हाईवे पर बना डेढ़ सौ साल पुराना हनुमान मंदिर नई जगह होगा शिफ्ट, कई मान्यताओं वाले इस मंदिर की शिफ्टिंग पर विवाद बढ़ा तो मुस्लिम परिवार ने पेश की अनोखी मिसाल
- हाईवे के बीचों बीच है मंदिर
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले का डेढ़ सौ साल पुराना हनुमान मंदिर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल बनने जा रहा है। इस मंदिर को इसकी डेढ़ सौल पुरानी जगह से हटा कर नई जगह शिफ्ट किया जा रहा है। मंदिर की शिफ्टिंग पर हिंदूवादी संगठनों ने जमकर बवाल किया। जिसके बाद एक मुस्लिम परिवार ने आगे आकर मंदिर के लिए अपनी जमीन दान की है। अब पुरानी जगह से इस मंदिर को जैक की मदद से निकाला जा रहा है। जिसके बाद इसे मुस्लिम शख्स की जमीन पर स्थापित किया जाएगा।
जैक की सहायता से दूसरे जगह शिफ्ट किया गया मंदिर
इस पूरे मामले को लेकर तिलहर की एसडीएम राशि कृष्णा ने कहा कि हनुमान मंदिर को सफलतापूर्वक पीछे किया जा रहा है। मंदिर को लेकर दावा है कि ये आज से करीब 150 साल पुराना मंदिर है। जो तिलहन थाना क्षेत्र के नेशनल हाईवे 24 पर बीचों-बीच बना हुआ है। जिसकी वजह से यातायात बाधित होता है। वहीं जब इस मंदिर को हटाने की बात सामने आई थी तो वहां के स्थानीय लोगों ने इसका काफी विरोध किया था। हिंदू संगठन ने मंदिर के स्थान बदले जाने पर खूब विरोध प्रदर्शन भी किया था। जिसके एवज में प्रशासन ने मंदिर का स्थानतंरण का काम रोक दिया। स्थानीय लोगों के साथ समन्वय बनाकर एनएचएआई और प्रशासन ने मंदिर को जैक की सहायता से दूसरे जगह शिफ्ट करने का जिम्मा उठाया।
हाईवे के बीचों बीच है मंदिर
नेशनल हाईवे 24 पर मौजूद कछियाना खेड़ा नाम की जगह स्थित इस हनुमान मंदिर को लेकर काफी मान्यता है। मंदिर को लेकर स्थानीय लोगों से तरह-तरह के किस्से सुनने को मिलते हैं। वहां के लोगों का कहना है कि जब भी इस मंदिर को तोड़ने के लिए कार्रवाई शुरू की गई तब कोई न कोई घटना घट जाती थी। जिसको लेकर अब मंदिर को तोड़ने के बजाय दूसरे जगह शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया है। हनुमान मंदिर के महंत राम लखन गिरी ने इस पूरे मसले को लेकर कहा कि मैं प्रशासन के इस कार्रवाई का विरोध करता हूं। मंदिर को पीछे ले जाने में हमारी सहमति नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि मंदिर को हटाया न जाए, इसको लेकर अदालत में दो मुकदमें चल रहे हैं, मंदिर को शिफ्ट करने का जिम्मा एसडीएम का है, जो इस मंदिर कमेटी की अध्यक्ष हैं।
मुस्लिम परिवार ने दी जमीन
हनुमान मंदिर का इतिहास सीधे एक मुस्लिम परिवार से जाकर जुड़ता है। इस मंदिर के किनारे ही कस्बा तिलहर नाम का एक इलाका स्थित है। जहां के हसमत अली उर्फ बाबू अली ने हनुमान मंदिर के लिए करीब एक बीघा जमीन दान में दे दी । हसमत अली ने अपनी एक बीघा जमीन हनुमानजी के नाम कर दी, रजिस्ट्री में जिसका नॉमिनी एसडीएण राशि कृष्णा को बनाया है। रजिस्ट्री कराने के बाद बाबू अली ने रजिस्ट्री के पेपर्स हनुमान जी के चरणों में रख दिए। जिसके बाद से ही ये मंदिर चर्चा में बना हुआ है।
Created On :   11 Jan 2023 4:35 PM IST