पुणे पोर्श केस: नाबालिग आरोपी के दादा का अंडरवर्ल्ड कनेक्शन, पुलिस ने किया गिरफ्तार, पोते को बचाने के लिए ड्राइवर को कैद करने का आरोप
- 3 महीने बाद पता चलेगा बालिग की तरह केस चलेगा या नहीं
- शराब पी और नशे में चलाई कार
- 5 जून तक बाल सुधार गृह में नाबालिग आरोपी
डिजिटल डेस्क, नई मुंबई। पुणे में शराब के नशे में पोर्श कार चलाकर 18 मई की रात को दो इंजीनियर्स की जान लेने वाले नाबालिग आरोपी मामले में दिन प्रतिदिन नए नए खुलासे हो रहे है। पुणे पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पोर्श एक्सीडेंट मामले में शनिवार 25 मई को नाबालिग आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल को गिरफ्तार किया है। उस पर फैमिली ड्राइवर को बंधक बनाने का आरोप है। इस मामले में नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल भी आरोपी है। पुलिस ने उसे 21 मई को गिरफ्तार किया था। नाबालिग आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल का अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन बताया जा रहा है। 2021 में सुरेंद्र ने अपने भाई आरके अग्रवाल के साथ प्रॉपर्टी विवाद को निपटाने के लिए छोटा राजन से हेल्प मांगी थी। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने जांच की बात कही है।
नाबालिग आरोपी के दादा का अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन
आपको बता दें आरोपी के दादा का अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन पुलिस पूछताछ में सामने आया। पुलिस ने एफआईआर में नाबालिग आरोपी से अधिक उसके पिता विशाल अग्रवाल पर आरोप लगाए हैं। नाबालिग आरोपी का पिता रियल एस्टेट डेवलपर विशाल को पता था कि उसका बेटा नाबालिग है। फिर भी उसने बेटे को न सिर्फ 2.50 करोड़ कीमत वाली बिना नंबर प्लेट की पोर्श कार दी, बल्कि पब में शराब पार्टी के लिए अपना क्रेडिट कार्ड भी दिया था। कार्ड से आरोपी ने 90 मिनट में 48 हजार रुपए का बिल चुकाया। कार के ड्राइवर ने आरोपी को गाड़ी देने से मना किया था, लेकिन पिता विशाल के कहने पर उसने गाड़ी दी। 18 मई की रात में आरोपी ने पब से शराब पार्टी के बाद बाइक सवार युवक-युवती को कार से टक्कर मार दी। हादसे में दोनों की मौत हो गई थी।
एक्सीडेंट में जान गंवाने वाले दोनों इंजीनियर्स मध्यप्रदेश के
एक्सीडेंट में जान गंवाने वाले युवक -युवती दोनों मध्यप्रदेश के है। अनीश अवधिया मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के बीरसिंहपुर और युवती अश्विनी कोष्टा जबलपुर की रहने वाली थी। मृतकों के परिजन इसे हादसा नहीं हत्या बता रहे है। आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए थी। आपको बता दें नाबालिग आरोपी ने अपनी लग्जरी कार से दो लोगों को टक्कर मारी थी। एक्सीडेंट के बाद लोगों ने नाबालिग और उसके दोस्त को पकड़ लिया और उसकी पिटाई कर दी थी। पुणे पोर्श केस में नाबालिग आरोपी के दादा से पुणे पुलिस पूछताछ कर रही है। साथ ही उसके पिता से 4 सवालों के जवाब मांग रही है। आरोपी के पिता ने पुलिस को गुमराह करने के लिए कई कारें बदलीं
1. बच्चे को पॉकेट मनी किस रूप में खर्च करने के लिए दी जाती थी?
2. जिस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ, वो सड़क पर कैसे उतरी?
3. केस दर्ज होने के बाद विशाल अग्रवाल क्यों फरार हो गया था?
4. विशाल के पास फीचर फोन मिला। स्मार्टफोन कहां है?
सरकार ने बोर्ड से फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा।
आपको बता दें एक्सीडेंट के अगले दिन जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 75 हजार रुपए के बॉन्ड और सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने की सजा सुनाते हुए नाबालिग आरोपी को जमानत दे दी थी। देशभर में इस फैसले का विरोध हुआ। पुणे में लोगों ने हड़ताल की तो महाराष्ट्र सरकार ने बोर्ड से फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा। जमानत के भारी विरोध के बाद बोर्ड ने आरोपी को पूछताछ के लिए फिर बुलाया। यहां पुलिस ने बोर्ड को बताया कि अपराध क्रूरतम तरीके से किया गया। आरोपी 17 साल 8 महीने का है। वह महंगी कार चलाता है। शराब पीता है। उसका व्यवहार व्यस्क जैसा है। बोर्ड ने पुलिस के इस कथन को संज्ञान में लेते हुए जमानत का फैसला रद्द करते हुए आरोपी को 5 जून तक के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया।
जमानत में मॉडिफिकेशन हुआ है, रद्द नहीं-नाबालिग का वकील
नाबालिग के वकील का कहना है कि जमानत में मॉडिफिकेशन हुआ है, रद्द नहीं हुई है। एडवोकेट पाटिल ने दावा किया कि बेल कैंसिल की गई होती तो नाबालिग आरोपी पुलिस कस्टडी में होता, लेकिन उसे बाल सुधार गृह भेजा गया है। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने अभी इस मामले में आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। जिन अन्य 4 लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें पुणे के कोजी रेस्टोरेंट के मालिक का बेटा नमन प्रह्लाद भूतड़ा, उसका मैनेजर सचिन काटकर, ब्लैक क्लब होटल के मैनेजर संदीप सांगले और उसका स्टाफ जयेश बोनकर शामिल हैं। इन पर नाबालिग आरोपी को शराब परोसने का आरोप है। कोजी रेस्टोरेंट और ब्लैक क्लब होटल को सील कर दिया गया है।
सुधार गृह में नाबालिग का साइकोलॉजिकल असेसमेंट
पुलिस ने बताया कि बाल सुधार गृह में रहने के दौरान नाबालिग का साइकोलॉजिकल असेसमेंट होगा। कोर्ट में नाबालिग का पक्ष रखने वाले एडवोकेट प्रशांत पाटिल ने बुधवार को कहा कि आरोपी पर बालिग की तरह केस चलेगा यह नहीं, इसके फैसले के लिए कम से कम 3 महीने लगेंगे। वकील ने कहा कि बालिग की तरह केस चलाने के लिए आरोपी के अरेस्ट होने के 1 महीने के अंदर पुलिस को चार्जशीट दायर करनी होती है। इसके बाद 2 महीने तक साइकोलॉजिकल और सोशल असेसमेंट होता है। सायकायट्रिस्ट की रिपोर्ट के आधार पर ही बोर्ड तय कर सकेगा कि बालिग की तरह केस चलाना है या नहीं।
Created On :   25 May 2024 1:45 PM IST