बुरी खबर: तो क्या भारत संक्रमण फैलने के तीसरे चरण में है? 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' के संकेत मिले
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 896 नए मामले आए हैं और 37 लोगों की मौत हुई है। इसके साथ देश में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 6761 हो गई है। इसमें 6039 सक्रिय हैं, 516 स्वस्थ हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और 206 लोगों की मौत हो गई है। वहीं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक रिपोर्ट भारत के लिए एक बुरी खबर लेकर आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार ऐसे संकेत मिले हैं कि भारत अब कोरोना वायरस के फैलने के तीसरे चरण यानी "कम्युनिटी ट्रांसमिशन" की ओर बढ़ गया है।
दरअसल, भारत में कोरोना संक्रमण की व्यापकता का पता लगाने के लिए ICMR के वैज्ञानिक लगातार टेस्टिंग कर रहे हैं। इस तरह की टेस्टिंग का एक उद्देश्य ये होता है कि हम समय रहते पता लगा लें कि भारत कोरोना संक्रमण के किस स्टेज में हैं। ऐसी ही एक रिपोर्ट बीते दिन ICMR ने जारी की है। इस रिपोर्ट के लिए 5911 सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (SARI) मरीजों की जांच कोरोना संक्रमण के लिए की गई। उनमें से 104 मरीजों में कोरोना संक्रमण के लक्षण पाए गए हैं। यानी कुल 1.8 फीसदी मामलों में संक्रमण मिला है। ये वो मरीज हैं, जिनको सांस लेने संबंधी बीमारी थी। पॉजिटिव पाए गए 104 मरीजों में से 40 मरीज न तो विदेश से आए थे और न ही कोरोना संक्रमण वालों के कांटेक्ट में। इसलिए ये रिपोर्ट भारत के लिए चौकानी वाली है।
क्या है कम्युनिटी ट्रांसमिशन
- ICMR के अनुसार कोरोना वायरस फैलने के चार चरण हैं। पहले चरण में वे लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए जो दूसरे देश से संक्रमित होकर भारत पहुंचे। भारत यह स्टेज पार कर चुका है, क्योंकि ऐसे लोगों से भारत में स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैल चुका है।
- दूसरे चरण में स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैलता है, लेकिन ये वे लोग होते हैं जो विदेश से लौटे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद जाने अनजाने वायरस का विस्तार कर देते हैं।
- तीसरा चरण यानी "कम्युनिटी ट्रांसमिशन" जो खतरनाक होता है। इसे लेकर भारत सरकार चिंतित है। कम्युनिटी ट्रांसमिशन तब होता है, जब कोई व्यक्ति किसी ज्ञात संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए बिना या वायरस से संक्रमित देश की यात्रा किए बिना ही इसका शिकार होने लगता है। ICMR रिपोर्ट में पहली बार किसी सरकारी एजेंसी ने स्वीकार किया है कि 100 से अधिक मामले ऐसे हैं जो न तो विदेश से आए हैं और न ही वहां से आने वालों के संपर्क में आए है।
21 राज्यों में जांच के आधार पर तैयार की रिपोर्ट
ICMR के अनुसार ये रिपोर्ट देश के 21 राज्यों के 52 जिलों में जांच के आधार पर की गई थी। जिन लोगों के सैम्पल टेस्ट किए गए, उनमें से ज्यादातर पुरुष थे और 50 से अधिक की उम्र पार कर चुके SARI मरीज भी थे। चूंकि कोरोना संक्रमण के लक्षण SARI के मरीज से काफी मिलते जुलते हैं। इसलिए इस जांच में सरकार फिलहाल SARI के मरीजों को ही इस दायरे में रख रही है। हालांकि ICMR ने अपने रिपोर्ट में न तो कम्युनिटी ट्रांसमिशन का जिक्र किया गया है और न ही स्टेज 3 का, लेकिन रिपोर्ट के बाद ICMR का कहना है कि हॉटस्पॉट एरिया में अब टेस्टिंग को और बढ़ाने की की जरूरत है।
ICMR ने अपनी रिपोर्ट पर पक्ष रखा
बीबीसी के अनुसार 9 अप्रैल की रिपोर्ट पर ICMR के वैज्ञानिक डॉ मनोज मुरहेकर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट का मतलब ये न निकाला जाए कि हर जगह अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो गया है। ऐसे पॉजिटिव मामले जहां भी हमें मिले हैं वो केवल उन जगहों पर हैं, जिन्हें हम पहले से हॉटस्पॉट घोषित कर चुके हैं। डॉ मनोज इस रिपोर्ट की रिसर्च टीम के सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे मामले केवल 52 जिलों तक ही फिलहाल सीमित हैं। आने वाले दिनों में हॉटस्पॉट इलाकों में हमें ज्यादा से ज्यादा ऐसे मामले देखने को मिलेंगे, जहां पॉजिटिव मरीज न तो विदेश गया था और न ही ऐसे किसी व्यक्ति के संपर्क में आए होंगे। बावजूद इसके वह कोरोना से संक्रमित हो गया। कुछ ऐसा ही हमने अपनी नई स्टडी में पाया है।
केंद्र सरकार का कम्युनिटी ट्रांसमिशन से इनकार
ICMR की ताजा स्टडी पर बयान देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि देश में अगर कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति में होगा तो हम सबसे पहले आपको बताएंगे। उन्होंने कहा कि ये स्टडी SARI वाले मरीजों पर ही की गई है। इनकी रिपोर्ट भी VRDL लैब्स में आई है, जो उसी इलाके में हैं। ये सारे मरीज उन्हीं इलाके में मिले हैं, जहां पहले से कोरोना संक्रमित मरीज हैं। इसका मतलब बस इतना है कि हमें उन लोगों की और कांटेक्ट ट्रेसिंग करने की ज़रूरत है।
15 फरवरी से 2 अप्रैल के बीच की गई स्टडी
बीबीसी के अनुसार ICMR ने यह रिपोर्ट 15 फरवरी से 2 अप्रैल के बीच की गई स्टडी के बाद तैयार की है।इस दौरान 5911 लोगों के सैम्पल लिए गए। इनमें से 104 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। भारत में रैपिड टेस्टिंग को मंजूरी दे दी गई है। ऐसे में अब ICMR आने वाले दिनों में ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करेगा।
तो क्या स्टेज थ्री का खतरा बढ़ जाएगा
बीबीसी के अनुसार भारत के स्टेज थ्री की ओर बढ़ने के सवाल के जवाब में डॉ. मनोज ने कहा कि हमने पहले से ही ज्यादा लोगों की टेस्टिंग शुरू कर दी है। हर हॉटस्पॉट के लिए जो नया कंटेन्मेंट प्लान केंद्र सरकार ने बनाया है उसके मुताबिक जिन इलाकों को हॉटस्पॉट चिह्नित किया गया है, उनमें हर किसी की टेस्टिंग होगी। 9 अप्रैल 2020 को भारत में तकरीबन 16000 कोरोना मरीजों की जांच हुई थी, जिसमें 320 लोग ही पॉजिटिव पाए गए थे। एक दिन में होने वाली ये अब तक की सबसे ज्यादा टेस्टिंग है।
भारत में टेस्टिंग की रणनीति में बदलाव की जरुरत
बीबीसी के अनुसार भारत में पहला केस आने के बाद से अब तक करीब 1 लाख 45 हजार टेस्टिंग हो चुकी है। बाकी देशों के मुकाबले ये बहुत कम है, लेकिन ICMR अब तक ये दावा करता रहा है कि हमें इससे ज्यादा टेस्ट करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, 9 अप्रैल को ही ICMR ने टेस्टिंग को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की है। इसके अनुसार हर हफ्ते 80 हजार से 1 लाख के बीच लोगों की टेस्टिंग हो पाएगी।
भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन आना तय है पर हम समय बढ़ा सकते हैं
बीबीसी के अनुसार ICMR रिपोर्ट पर डॉ. मनोज कहना है कि जिन 52 जिलों से कोविड-19 पॉजिटिव मामले मिले हैं, उन्हें हॉटस्पॉट मानकर हमें काम करना होगा। हमें इस बात पर फोकस करना होगा कि संक्रमण इन हॉटस्पॉट से बाहर न फैले और यहीं जड़ से खत्म कर दिया जाए। डॉ. मनोज ने बताया कि भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन जरूर आएगा, इसे हम रोक नहीं सकते, लेकिन अपने प्रयासों से इसमें देरी जरूर की जा सकती है, लेकिन ये कब आएगा इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता।
सरकार के सामने सबसे बड़ा संकट
ICMR की इस रिपोर्ट से केंद्र सरकार की चिंताएं और अधिक बढ़ गई है। वर्तमान में लॉकडाउन के बावजूद भारत में लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ी है। ऐसे में देखने वाली बात ये हैं कि सरकार का अगला कदम क्या होता है। सरकार देश में 24 मार्च से 21 लगे लॉकडाउन को हटती है या नहीं, क्योंकि 21 दिन के लॉकडाउन की समयावधि 14 अप्रैल को खत्म हो जाएगी। सरकार के सामने फिलहाल बहुत बड़ा संकट मजदूर वर्ग को लेकर भी है। बता दें कि लॉकडाउन के कारण भारत में करीब 40 लोगों पर रोजी रोटी का संकट है। केंद्र सरकार को अब दोनों ही स्थिति से निपटना होगा।
Created On :   11 April 2020 4:01 AM IST
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