BJP की हार, सिंधिया को फायदा, शिवराज को क्या होगा नुकसान?
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के कोलारस और मुंगावली विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। दोनों ही सीटों पर कांग्रेस कैंडिडेट्स ने बीजेपी कैंडिडेट्स को हजारों वोटों के अंतर से हराया है। विधानसभा चुनावों से पहले हुए इन उपचुनावों को सेमीफाइनल माना जा रहा था और यही कारण था इन सीटों को जीतने के लिए कांग्रेस और बीजेपी ने जी-तोड़ कोशिश की। हालांकि, जीत का स्वाद कांग्रेस को ही चखने को मिला। नतीजों के बाद प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने जनादेश का स्वागत करते हुए जीते हुए कांग्रेस कैंडिडेट्स को बधाई दी है। ये थे तो उपचुनाव, लेकिन इसका असर अब मध्य प्रदेश की राजनीति में देखने को मिलेगा। जहां एक तरफ शिवराज के खिलाफ बगावत उठ सकती है, वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बढ़ेगा। आइए जानते हैं इस उपचुनावों से किसको क्या फायदा और क्या नुकसान होगा? लेकिन उससे पहले एक नजर नतीजों पर...
कोलारस के नतीजे :
कोलारस उपचुनावों में कांग्रेस कैंडिडेट महेंद्र सिंह यादव ने 8083 वोटों से जीत हासिल की है। उन्हें 82,515 वोट मिले हैं, जबकि बीजेपी के देवेंद्र कुमार जैन ने 74,432 वोट मिले हैं।
मुंगावली के नतीजे :
मुंगवाली उपचुनावों में कांग्रेस कैंडिडेट बृजेंद्र सिंह यादव को 70,808 वोट और बीजेपी कैंडिडेट बाई साहब यादव को 68,684 वोट मिले। यहां से कांग्रेस ने 2,124 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।
उपचुनावों में हार से शिवराज को क्या नुकसान?
कोलारस-मुंगावली उपचुनावों में हार से सीएम शिवराज सिंह चौहान को अच्छा-खासा नुकसान होता दिखाई दे रहा है। पिछले साल चित्रकूट में हुए उपचुनावों में कांग्रेस ने 14 हजार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इससे प्रदेश में शिवराज की छवि को नुकसान हुआ था। अब कोलारस-मुंगावली उपचुनावों में भी हार से शिवराज की छवि को नुकसान पहुंचेगा। इसके साथ ही सीएम चौहान के खिलाफ बगावत भी शुरू हो सकती है। विधानसभा चुनावों से पहले उपचुनावों में मिली हार से बीजेपी में चुनावों से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने की मांग उठ सकती है।
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उपचुनावों में जीत से सिंधिया को क्या फायदा?
कोलारस-मुंगावली की लड़ाई जितनी कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल थी, उतनी ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए भी मायने रखती थी। क्योंकि ये दोनों ही सीटें सिंधिया के संसदीय क्षेत्र से आती हैं और वो 2002 से गुना के सांसद हैं, जबकि ये दोनों सीटें कांग्रेस का गढ़ रही हैं। 2013 के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने मोदी लहर के बावजूद इन दोनों सीटों पर कब्जा किया था। सिंधिया के लिए इन दोनों सीटों पर जीत इसलिए भी जरूरी थी, क्योंकि वो इन्हीं चुनावी नतीजों के दम पर अपनी मुख्यमंत्री की दावेदारी पेश कर सकते हैं। इसके अलावा हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन और राजस्थान उपचुनावों में जीत ने पार्टी का उत्साह बढ़ाया था और अब मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने दमदारी से अपनी जीत दर्ज की है।
इन चुनावी नतीजों के क्या हैं मायने?
कोलारस और मुंगावली में हुए तो उपचुनाव थे, लेकिन विधानसभा चुनावों से पहले इन्हें सेमीफाइनल के तौर पर माना जा रहा था। राजनीति के जानकारों का भी यही मानना था कि इन उपचुनावों के नतीजे विधानसभा चुनावों पर भी असर डालेंगे। हालांकि, देखा जाए तो ये दोनों सीटें कांग्रेस का गढ़ रही हैं, इसलिए हार के बावजूद बीजेपी को इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। फिर भी लोगों का मानना है कि प्रदेश में शिवराज अपनी छवि खोते जा रहे हैं, जिसका असर चुनावों में भी देखने को मिल रहा है। मध्य प्रदेश में इसी साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी यहां पिछले करीब 15 सालों से सत्ता में हैं। खुद शिवराज सिंह चौहान 12 सालों से मुख्यमंत्री का पद संभाल रहे हैं, लेकिन अब उनकी छवि कमजोर हो रही है। 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से कांग्रेस हर जगह हार रही थी, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में कांग्रेस ने अच्छी वापसी की है। जिससे लगने लगा है कि कांग्रेस ने अपनी हार से सबक लिया है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में एंटी-इनकंबैंसी फैक्टर भी देखने को मिल रहा है, जो चुनाव नजदीक आते-आते और ज्यादा देखने को मिल सकता है। ऐसे में इस हार से बीजेपी को नुकसान होगा, ये कहना अभी थोड़ा जल्दी होगा लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता।
हार के बाद शिवराज ने क्या कहा?
उपचुनावों में मिली हार के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जीते हुए कांग्रेस कैंडिडेट को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया "मुंगावली और कोलारस विधानसभा उपचुनावों में विजयी कांग्रेस प्रत्याशियों को बधाई। मैं जनता के फैसले को स्वीकार करता हूं। दोनों क्षेत्रों और राज्य के विकास के लिए मेरा समर्पण और परिश्रम सतत जारी रहेगा।"
मुंगावली और कोलारस विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में विजयी कांग्रेस प्रत्याशियों को बधाई। लोकतंत्र में जनता जनार्दन है। मैं जनता के फैसले को स्वीकार करता हूँ। दोनों क्षेत्रों और राज्य के विकास के लिए मेरा समर्पण और परिश्रम सतत जारी रहेगा।
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 1, 2018
जीत के बाद सिंधिया ने क्या कहा?
जीत के बाद कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी बधाई दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि "मुंगावली के बाद अब कोलारस में महेंद्र सिंह यादव की जबरदस्त जीत के लिए मैं दिल से अपनी जनता और अपने कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आभारी हूं। आपने जीवटता, मेहनत और लगन से इस लक्ष्य को हासिल किया। ये तो अभी महज शुरुआत है मध्य प्रदेश में परिवर्तन की।" इससे पहले उन्होंने एक और ट्वीट किया, जिसमें लिखा कि "मुंगावली की जीत सत्य की जीत है। धनबल के ऊपर जनबल की जीत है, आपके विश्वास की, अन्नदाताओं की जीत है। सबसे ऊपर ये जीत मेरी आन, बान और शान मेरी प्यारी जनता की जीत है। मेरे कंधे से कंधा मिलाकर चले कांग्रेस के जांबाज सिपाहियों, मेरे कार्यकर्ताओं की जीत है।"
मुंगावली के बाद अब कोलारस में महेंद्र सिंह यादव जी की ज़बरदस्त जीत के लिए मैं हृदय से अपनी जनता और अपने कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आभारी हूँ। आपने जीवटता, मेहनत और लगन से इस लक्ष्य को हासिल किया। ये तो अभी महज शुरुआत भर है मप्र में परिवर्तन की।
— Jyotiraditya Scindia (@JM_Scindia) February 28, 2018
#मुंगावली की जीत सत्य की जीत है। धनबल के ऊपर जनबल की जीत है। आपके विश्वास की जीत है। अन्नदाताओं की जीत है। सबसे ऊपर ये जीत मेरी आन, बान और शान मेरी प्यारी जनता की जीत है। मेरे कंधे से कंधा मिलाकर चले कांग्रेस के जाँबाज़ सिपाहियों, मेरे कार्यकर्ताओं की जीत है।
— Jyotiraditya Scindia (@JM_Scindia) February 28, 2018
कोलारस-मुंगावली में उपचुनाव क्यों हुए?
2013 के विधानसभा चुनावों में कोलारस सीट से कांग्रेस के महेंद्र सिंह कालूखेड़ा 6वीं बार विधायक बने थे। सितंबर 2017 में लंबी बीमारी के बाद महेंद्र सिंह का निधन हो गया था। उसके बाद से ही ये सीट खाली थी। वहीं मुंगावली सीट पर भी 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जीती थी। इस सीट से कांग्रेस के राम सिंह यादव पहली बार विधायक बने थे। पिछली साल अक्टूबर में राम सिंह का हार्ट अटैक से निधन हो गया था। 74 साल के राम सिंह को सिंधिया का करीबी माना जाता था।
मध्य प्रदेश में कब है विधानसभा चुनाव?
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान तो नहीं हुआ है, लेकिन इस साल के नवंबर-दिसंबर तक यहां चुनाव हो सकते हैं। 2013 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां की 230 सीटों में से 165 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 58 सीटें ही आई थी। एमपी में 29 नवंबर 2005 से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं और 2013 में बीजेपी सरकार आने के बाद चौहान ने तीसरी बार यहां के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।
Created On :   1 March 2018 8:35 AM IST