पहाड़ का लीती गांव हो रहा था खाली, महिलाओं ने होम स्टे से बदली गांव की तकदीर

The village of Liti in the mountain was getting empty, women changed the fate of the village from home stay
पहाड़ का लीती गांव हो रहा था खाली, महिलाओं ने होम स्टे से बदली गांव की तकदीर
उत्तराखंड पहाड़ का लीती गांव हो रहा था खाली, महिलाओं ने होम स्टे से बदली गांव की तकदीर
हाईलाइट
  • कुछ वक्त पहले तक लीती गांव भी पलायन से लड़ रहा था।

डिजिटल डेस्क, बागेश्वर। पलायन को कैसे मात देनी है, ये कोई बागेश्वर के लीती गांव की महिलाओं से सीखे। इस गांव में रहने वाली महिलाओं ने बेरोजगारी और पलायन की समस्या को दूर करने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया है। गांव की 30 महिलाएं मिलकर क्षेत्र में होम स्टे चला रही हैं। होम स्टे यानि पर्यटक यहां आकर रहें और यहां के भोजन, रीति रिवाज का आनंद लें, वह भी खालिस स्थानीय तरीके से। इनमें फाइव स्टार होटलों सी बनावट नहीं होती। इसलिए यह कॉन्सेप्ट काफी मशहूर हो चुका है। उत्तराखंड में पलायन की समस्या कितनी गंभीर है, ये हम सब जानते हैं। पहाड़ के सैकड़ों गांव खाली हो गए हैं। कुछ वक्त पहले तक लीती गांव भी पलायन से लड़ रहा था।

ऐसे में गांव की महिलाओं ने हिम्मत करके यहां होम स्टे की शुरूआत की। वैसे तो पूरे उत्तराखंड में ही होम स्टे संचालित हो रहे हैं, लेकिन बागेश्वर जिले के लीती गांव में 30 होम स्टे हैं। कोरोना महामारी के दौरान ये होम स्टे उन लोगों के लिए वरदान साबित हुए जो शहर के प्रदूषण और संक्रमण से दूर प्रकृति के पास आइसोलेशन में रहकर वर्क फ्रॉम होम सुविधा का लाभ उठाना चाहते थे।

गांव में होम स्टे की शुरूआत साल 2018 में हुई थी। पहले पहल 6 महिलाएं आगे आईं। उन्होंने अपनी जमा-पूंजी से यह काम शुरू किया। काम जमने लगा तो दूसरी महिलाओं ने भी इस कांसेप्ट को अपनाना शुरू कर दिया। अब सरकार भी होम स्टे के लिए लोन देने लगी है। राज्य सरकार एक होम स्टे बनाने के लिए 30 लाख तक का लोन देती है। इसमें 50 प्रतिशत अनुदान होता है और बाकी के लोन के ब्याज में 50 पर्सेट की छूट भी होती है। इन महिलाओं का आपसी मेलजोल इनकी कामयाबी की बड़ी वजह है। एक होम स्टे में एक महीने में औसतन 10 से 12 लोग ठहरने आते हैं। बनावटी होटलों की जगह लोग इन होम स्टे में ठहरने को प्राथमिकता दे रहे हैं। अच्छी बात ये है कि होम स्टे से गांव में रौनक बढ़ने के बाद घर छोड़कर बाहर कमाने गए युवा भी वापस लौटने लगे हैं। पिछले कुछ महीनों में कई लोग बाहरी राज्यों से वापस बागेश्वर लौट चुके हैं और होम स्टे के माध्यम से अपनी आजीविका चला रहे हैं।

 

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Created On :   2 Sept 2022 10:00 AM GMT

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