‘मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुंवारा नहीं’, वाजपेयी जी के बारे में जानें पूरा अटल सत्य

Atal Bihari Vajpayees 93rd birthday special speech poetry and politics
‘मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुंवारा नहीं’, वाजपेयी जी के बारे में जानें पूरा अटल सत्य
‘मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुंवारा नहीं’, वाजपेयी जी के बारे में जानें पूरा अटल सत्य
हाईलाइट
  • अटल जी ने एक बार पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कहा था
  • 'मैं अविवाहित हूं लेकिन कुंवारा नहीं हूं।'
  • अटल जी भांग के बड़े शौकिन रहे। उनके लिए उज्जैन से भांग आती थी।
  • ग्वालियर के लड्डू और मंगौड़े अटल जी की खास पसंद थे।

डिजिटल डेस्क, ग्वालियर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक साधारण प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय करने वाले युगपुरुष अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था। अटलजी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में क्रिसमस के दिन हुआ था। अटलजी के पिता का नाम पं. कृष्णबिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। पिता ग्वालियर में अध्यापक थे, साथ ही साथ वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अटलजी मूल रूप से उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के रहने वाले थे, इसलिए अटल बिहारी वाजपेयी का पूरे ब्रज सहित आगरा से खास लगाव रहा।

अटलजी ने अपनी बीए की शिक्षा ग्वालियर के लक्ष्मीबाई कॉलेज से की, जिसका नाम आज विक्टोरिया कॉलेज है। स्नातक करने के बाद अटलजी ने कानपुर के डीएवी महाविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर उपाधि भी प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। अटलजी एक प्रखर वक्ता और कवि हैं। ये गुण उन्हें उनके पिता से वंशानुगत मिले। अटलजी को स्कूली समय से ही भाषण देने का शौक था और स्कूल में होने वाली वाद:विवाद, काव्यपाठ और भाषण जैसी प्रतियोगिताओं में वे हमेशा हिस्सा लेते थे।

अटलजी ने आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया और वे आज तक उसका निर्वहन कर रहे हैं। अटलजी छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में हिस्सा लेते रहे। अटलजी ने अपने जीवन में पत्रकार के रूप में भी काम किया और लंबे समय तक "राष्ट्रधर्म", "पाञ्चजन्य" और "वीर अर्जुन" आदि राष्ट्रीय भावना से ओत:प्रोत अनेक पत्र:पत्रिकाओं का संपादन भी किया।

मैं अविवाहित हूं लेकिन कुंवारा नहीं
एक बार एक पत्रकार ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से जब यह पूछा गया था कि आप अब तक कुंवारे क्यों हैं? इसके जवाब में अटल जी ने अपनी वाकपटु शैली में कहा था कि "मैं अविवाहित हूं लेकिन कुंवारा नहीं हूं।" वाजपेयी के इस बयान का मर्म चाहे जो भी निकाला जाए, लेकिन इस कुंवारे राजनेता की ज़िंदगी का एक हिस्सा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से जुड़ा है। वो अतीत जिसका जिक्र दबे जुबान कभी:कभी हो जाता है। वे अपने कॉलेज के जमाने की दोस्त राजकुमारी कौल से रिश्ते के बारे में सदैव मौन ही रहे हैं। चार साल पहले (2 मई 2014 में) राजकुमारी कौल का निधन हो गया।

अटल जी का राजकुमारी कौल से नाता
राजकुमारी कौल का वाजपेयी से नाता उस वक्त से जुड़ा जब दोनों ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में पढ़ते थे। राजकुमारी की शादी बीएन कौल से हुई और वे परिवार के साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में सेटल हो गईं। उन दिनों वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक के साथ ही जनसंघ की राजनीति से भी जुड़े रहे। राजकुमारी कौल के पति बीएन कौल रामजस कॉलेज के दर्शन विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट बन गए। कौल का परिवार कैंपस में रहता था। कहते हैं कि इसी दौरान ग्वालियर की दोस्ती एक बार फिर परवान चढ़ी और वाजपेयी दोबारा कौल परिवार के संपर्क में आए।

वाजपेई ने कॉलेज के दिनों की अपनी दोस्त राजकुमारी कौल के साथ रिश्तों को लेकर कभी कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया, लेकिन उनकी शादी के बाद पति बीएन कौल के घर में वे काफी समय तक रहे थे। एक इंटरव्यू में राजकुमारी ने कहा था कि मैंने और अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी इस बात की ज़रूरत नहीं महसूस की कि इस रिश्ते के बारे में कोई सफ़ाई दी जाए।

अटल जी के शौक

झींगा मछली :
लज़ीज व्ंयजनों के शौकीन अटलजी को नॉन वेज में "झींगा मछली" काफी पसंद है। अक्सर वे प्रॉन की डिश खाते थे।

शराब : यही नहीं मदिरापान (शराब) को लेकर भी कभी उन्होंने छुपाया नहीं है।

भांग : भांग के अटलजी शौकीन रहे हैं। उनके लिए उज्जैन से भांग आती थी।

मिठाई : मिठाई भी अटल जी के पकवानों की मेन्यू लिस्ट में काफी ऊपर है।

लडडू : ग्वालियर के बहादुरा के बूंदी के लड्डू भी उन्हें काफी पसंद थे। यही कारण है कि ग्वालियर की गलियों में लड्डू के जायके जैसी उनकी शख्सियत इस कविता की तरह है, "धरती को बौने नहीं ऊंचे कद के इंसानों की ज़रूरत है, लेकिन इतने ऊंचे भी नहीं कि कहीं कोई दूब न जमे, कोई कांटा न चुभे...मेरे प्रभु मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना...ग़ैरों को गले न लगा सकूं...ऐसी रुखाई कभी मत देना।"

मंगौड़ी : ग्वालियर के ही निकट दौलतगंज की मंगौड़ी भी अटल जी को काफी पसंद थी। ग्वालियर की हर दुकान से उनकी गहरी यादें जुड़ी हुई हैं।

ठंडई : होली पर ठंडई और दिवाली पर मिठाई के बिना अटल बिहारी वाजपेयी के खाने के शौक की चर्चा अधूरी है।

Created On :   23 Dec 2017 8:44 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story