'सुप्रीम' झटका!: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका, तथ्य छुपाने के लिए अदालत ने लगाई फटकार
- हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से झटका
- अंतरिम जमानत याचिका रद्द
- तथ्य छुपाने के लिए कोर्ट ने लगाई फटकार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) नेता हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उच्चतम न्यायालय ने हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। सोरेन की याचिका पर आज बुधवार (22 मई) को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है। साथ ही कोर्ट ने तथ्यों को छुपाने के लिए सोरेन के वकील को फटकार भी लगाया है। हेमंत सोरेन के वकील ने याचिका वापस ले ली है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद यह साफ हो गया कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अब लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार नहीं कर पाएंगे। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने इसी साल जनवरी में हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था।
तथ्य छुपाने के लिए फटकार
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई की। ईडी की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू और सोरेन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अदालत में पेश हुए। जमानत याचिका पर मंगलवार को भी सुनवाई हुई थी। निचली अदालत में जमानत याचिक दायर करने की बात को छुपाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने सोरेन की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल से कहा, "आपका आचरण काफी कुछ कहता है। हमें उम्मीद थी कि आपके मुवक्किल स्पष्टता के साथ आएंगे लेकिन आपने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया।"
उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, "याचिका के गुण-दोष पर विचार किए बगैर गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज करेंगे। अगर अदालत मेरिट पर गौर करेगी तो पूर्व मुख्यमंत्री (हेमंत सोरेन) के लिए ही नुकसानदेह होगा।"
हेमंत सोरेन के वकील ने दी ये दलीलें
इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की ओर से पक्ष रखते हुए सिब्बल ने कहा था कि जिस जमीन पर कब्जे के आरोप में ईडी ने हेमंत सोरेन के खिलाफ कार्रवाई की है, वह जमीन छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत “भुईंहरी” नेचर की है और इसे किसी भी स्थिति में किसी व्यक्ति को बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। इस जमीन की लीज राजकुमार पाहन के नाम पर है। इस जमीन पर हिलेरियस कच्छप नामक एक व्यक्ति खेती करता था और बिजली का कनेक्शन उसी के नाम पर है। इससे हेमंत सोरेन का कोई संबंध नहीं है। सिब्बल ने कहा था कि हेमंत सोरेन पर वर्ष 2009-10 में इस जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया गया, लेकिन इसे लेकर कहीं कंप्लेन दर्ज नहीं है। अप्रैल 2023 में ईडी ने इस मामले में कार्यवाही शुरू की और सिर्फ कुछ लोगों के मौखिक बयान के आधार पर बता दिया कि यह जमीन हेमंत सोरेन की है। ईडी के पास इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि हेमंत सोरेन ने इसपर कब, कहां और किस तरह कब्जा किया।
ईडी ने क्या कहा?
ईडी की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि बरियातू की 8.86 एकड़ जमीन पर हेमंत सोरेन का अवैध कब्जा है। इस जमीन के कागजात में भले हेमंत सोरेन का नाम दर्ज नहीं है, लेकिन जमीन पर अवैध कब्जा पीएमएलए के तहत अपराध है। उन्होंने कहा कि सक्षम न्यायालय द्वारा मामले में संज्ञान लिया जा चुका है। जमानत याचिका को रद्द करते हुए सक्षम अदालत ने यह कहा है कि प्रथम दृष्टया आरोप सही प्रतीत होते हैं। इसके बाद कपिल सिब्बल ने कहा था कि वह जमानत नहीं मांग रहे हैं, वह तो ईडी द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती दे रहे हैं।
Created On :   22 May 2024 1:13 PM IST