2013 में मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े 131 केस वापस ले रही है योगी सरकार

Yogi Government withdrawing 131 cases related Muzaffarnagar riots
2013 में मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े 131 केस वापस ले रही है योगी सरकार
2013 में मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े 131 केस वापस ले रही है योगी सरकार

डिजिटल डेस्क, मुजफ्फरनगर। यूपी के मुज़फ्फरनगर में हुए दंगे तो आपको याद ही होंगे। इन दंगों में सैकड़ों लोगों की जान गई और जिले के कई लोगों को बेघर होना पड़ा। कितनी ही गाड़ियां फूंकी गई और सार्वजनिक संपत्ति को हानि पहुंचाई गई। इन दंगों के आरोपियों को योगी आदित्यनाथ सरकार ने दी बड़ी राहत दी है। योगी सरकार 131 केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर रही है। बता दें कि मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान पांच सौ से ज्यादा मुकदमे आरोपियों पर दर्ज हुए थे।

 


 

दर्ज हुए थे 5000 मुकदमे

जानकारी के अनुसार, वापस लिए जाने वाले इन मुकदमों में हत्या के 13 और हत्या के प्रयास के 11 मामले हैं। 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में हुए व्यापक दंगों में 5000 मुकदमे दर्ज हुए थे। केस से जुड़े दस्तावेजों को देखने पर पाया गया है कि सभी केस जघन्य अपराध से जुड़े हैं। जिसमें कम से कम सात साल की सजा होती है। बता दें कि 16 मुकदमे सेक्शन 153 ए यानी धार्मिक आधार पर दुश्मनी फैलाने के आरोप तथा दो मुकदमे सेक्शन 295 के दर्ज हैं। जिसमें किसी धर्म विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले भाषण देने का आरोप है।


हिंदू आरोपियों के मामले रद्द करने मांग

गौरतलब है कि सितंबर 2013 में हुए इन दंगों में कम से कम 62 लोग मारे गए थे, वहीं हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा था। मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने मुजफ्फरनगर और शामली थानों में करीब 1,455 लोगों के खिलाफ 503 मामले दर्ज कराए थे। बीजेपी सांसद संजीव बालियान और बुढाना के विधायक उमेश कौशि‍क के नेतृत्व में मुजफ्फरनगर और शामली के एक खाप प्रतिनिधिमंडल ने इस साल 5 फरवरी को सीएम आदित्यनाथ से मिलकर 179 मामलों को रद्द करने मांग की थी। बता दें इन सभी मामलों में आरोपी हिंदू धर्म के थे।

 

179 मामले हटाने की मांग


संजीव बालियान ने बताया कि वह पिछले महीने मुख्यमंत्री से मिले थे और उन्होंने 850 हिंदू आरोपियों से जुड़े 179 मामले हटाने की मांग की थी। 23 फरवरी को यूपी के कानून विभाग ने मुजफ्फरनगर और शामली के डीएम को पत्र लिखकर 131 मामलों का ब्योरा मांगा था। हालांकि राज्य के मुख्य सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने कहा कि उन्हें केस वापस लेने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वहीं विधायक उमेश मलिक ने कहा कि सीएम को सौंपी सूची में हत्या के केस भी शामिल थे। 
 

 

Created On :   22 March 2018 11:03 AM IST

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