डब्ल्यूबीएसएससी घोटाला : पार्थ चटर्जी, तीन अन्य को 5 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया
- 5 अक्टूबर तक समान न्यायिक हिरासत का आदेश
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी को करोड़ों रुपये के पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती में अनियमितता घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए 5 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
अदालत ने इस संबंध में गिरफ्तार तीन अन्य लोगों के लिए 5 अक्टूबर तक समान न्यायिक हिरासत का आदेश दिया। तीन अन्य आरोपी पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीबीएसई) के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गंगोपाध्याय, डब्ल्यूबीएसएससी के पूर्व सचिव, अशोक साहा और डब्ल्यूबीएसएससी की स्क्रीनिंग कमेटी के पूर्व संयोजक, एसपी सिन्हा हैं। इसका मतलब ये हुआ कि इन चारों को दुर्गा पूजा का त्योहारी सीजन सलाखों के पीछे बिताना होगा। उन्हें दक्षिण कोलकाता में प्रेसीडेंसी केंद्रीय सुधार गृह में रखा जाएगा। सीबीआई के वकील ने कोर्ट से चार आरोपियों से सुधार गृह में पूछताछ करने की अनुमति मांगी। हालांकि, विशेष अदालत के न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में केंद्रीय एजेंसी के आवेदन में कुछ तकनीकी गलतियां थीं और सीबीआई के वकील को जल्द से जल्द एक नया आवेदन जमा करने को कहा।
मामले की जांच कर रहे सीबीआई के अधिकारियों ने एक सीलबंद लिफाफे में अपनी जांच की प्रगति पर एक रिपोर्ट भी सौंपी। रिपोर्ट में, उन्होंने बताया कि कैसे पार्थ चटर्जी ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में शामिल होने के संबंध में तृणमूल कांग्रेस के विधायक और पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीबीपीई) के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के खिलाफ कई शिकायतों की अनदेखी की। इस मामले में सीबीआई के वकील ने माणिक भट्टाचार्य के खिलाफ शिकायत करने वाले पार्थ चटर्जी के मोबाइल फोन पर आए एक एसएमएस संदेश का हवाला दिया। हालांकि, सीबीआई ने बताया, उस शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय, पार्थ चटर्जी ने भट्टाचार्य को संदेश भेजा।
बुधवार को, पार्थ चटर्जी ने खुद इस तर्क में भाग लिया और दावा किया कि तत्कालीन राज्य के शिक्षा मंत्री के रूप में डब्ल्यूबीएसएससी भर्ती प्रक्रिया में उनका कोई हाथ नहीं था। उन्होंने कहा, अगर कोई सड़क दुर्घटना होती है, तो राज्य के परिवहन मंत्री को गिरफ्तार नहीं किया जाता है। उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई के वकील ने कहा कि अगर इस समय जमानत पर रिहा किया जाता है, तो पार्थ चटर्जी सबूतों से छेड़छाड़ करने और गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं। अंतत: सभी पक्षों को सुनने के बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने चारों आरोपियों को 5 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
(आईएएनएस)
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Created On :   21 Sept 2022 9:00 PM IST