मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा, राज्य के चुराचांदपुर जिले में फिर भड़की आग, इलाके में तनाव का माहौल
- मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, चुराचांदपुर में हुई गोलीबारी
- फिलहाल किसी के हताहत होने की खबर नहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा की आग में करीब तीन महीने से धधक रहा है। केंद्र और राज्य की सरकार अपने स्तर पर आग बुझाने का प्रयास तो कर रही हैं लेकिन अभी तक सफल नहीं हो पाई हैं। केंद्रीय बलों और मणिपुर पुलिस की मुस्तैदी के बावजूद भी प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में बमबारी और गोली बारी बदस्तूर जारी है। पूर्वोत्तर राज्य के चुराचांदपुर जिले से हिंसा भड़कने की खबर आई है। बताया जा रहा है कि, जिले के थोरबुंग इलाके में उपद्रवियों ने जमकर गोलीबारी की है। इस घटना में अभी तक किसी के हताहत होने की खबर सामने नहीं आई है। लेकिन कुछ लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। फिलहाल थोरबुंग इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है।
मणिपुर से सबसे पहले 3 मई को हिंसा भड़की थी। मणिपुर हाई कोर्ट के आदेश के विरोध में कुकी समुदाय की ओर से चुराचांदपुर में 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला गया था। इसी दौरान कुकी और मैतेई समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए थे। जिसमें जमकर लात घूंसे और आगजनी हुई थी। इसके बाद से ही कुकी और मैतेई समुदाय के बीच गतिरोध चल रहा है। मणिपुर में 53 फीसदी मैतई समुदाय के लोग रहते हैं जबकि कुकी समुदाय के 40 फीसदी आबादी राज्य में निवास करती है।
मामले ने और तूल पकड़ा
मणिपुर में हिंसा को लेकर बवाल तब और मचा जब 19 जुलाई को एक वीडियो सामने आया था। जिसमें मानवता को शर्मसार करने वाले कुछ लोग दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनकी परेड निकालते नजर आए। 4 मई का यह वीडियो करीब ढाई महीने के बाद लोगों तक पहुंचा। इस मामले को लेकर सड़क से सदन तक आक्रोश देखा जा रहा है। आलम यह है कि सदन में विपक्ष के नेता केंद्र सरकार से इस मामले पर जवाब चाहते हैं खास कर पीएम मोदी से, विपक्ष का कहना है कि मणिपुर में हुई बर्बरता को लेकर सदन में प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए ताकि लोगों में सरकार के प्रति विश्वास बने।
हिंसा होने का मुख्य कारण
- हिंसा की मुख्य वजह मणिपुर हाईकोर्ट का एक आदेश, अदालत ने प्रदेश के बीरेन सरकार को आदेश दिया की वो मैतेई समुदाय को जनजाति आदिवासी का दर्जा दें।
- अदालत के इस आदेश पर कुकी समुदाय और संगठनों ने तुरंत अपना विरोध जताया और 3 मई को प्रदेश के चुराचांदपुर जिले में इसके विरोध में आदिवासी एकता मार्च निकाला। इसी दौरान मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसक झड़प की पहली खबर आई थी जो अब तक जारी है।
- 40 फीसदी आबादी के साथ कुकी समुदाय मणिपुर के 90 फीसदी पहाड़ी इलाकों पर निवास करता है जबकि अधिक आबादी होने के बाद भी मैतेई समुदाय का हक 10 फीसदी क्षेत्र पर ही है। 53 फीसदी आबादी वाले मैतेई समुदाय के लोग राज्य के मैदानी इलाकों में निवास करते हैं।
- 40 फीसदी होने के बावजूद अधिक इलाकों पर कब्जे के साथ कुकी समुदाय के लोग घाटी में भी रह सकते हैं जबिक मैतेई समुदाय पहाड़ी इलाकों में न जा सकते हैं न ही वहां की जमीन खरीद कोई अन्य काम कर सकते हैं।
- मैतेई समुदाय को जनजाति आदिवासी का दर्जा मिल जाने पर कुकी समुदाय के समान हो जाएंगे, वो भी कहीं जाकर और अपना धंधा शुरू कर सकते हैं। इसी को देखते हुए कुकी समुदाय ने सबसे पहले विरोध प्रदर्शन करना शुरू किया और धीरे-धीरे विरोध की चिंगारी आग की लपटों में तब्दील होती गई और आज पूरा प्रदेश हिंसा की आग में जल रहा है।
Created On :   27 July 2023 12:52 PM IST