गोलाघाट जिले में बिजली का करंट लगने से हुई हथिनी की अप्राकृतिक मौत
डिजिटल डेस्क, गुवाहाटी। असम के गोलाघाट जिले में रविवार को बिजली का करंट लगने से अपने बच्चे को दूध पिलाने वाली एक हथिनी की मौत हो गई। असम वन एवं पर्यावरण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पूर्वी असम के गोलाघाट जिले के ढोलागांव पाथर में रविवार तड़के बिजली का करंट लगने से 18 वर्षीय मादा हथिनी की मौत हो गई। करंट लगने से जंगली हाथी के शरीर पर जलने के कई निशान थे। अधिकारी ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद कहा, शव के पास 11 केवी लाइन का बिजली का एक खंभा झुका हुआ पाया गया था। शायद हाथियों के शरीर रगड़ने करने के कारण खंभा झुक गया था। बिजली की लाइनें 6 फीट ऊंचाई पर लटकी हुई थीं।
जंबो की मौत के सही कारणों का पता लगाने के लिए पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है। 15 अक्टूबर को, पश्चिमी असम के गोलपारा जिले के कन्याकुची रिजर्व फॉरेस्ट के शांतिपारा में एक धान के खेत में एक छह वर्षीय हाथी मृत पाया गया था। इस साल असम के विभिन्न हिस्सों में किसानों द्वारा अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए लगाए गए अवैध बिजली के बाड़ से कम से कम 13 हाथियों की मौत हो गई। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 2011 और 2019 के बीच असम में 90 से अधिक हाथियों को करंट लग गया था। बिजली के झटके, जहर और प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी हाथियों की मौत हो गई, जिसमें मई में नागांव जिले में बिजली गिरने से 18 हाथी मारे गए।
दूसरी सबसे बड़ी हाथी आबादी के साथ, असम 5,719 की आबादी के साथ एशियाई हाथियों का घर है, जैसा कि 2017 में हुई पिछली गणना के अनुसार है। वनों की कटाई और हाथियों के आवासों के विनाश और चारे के संकट के कारण, असम में पुरुष-हाथी संघर्ष बढ़ रहा है। वन्यजीव अधिकारियों के अनुसार, असम में पिछले 10 वर्षों के दौरान मानव-हाथी संघर्षों में 890 लोगों की मौत हुई है, जिसमें सोनितपुर जिले में सबसे अधिक 124 मौतें दर्ज की गई हैं, इसके बाद उदलगुरी जिले में 118 और गोलपारा जिले में 78 मौतें हुई हैं। इस साल असम के विभिन्न हिस्सों में हाथी के हमले से अब तक महिलाओं सहित 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
(आईएएनएस)
Created On :   24 Oct 2021 6:00 PM GMT