पेंशन स्कीम: यूपीएस, ओपीएस या एनपीएस, किसमें है कर्मचारियों को ज्यादा फायदा? चलिए आसान भाषा में समझते हैं इनकी डिटेल्स

यूपीएस, ओपीएस या एनपीएस, किसमें है कर्मचारियों को ज्यादा फायदा? चलिए आसान भाषा में समझते हैं इनकी डिटेल्स
  • कितनी हैं पेंशन स्कीम?
  • क्या हैं उनकी खूबियां?
  • पेंशन बेचना क्या होता है?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले हफ्ते मोदी सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस स्कीम को मंजूरी दी थी। जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को पेंशन मिलेगी ही मिलेगी। बता दें कि ये तीसरी पेंशन योजना है। इससे पहले ओल्ड पेंशन स्कीम यानी ओपीएस और न्यू पेंशन स्कीम यानी एनपीएस को लाया गया था। चलिए जानते हैं कौन सी पेंशन स्कीम है बेस्ट।

यूपीएस की खूबियां

यूपीएस में कर्मचारियों को 25 साल की नौकरी के बाद आखिरी साल के औसत मूल वेतन की 50 प्रतिशत तक पेंशन मिलेगी। यूपीएस में कर्मचारियों के कंट्रीब्यूशन को एनपीएस की चल रही व्यवस्था के 10 प्रतिशत के बराबर ही रखा गया है। जबकि सरकार ने अपने कंट्रीब्यूशन को 14 से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत करने का फैसला लिया है। इस पेंशन स्कीम में पारिवारिक पेंशन, गारंटीकृत न्यूनतम पेंशन और रिटायरमेंट के बाद लमसम भुगतान के लिए भी प्रावधान किया गया है। यूपीएस लागू करने से एरियर के रूप में चालू फाइनेंशियल वर्ष में सरकार को करीब 800 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे जबकि यूपीएस के लिए लगभग 6250 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

क्या 2004 के बाद हुए रिटायर्ड कर्मचारियों को भी मिलेगा फायदा?

1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में आने वाले सारे कर्मचारी जो रिटायर हो चुके हैं या 1 अप्रैल 2025 तक रिटायर होंगे। उनके पास भी इस ऑप्शन को चुनने का अवसर प्राप्त होगा। ऐसे रिटायर्ड कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट बेनेफिट्स का फिर से हिसाब लगाया जाएगा। जिसके बाद बचे हुए ब्याज के साथ भुगतान किया जाएगा।

परिवार को क्या होगा फायदा?

अगर किसी पेंशनहोल्डर की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को पेंशनहोल्डर की मृत्यु से पहले मिलने वाली पेंशन का 60 प्रतिशत मिलेगा। इस पर डीआर भी 60 प्रतिशत ही दिया जाएगा। अगर कोई कर्मचारी न्यूनतम 10 साल की सेवा के बाद कोई नौकरी छोड़ता है तो उसको करीब 10 हजार रुपये तक की पेंशन मिलेगी। अधिक नौकरी करने वाले को उसके अनुपात में ज्यादा पेंशन मिलेगी।

अलग से एकमुश्त रकम मिलेगी

यूपीएस में रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी के पैसे के अलावा अलग से एकमुश्त रकम मिलेगी। यह पैा सेवाकाल में हर छमाही की सेवा के बदले एक महिने के मासिक वेतन का दसवां हिस्सा जुड़कर रिटायरमेंट पर मिलेगा।

ओल्ड पेंशन स्कीम क्या है?

इस स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को पेंशन के लिए कोई योगदान नहीं करना पड़ता है। सरकार की तरफ से लास्ट सैलरी का 50 प्रतिशत भुगतान पेंशन के रूप में सरकारी कर्मचारियों को किया जाता है।

पेंशन बेचने का भी ऑप्शन

ओल्ड पेंशन स्कीम में सरकारी कर्मचारियों के पास पेंशन बेचने का भी ऑप्शन होता है। रिटायरमेंट के समय अगर किसी सरकारी कर्मचारी की पेंशन 25000 रुपये बन रही है। और वो 5000 रुपये की पेंशन बेच देता है तो उसे हर 100 रुपये पर 115 रुपये का भुगतान एक साथ किया जाता है। 15 साल पेंशन पाने के बाद फिर से बिकी हुई पेंशन कर्मचारियों को वापस मिल जाती है। ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए सरकारी कर्मचारियों को कोई भी योगदान नहीं करना पड़ता है। लेकिन यूपीएस और एनपीएस में करना पड़ता है।

एनपीएस की क्या हैं खूबियां?

साल 2004 में केंद्र सरकार ने एनपीएस स्कीम शुरू की थी। जिसमें कई राज्य सरकारों ने सहमति जताई थी।

रिटायरमेंट के समय कितना पैसा मिलता है वापस?

एनपीएस के नियमों के अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट के समय पर अधिकतम फंड में 60 प्रतिशत निकाल सकता है। और बचे हुए 40 प्रतिशत से उसे एन्युटी प्लान खरीदना होता है। जिसके बेसिस पर सरकारी कर्मचारियों को रेगुलर पेंशन मिलती है।

टैक्स में मिलती है छूट?

एनपीएस में योगदान करने वाले सरकारी कर्मचारियों को अतिरिक्त टैक्स छूट मिलती थी। एनपीएस सब्सक्राइबर्स 80 सीसीडी नियम के अनुसार ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये सालाना छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं। वहीं पुरानी पेंशन में कर्मचारी कोई योगदान करता ही नहीं था इसलिए छूट की कोई बात भी नहीं थी। साथ ही जो कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद एनपीएस अकाउंट से 60 प्रतिशत रुपये निकालते हैं। उस पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं लगता है।

Created On :   27 Aug 2024 9:52 AM GMT

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