22 Dec 2017 12:58 PM IST