दुनिया की सबसे बड़ी गैस त्रासदी के बाद भी नहीं सुधरे हम, ये हादसा हैं बड़ा उदाहरण

37 years of Bhopal Gas tragedy: Justice not in sight; questions unanswered
दुनिया की सबसे बड़ी गैस त्रासदी के बाद भी नहीं सुधरे हम, ये हादसा हैं बड़ा उदाहरण
गैस त्रासदी की बरसी दुनिया की सबसे बड़ी गैस त्रासदी के बाद भी नहीं सुधरे हम, ये हादसा हैं बड़ा उदाहरण
हाईलाइट
  • सबकी बीमारी लगभग वही है भूलना और लापरवाही बरतना

डिजिटल डेस्क, भोपाल। आज से 37 साल पहले 3 दिसंबर 1984 को हुआ भोपाल गैस कांड दुनिया का सबसे बड़ा गैस कांड हुआ जिससे कई लोग प्रभावित हुए और हजारों लोग मर गए। आज भी इस कांड का असर देखने को मिल रहा है। गैस राहत के बने अस्पतालों में लंबी लाइन इस गैस के असर को बयान करती हुई दिखाई दे जाती है कि घटना कितनी भयावह थी। लोभ लालच लापरवाही के चलते घटित हुई घटना के 37 साल भी जिम्मेदारों ने इस घटना से कोई सबक नहीं लिया और आज भी देश के कई हिस्सों में गैस के कई कांड हुए है।  महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश में हाल ही में एक के बाद एक गैस कांड हुए जिनमें कई लोगों की जान चली गई। देश की राजधानी कही जाने वाली दिल्ली में भी गैस की बड़ी घटना घटित हुई। आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हो जहां से पूरा देश चलता है वहां ऐसी लापरवाही कितनी बड़ी घटना को न्योता दे सकती है। लोगों के जीवन की अनदेखी करती सरकारें और व्यापारी कब जीवन से खिलवाड़ छोड़कर जीवन के महत्व समझेंगे। आइए बताते है भोपाल गैस त्रासदी के बाद देश में कहां कहां कब कब गैस कांड हुए।

भोपाल में 3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से हुई गैस के रिसाव से हजारों लोगों की मौत हो गई थी। उस रात से शुरू हुआ मौतों का सिलसिला और बरसों से होते हुआ आज भी जारी है। तीन दशक बाद हम त्रासदी के सबक से सीख लेने की कवायद में लगे हैं। पर सावधानी नहीं बरत पा रहे। इस जहरीली गैस के प्रतिविष ( एंटीडोट) की जानकारी न होने के कारण लोग तड़प-तड़पकर मर गए। लोगों के पास में संचालित गैस कारखानों में बन रही गैस के एंटीडोट की जानकारी और उन कारखानों की सूची उपलब्ध न होना सामाजिक चेतना और सामाजिक जागरूक के साथ लोगों को कानूनी अधिकार होना चाहिए।
  
2014- छत्तीसगढ़ भिलाई स्टील प्लांट में गैस रिसाव
छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट में साल 2014 में मीथेन गैस लीक हुई। जिसमें कई लोगों की मौत हो गई वहीं कई प्रभावित हुए। जानकारी के मुताबिक इसमें मृत सभी छह मृतक कर्मचारी ही थे।  लापरवाही और घटना से सबक न लेते हुए भिलाई स्टील प्लांट में 2018 में फिर गैस पाइपलाइन में ब्लास्ट हुआ था जिसमें 14 लोगों की जान गई थी।

2017- दिल्ली गैस रिसाव
देश की राजधानी दिल्ली में साल 2017 में बड़ा गैस कांड हुआ था। कीटनाशक बनाने में इस्तेमाल होने वाली गैस क्लोरोमिथाइल के कंटेनर से गैस का रिसाव हुआ। गैस के संपर्क में आए बच्चों की  आंखों में जलन, सांस फूलना चक्कर आने जैसी समस्या देखने को मिली।

लॉकडाउन की वजह से बंद फैक्ट्री खुलने जा ही रही थी कि आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम के आरआर वेंकटपुरम गांव सात मई 2020 की सुबह 3 बजे गैस रिसाव हुआ। इस कांड को विजाग गैस कांड कहा जाता है क्योंकि विशाखापट्टनम को विजाग कहा जाता है। प्रबंधन ने बिना तैयारी व परीक्षण प्रबंधन के बजाय बंद पड़ी फैक्ट्री को चालू किया नतीजा ये हुआ कि सो रहे सैकड़ों लोगों की इससे मौत हो गई। और आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एलजी पॉलिमर फैक्ट्री में भोपाल गैस जैसा हादसा हुआ है। विजाग गैस रिसाव क्या हुआ? हालांकि विशाखापट्टनम में हुआ हादसा बहुत छोटा था लेकिन इसके परिणाम हृद्य विदारक देखने को मिले। आपको बता दें पॉलिमर्स इंडस्ट्री के प्लांट से लीक हुई एलजी गैस 4 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 5 छोटे गांवों में फैल गई। एक हजार से ज्यादा लोग बीमार हुए। प्रभावित व्यक्ति आज भी उसके दुष्प्रभाव झेलने रहे हैं। जिन लोगों के फेफड़ों में बहुत गैस पहुंच गई थी, वे सुबह देखने के लिए जीवित नहीं रहे। 
7 मई 2020 विशाखापत्तनम गैस लीक कांड को अभी भुलाया भी नहीं जा सका है कि गुजरात और महाराष्ट्र में गैस कांड हो गया। 6जून 2020 देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में गैस लीकेज की घटना सामने आई है। मुंबई की एक फार्मा कंपनी से गैस का रिसाव हुआ जिसकी जानकारी चेंबूर, घाटकोपर, कांजुरमार्ग, विक्रोली और पवई के लोगों ने दी। जानकारी के मुताबिक जुलाई 2020 में अहमदाबाद की ढोलका तहसील के सिमीज- ढोली गांव में बड़ा हादसा हुआ। यहां  चिरिपाल ग्रुप ऑफ कंपनीज के गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स लिमिटेड में जहरीली गैस का रिसाव हो गया।

कोरोना महामारी के संकट के दौरान गैस के औद्योगिक हादसे भी देखने को मिले। इन हादसों में कई लोगों की जान चली गई। कुल मिलाकर देखा जाए तो ये सभी हादसे किसी-ना-किसी लापरवाही की वजह से ही हुए हैं, लेकिन हमने हर बार के हादसे को एक हादसा समझा और सबक नहीं लिए, ना ही गैस रिसाव के दौरान आपातस्थिति के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए।
रात गई बात गई सबकी बीमारी लगभग वही है भूलना और लापरवाही बरतना। जिसके चलते मरीजों में सांस लेने में तकलीफ, फेफड़े ख़राब और आंखों में जलन देखने के साथ मौत का मुंह देखना पड़ता है।


 

Created On :   2 Dec 2021 6:57 PM IST

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