पत्नी को कोसने वाले सावधान!: 'तुम पागल हो, क्या तुम्हें अक्ल नहीं'- पत्नी से कहते हैं ये शब्द, तो अब जुबान पर रखें लगाम, जानिए हाईकोर्ट ने इस बारे में क्या कहा?
- बॉम्बे हाई कोर्ट का सख्त फरमान
- पत्नी को नहीं कह सकते 'तुम पागल हो'- अदालत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अक्सर लोगों को कहते हुए सुना जाता है कि तुम पागल हो, क्या तुम्हें अक्ल नहीं है? इन वाक्यों का संदर्भ इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि आमतौर पर देखा जाता है कि पति अपने पत्नी को ये शब्द कहते हुए दिखाई एवं सुनाई पड़ जाते हैं। अब इसी मामले को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने कड़ी चेतावनी दी है। हाई कोर्ट ने मराठी में कहा, "तुला अक्कल नहीं, तू वेदी अहेस", जिसका हिंदी में अर्थ होता है "तुम्हारे पास दिमाग नहीं है, तुम पागल हो।" कोर्ट ने कहा कि, ऐसी बातें बिना किसी कॉन्टेक्स्ट के इस्तेमाल में किए जाते हैं तो वो सही नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि, ऐसी भाषा का उपयोग करना गंदी गाली देने के समान है। अदालत ने यह भी स्वीकार किया किया कि ऐसे शब्द आमतौर पर उपयोग किए जाते हैं। लेकिन ये समानजनक भाषा के श्रेणी में नहीं आते हैं। अगर जानबूझकर किसी द्वारा यह बात कही जा रही है वो कतई सही नहीं है। एक केस की सुनवाई करते हुए अदालत ने ये बात कही। हालांकि केस में दिलचस्प मोड़ तब आया जब पति पर आरोप लगाने वाली पत्नी के ही आरोप निराधार साबित हुए। लेकिन अदालत ने चंद वाक्यों में एक मिसाल जरूर पेश की।
पत्नी का आरोप झूठा
जानकारी के मुताबिक, एक पत्नी ने हाई कोर्ट में ऐसे ही उदाहरणों का हवाला देते हुए अपने पति पर आरोप लगाए थे कि वो उसे मानसिक और शारीरिक तौर पर टॉर्चर करता है। पत्नी ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि पति देर रात घर आकर उसे उल्टी सीधी बात बोलता और घर से बाहर जाने के लिए रोकता था। लेकिन इन सभी घटनाओं की जांच में पत्नी द्वारा लगाए गए आरोप गलत साबित हुए।
साल 2007 में हुई थी जोड़े की शादी
इस जोड़े की शादी साल 2007 में हुई थी। लेकिन शादी के कुछ ही वक्त बाद दोनों में अनबन की खबरें आने लगी। पति ने पत्नी पर आरोप लगाया था कि वे पूरे फैमली के साथ रहने के लिए तैयार थी लेकिन समय के साथ वो परिवार से दूरी बनाने लगी और अलग रहने की मांग कर रही थी। पति ने पत्नी पर यह भी आरोप लगाया कि उसने मेरे माता-पिता का देखभाल नहीं की, जो सबसे ज्यादा जरूरी था। लेकिन पत्नी बिना सोचे समझे घर छोड़ कर चली गई।
कोर्ट के सामने आई सच्चाई
इसके ठीक उल्ट पत्नी ने अपने पति को लेकर दावा किया कि उसका वैवाहिक जीवन बुरे सपने जैसा रहा और पहले कभी इस तरह के दुर्व्यवहार का सामना कभी नहीं किया। वहीं इस पूरे मामले की जांच बॉम्बे हाई कोर्ट ने किया तो सच्चाई कुछ और ही निकली। जांच में पता चला कि पत्नी ने जो पति पर आरोप लगाया वो पूरी तरह से निराधार था। जांच और महिला के बयान में पूरी तरह से विरोधाभास पाया गया। जिस पर अदालत ने निष्कर्ष निकाला, "पत्नी द्वारा लगाए गए गैर-जिम्मेदाराना और झूठे आधारहीन आरोप और सबूतों के जरिए उसे सही ठहराने में असफल होना क्रूरता के समान होगा और पति को विवाह विच्छेद का हकदार बना देगा।"
Created On :   16 Sept 2023 3:39 PM IST