अमीर खुसरों की पंक्ति को सही ठहराती फिल्मों से समझिए धरती के स्वर्ग और भारत की सुंदर धरोहर को
- धरती पर स्वर्ग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त" मतलब "धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं है, यही हैं"। ये पंक्तियाँ कवि अमीर खुसरो ने लिखी थी, जो कश्मीर कि खूबसूरती को एक अलग अंदाज मे बयां करती है।
कश्मीर कि सुदंर खूबसूरती को कई फिल्म निर्माताओं ने अपनी फिल्मों में दर्शाया है। कैमरे में रिकॉर्ड कर देश के साथ साथ दुनिया के कोने कोने तक पहुंचाने का काम किया है। हर निर्देश ने कैमरे के अलग अलग एंगल के साथ साथ अलग अंदाज में लोगों के सामने प्रदर्शित किया है। सुंदर दृश्य देख कर दर्शक चकित होने के साथ साथ तरीफ करते थकते नहीं हैं। कश्मीर के संवेदनशील मुद्दे पर फिल्म बनाने में कई फिल्म निर्माताओं ने प्रकृति की सुंदरता के साथ साथ अपना हुनर दिखाया है।
कहा भी जाता है सिनेमा समाज को दर्शाता है। तभी तो सिनेमा को समाज का आईना कहा जाता है। घाटी में सुंदर दृश्यों के बीच तरह-तरह की फिल्में अमीर खुसरो के कहे शब्दों के अर्थ को बताती है और साथ ही कश्मीर के संघर्ष को दिखाती है। आगे जानिए ऐसी फिल्में के बारे में जो कश्मीर के ऊपर बनी है और कश्मीर के मद्दों पर बात करती है।
हरुडो (2010)
हरुडो का अर्थ शरद ऋतु ये फिल्म शरद ऋतु के महीने पर आधारित है। फिल्म शुरूआत में एक सवाल पेश करती है कि "कश्मीर किसका है?"। यह एक सवाल कश्मीर के लोगों के लिए है, जिसे लेकर उनका संघर्ष जारी है। फिल्म कश्मीर के एक आम परिवार की कहानी बताती है, जो एक बेटे के खोने के बाद साथ रहने के लिए संघर्ष कर रहा है। फिल्म में रफीक नाम का एक लड़का भरतीय सीमा पार कर पाकिस्तान जाने की असफल कोशिश करता है। आखिरकार वो हार मान लेता है। फिर बाद में उसे अपने भाई का खोया हुआ कैमरे मिलता है और कहानी वहीं से आगे बढ़ती है। 2010 टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में फिल्म का प्रीमियर प्रसारित हुआ था।
हामिद
यह फिल्म कोई बॉलीवुड मसाला फिल्म नहीं है, मगर जब आप इस फिल्म को देखेगें तो अल्लाह और कश्मीर के मुद्दों पर सात साल के मासूम बच्चे हामिद के सवाल आपको विचलित कर देगें, प्री क्लाइमेक्स तक आते-आते आपको इतना भावुक कर देगें कि आपकी आंखों से आंसू आ जाएगें, मगर वो कहते हैं न, जिंदगी हर हाल में खूबसूरत होती है, तो अंत में यह फिल्म भी आपको जीवन की विषमताओं और कुरूपताओं से परे एक उम्मीद दे जाती है।
शिकारा
फिल्म में कश्मीरी पंडितों पे हुए अत्याचार को दिखाया है। आज से करीब 30 साल पहले, 19 जनवरी 1990 को हजारों कश्मीरी पंडितों को आतंक का शिकार होकर अपना घर छोड़ना पड़ा था। उन्हें उम्मीद थी कि वे जल्दी ही अपने घरों में दोबारा से उसी तरह रह पाएंगे, जैसे दशकों से रहते आए थे। उन्हें उम्मीद थी कि उनके लिए संसद में शोर मचेगा, लेकिन उनके पक्ष में कहीं से कोई आवाज नहीं उठी। फिल्म निर्देशक विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘शिकारा’ इसी तथ्य के आसपास रख कर बुनी गई। फिल्म एक कश्मीरी पंडित जोड़े की प्रेम कहानी के रूप में ज्यादा प्रस्तुत कि गई है।
यहां (2005)
यह फिल्म वर्ष 2005 में रिलीज हुई एक बॉलीवुड वॉर रोमांस ड्रामा है, जिसका निर्देशन शूजीत सरकार ने किया है। फिल्म में जिम्मी शेरगिल, मिनिषा लांबा और यशपाल शर्मा मुख्य भूमिका में नजर आये थे।
तहान (2008)
यह फिल्म वर्ष 2008 में रिलीज हुई एक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन संतोष सिवान ने किया है। फिल्म में पूर्व भांडरे, राहुल बोस, अनुपम खेर, सारिका आदि मुख्य भूमिका में नजर आये। तहान (पूरब भंडारे) एक अठारह वर्षीय बालक है, जो कश्मीर के एक शांतमय पशु बाडे़ में अपनी मा़ (सारिका) और बहन (सना शेख) के साथ रहता है। उसका पिता तीन वर्षो से लापता है। उसके पास एक बीरबल नाम का एक गधा है, जो कि उसका सबसे अच्छा दोस्त है। एक व्यापारी द्वारा बीरबल(गधा) को कही बेच दिया जाता है और फिल्म कि कहानी इसके इर्द गिर्द घूमती है।
Created On :   15 March 2022 4:13 PM IST