एक्सपर्ट से जानिए केके जैसा हाल होने पर सबसे पहले क्या करना चाहिए कि बच सके जान? सही समय पर सही कदम टाल सकता था अनहोनी!
- केके को अगर डॉक्टर की मदद मिलती तो उनकी जान बच सकती थी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। अलविदा कह चुके सिंगर केके के आखिरी वक्त के वीडियो तेजी से वायरल हुए. पसीने से तरबतर। हांफती हुई सी आवाज। अपने ही गानों को खींच कर सुर में लाकर गा पाने में अमसर्थ। ये समझना मुश्किल नहीं था कि केके की हालत असामान्य थी।अफसोस की वहां मौजूद ऑर्गेनाइजर्स, फैन्स और खुद केके अपनी हालत को समझ नहीं पाए। अगर समझते तो शायद एक अनहोनी न हुई होती। केके जैसा दिग्गज सिंगर अपने फैन्स के बीच होता।
— Tirthankar Das (@tirthaMirrorNow) May 31, 2022
केके के पास चंद सेकंड नहीं बल्कि लंबा वक्त था। उन्हें घबराहट हुई. उसके बाद वो कॉन्सर्ट छोड़ कर अपने होटल रूम में आराम करने गए। क्या इस बीच केके को अगर डॉक्टर की मदद मिलती तो उनकी जान बच सकती थी। ऐसे कई सवाल हैं जो केके की इस हालत को देखकर उठते हैं।
- क्या केके की जान बच सकती थी?
- क्या अचानक हार्ट अटैक आने से पहले शरीर किसी तरह के संकेत देता है?
- क्या सही समय दिया गया ट्रीटमेंट पीड़ित की जान बचाने में कारगर हो सकता है?
ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानने के लिए भास्कर हिंदी ने कार्डियोलॉजी एक्सपर्ट डॉ. अंकित अग्रवाल से चर्चा की। जानिए इस संबंध में वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अंकित अग्रवाल ने क्या कहा -
सवाल- केके के आखिरी वक्त के वीडियोज देखकर क्या उनकी हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है?
डॉ. अंकित अग्रवाल, वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट- केके के अंतिम क्षणों के वायरल वीडियोज देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी हालत सामान्य नहीं थी। उन्हें देखकर लग रहा है कि उन्हें Primary ventricular fibrillation आए होंगे। ये ऐसी अवस्था होती है जिसमें दिल तय समय में ज्यादा धड़कता है। आम भाषा में कह सकते हैं कि दिल फड़फड़ाने लगता है। केके को बेचैनी भी हो रही थी।पसीना भी तेज आ रहा था। वो अपने ही हाई पिच के गाने ठीक तरह से नहीं गा पा रहे थे। जो इस बात का इशारा था कि उनकी हृदय गति सामान्य नहीं थी।
सवाल- इस हालात का अंदाजा होते ही क्या किया जाना चाहिए था?
डॉ. अंकित अग्रवाल, वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट - केके की इस हालत को देखते हुए लगता है कि उन्हें बेचैनी महसूस होते ही डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए थी। हालत खराब होने के बाद केके अस्पताल की जगह होटल के रूम में रेस्ट करने गए। जबकि उस वक्त उन्हें शॉक ट्रीटमेंट की जरूरत थी। बेचैनी महसूस होते ही केके अस्पताल पहुंचते तो उनका ईसीजी या दूसरे टेस्ट होते। जिससे उनकी हालत की सही जानकारी हो सकती थी। इसके बाद उन्हें सही ट्रीटमेंट मिलता।
Primary ventricular fibrillation आने पर व्यक्ति बेसुध हो जाता है। उस वक्त उसके आसपास वालों को एक्टिव होना जरूरी है। ऐसे समय में शॉक ट्रीटमेंट सबसे सटीक उपचार है। लेकिन उस वक्त उन्हें शॉक ट्रीटमेंट नहीं मिला। कई बाहरी देशों में जगह जगह पर शॉक देने के उपकरण लगे हैं। अफसोस अब तक भारत में कोई ऐसे इंतजाम नहीं है।
सवाल- क्या इस तरह हार्ट अटैक से पहले शरीर किसी तरह के सिग्नल देता है?
डॉ. अंकित अग्रवाल, वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट- पिछले कुछ समय से ऐसे केसेस सामने आ रहे हैं जब कम उम्र के लोगों को हार्ट अटैक आया। वे पहला ही अटैक सर्वाइव नहीं कर सके। ऐसा अक्सर अचानक ही होता है। हालांकि दिल पर खतरा मंडराता है तो शरीर अलग अलग तरह से संकेत जरूर देता है। जिन्हें ऑब्जर्व करना जरूरी है।
- सीने में तेज दर्द हो
- दोनों बाहों के बीच, नाक, कान से लेकर नाभी तक तेज दर्द हो. शरीर के इन हिस्सों में ऐसा दर्द जो पहले कभी महसूस न किया गया हो. और सामान्य दर्द की दवाओं से ठीक न हो
- हमेशा एक्टिव रहने वाले लोगों का अचानक थकावट महसूस करना. थोड़ा सा ही काम करने पर थक जाना
- सांस तेजी से फूलना या घबराहट होना
- ये संकेत जब भी दिखाई दें तो इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. खासतौर से ऐसे युवा जो बहुत ज्यादा सिगरेट पीते हैं या हैवी वर्कआउट करते हैं। उन्हें इन सिग्नल्स को अनदेखा नहीं करना चाहिए। इनमें से एक भी लक्षण नजर आने पर उन्हें डॉक्टर, खासतौर से कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए। जहां उन्हें सही समय पर सही उपचार मिलेगा।
सवाल- ऐसे लक्षण नजर आए तो घर पर या आसपास मौजूद लोगों को सबसे पहले क्या करना चाहिए?
डॉ. अंकित अग्रवाल, वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट- सबसे पहली सलाह तो यही है कि डॉक्टर के पास पहुंचने में बिलकुल देर न की जाए। इससे पहले परिजन पीड़ित को एक डिस्प्रिन दे सकते हैं। डिस्प्रिन को पानी में घोलकर देने से ब्लड क्लोटिंग थोड़ी देर के लिए ढीली पड़ जाती है।जिससे मरीजो को कुछ वक्त मिल जाता है। हार्ट अटैक का दर्द कम करने के लिए दी जाना वाली दवा सॉरबिट्रेट भी दी जा सकती है। लेकिन उससे पहले डिस्प्रिन देना एक बेहतर विकल्प होता है। ऐसी स्थिति में डिस्प्रिन लेने का कोई नुकसान भी नहीं है। डिस्प्रिन से मिलने वाले समय में डॉक्टर के पास पहुंचे। जहां ईसीजी होनी चाहिए। और उस के बाद दिल से जुड़े अलग अलग टेस्ट।
आमतौर पर कार्डियकअरेस्ट या हार्टअटैक में मरीज को इतना समय नहीं मिल पाता। यहां लक भी बहुत काम करता है। इसलिए सेहत पर लगातार नजर बनाए रखना ज्यादा जरूरी है।
Created On :   1 Jun 2022 4:30 PM IST