सरोगेसी कानून: शीर्ष कोर्ट ने सरोगेसी से जुड़ी याचिकाओं पर केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा, मजबूत कानून बनाने की जरूरत

शीर्ष कोर्ट ने सरोगेसी से जुड़ी याचिकाओं पर केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा, मजबूत कानून बनाने की जरूरत
  • माताओं को शोषण से बचाने के लिए मजबूत सिस्टम की जरूरत
  • सरोगेसी पर पाबंदी होने के बावजूद सरोगेट माताओं का शोषण न हो
  • 11 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सरोगेसी कानूनों में सरोगेट माताओं और अन्य लोगों के लिए आयु सीमा वाले मामले की 11 फरवरी को सुनवाई करेगा। आज सुनवाई करते हए सुको ने ये फैसला लिया है। आपको बता दें सरोगेट माता वह माता होती है जो दूसरों के लिए बच्चे को जन्म देती हैं।

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से मामले पर लिखित जवाब दाखिल करने को कहा। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सरोगेट माताओं के हितों की रक्षा की जरूरत है। टॉप कोर्ट ने कहा कि भारत में वाणिज्यिक सरोगेसी पर पाबंदी होने के बावजूद सरोगेट माताओं का शोषण न हो, इसके लिए मजबूत नियमों या कानूनों की जरूरत है।

न्यायाधीश बी.वी.नागरत्ना और न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने सरोगेसी विनियमन अधिनियम और सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 की कुछ धाराओं को चुनौती देने वाली करीब 15 पिटीशन पर सुनवाई की।

आपको बता दें 2021 के सरोगेसी कानूनों में माता-पिता और सरोगेट माताओं के लिए आयु सीमा निर्धारित की गई थी। इन कानून के अनुसार इच्छित माता की आयु 23 से 50 साल और इच्छित पिता की आयु 26 से 55 साल के बीच होनी चाहिए। सरोगेट मां के लिए नियम यह शर्त हैं कि वह विवाहित हो, उसकी आयु 25 से 35 के बीच हो, उसके पास पहले अपना जैविक बच्चा हो और वो लाइफ में केवल एक बार ही सरोगेसी बनें। कानून में सरोगेसी को कंट्रोल करने के लिए शर्त रखी है।

Created On :   7 Jan 2025 7:08 PM IST

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