सरकार की कानून वापसी किसानों की घर वापसी , किसानों का स्वागत करेगी पंजाब सरकार
- अन्नदाता के भीतर जीत की खुशी
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। एक साल से आंदोलनरत किसान आंदोलन में किसानों की घर वापसी के साथ अस्थायी बने घर अब उजड़ने लगे हैं। किसानों ने आंदोलन को बनाए रखने और खुद को बने रहने के लिए खुले आसमान के नीचे गर्मी सर्दी से बचने के लिए तंबू और टेंट का घर बनाया। किसान इनके भीतर गर्मी-सर्दी सहते रहे और डटे रहे अंत में किसान सरकार को झुका कर कृषि कानूनों की वापसी के साथ अपनी मांगों को मनवाकर अब घर लौटने जा रहे हैं।
13 दिसंबर को किसान अमृतसर में स्वर्ण मंदिर जाएंगे और श्री दरबार साहब में मत्था टेकेंगे। अन्नदाता अनाज उगाने के काम में जुट जाएंगे और दिल्ली की चमचमाती सड़कों पर एक साल बाद गाड़ियां फर्राटा भरकर दौड़ना शुरू कर देंगी। एक साल से अधिक समय के बाद आज किसानों के चेहरे पर खुशी और उत्साह देखने को मिल रहा है। उनके अंदर जीत का भाव है। और जीत की खुशी उनके चेहरे से साफ झलक रही है। किसानों परिवारों की तरफ से आज पूरे देश में विजय दिवस मनाया जा रहा है।
15 दिसंबर के बाद सभी पंजाब-हरियाणा सब जगह टोल, मॉल और पेट्रोल पंप पर चल रहा प्रदर्शन खत्म हो जाएगा। सभी हाइवे पूरी तरह खाली हो जाएंगे। हाइवे पर किसान, सरकार और यात्रियों की आवाजाही में बाधा बने बैरिकेडिंग हट जाएगा और दोबारा से गाडियां हाइवे पर दौडने लगेगी।
कृषि कानूनों की वापसी और अपनी मांगों के केंद्र सरकार से मनवाकर दिल्ली से हरियाणा पंजाब तक से किसान अपने घर जीत की खुशी के साथ वापस लौट रहे हैं। आंदोलन के दौरान बनाए गए ईंटों के मकानों को किसानों ने तोड़ दिया है, सड़क से तंबू, टेंट और पंडाल हटाए जा रहे हैं। आंदोलनरत किसानों ने ट्रैक्टर ट्रॉलियों तक में घर बना रखा था। अब ये ट्रैक्टर ट्रॉलियां अपने खेतों में वापस काम में जुट जाएगी।
दिल्ली की सीमाओं से लौटने वाले किसानों की घर वापसी पर पंजाब सरकार उनका जोरदार स्वागत करेंगी। किसानों, मजदूरों और संयुक्त किसान मोर्चा को बधाई देते हुए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने ऐलान करते हुए कहा है कि ये केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों की जीत है। चन्नी ने कहा कि उनकी सरकार ने 350 मृत किसानों के परिवार के सदस्यों को नौकरी और वित्तीय सहायता भी दी जाएंगी। राज्य सरकार अपनी माटी के बेटों का स्वागत करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान और जनता, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और उसके नेताओं के धैर्य की परीक्षा के लिए उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि यह किसानों के लिए आसान जीत नहीं थी क्योंकि उन्हें केंद्र के अहंकार की भारी कीमत चुकानी पड़ी क्योंकि आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की जान चली गई है।
Created On :   11 Dec 2021 9:55 AM IST