लोकपाल: टॉप कोर्ट ने हाईकोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ दिए लोकपाल के आदेश पर लगाई रोक

टॉप कोर्ट ने हाईकोर्ट  के न्यायाधीश के खिलाफ दिए लोकपाल के आदेश पर लगाई रोक
  • सर्वोच्च अदालत ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर चिंता जाहिर की
  • हाईकोर्ट के जज के नाम को गोपनीय रखें शिकायतकर्ता
  • मामले की अब अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जज के खिलाफ दिए गए लोकपाल के आदेश पर रोक लगा दी है। टॉप कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा ये बहुत परेशान करने वाली बात है। सर्वोच्च अदालत ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर चिंता जाहिर की। साथ ही शीर्ष कोर्ट ने मामले को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही लोकपाल रजिस्ट्रार और हाईकोर्ट के न्यायाधीश की शिकायत करने वाले शिकायतककर्ता को भी नोटिस जारी किया है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अभय ओक की बेंच ने सुनवाई के दौरान लोकपाल के उच्च न्यायालय के जज के खिलाफ शिकायत सुनने पर नाराजगी व्यक्त की। और इसे बेहद परेशान करने वाली बात बताया। बेंच ने उन न्यायाधीश के नाम का खुलासा करने पर भी रोक लगा दी है, जिनके खिलाफ लोकपाल ने शिकायत सुनी।

शीर्ष कोर्ट ने शिकायतकर्ता को निर्देश दिया है कि वे हाईकोर्ट के जज के नाम को गोपनीय रखें। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के अधिकार क्षेत्र में कभी नहीं आएंगे। इस मामले की अब अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।

लोकपाल ने हाईकोर्ट के मौजूदा जस्टिस के खिलाफ शिकायत पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने मामला का स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले पर सुनवाई की। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा क्या हाईकोर्ट के न्यायाधीश भारत के लोकपाल के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं या नहीं?

आपको बता दें बीती 27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाले लोकपाल ने अपने आदेश में कहा कि लोकपाल एक्ट के तहत हाईकोर्ट के जस्टिस भी लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। लोकपाल ने यह टिप्पणी एक शिकायत पर सुनवाई करते हुए की। शिकायत में आरोप लगाया गया कि एक निजी कंपनी से जुड़े केस में हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश ने अतिरिक्त जिला जज और एक अन्य हाईकोर्ट के जज को प्रभावित करने की कोशिश की। लोकपाल ने देश के मुख्य न्यायाधीश से इसे स्पष्ट करने की मांग की थी।

Created On :   20 Feb 2025 7:19 PM IST

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