लोकसभा चुनाव 2019 में गेम चेंजर बन सकते हैं पूर्वोत्तर राज्य
- 25 सीटें वाले पूर्वोत्तर राज्यों में साल 2014 में भाजपा ने जीती थीं 8 सीटें
- पूर्वोत्तर के सभी राज्य विधानसभा में कांग्रेस मुक्त है
- लोकसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकते हैं पूर्वोत्तर राज्य
डिजिटल डेस्क, भोपाल। लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा के बाद पूर्वोत्तर राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक परिदृश्यों में कुछ न कुछ बदलाव का माहौल साफ नजर आ रहा है। इस बार के चुनाव में पूर्वोत्तर राज्यों को गेम चेंजर माना जा रहा है। पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में कुल 25 सीटें हैं। इनमें बड़े राज्य असम को छोड़कर बाकी अन्य राज्यों में एक या दो ही सीटें है। सामान्य परिस्थितियों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु या महाराष्ट्र जैसे अधिक सीट संख्या वाले राज्यों पर भाजपा या कांग्रेस जैसे किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल ने इतना ध्यान नहीं दिया होगा, लेकिन इस पूर्वोत्तर राज्य बहुत बड़े गेम चेंजर बन सकते हैं।
इस बार भी भाजपा मजबूत स्थिति में नहीं है, क्योंकि यह केवल असम, अरूणाचल प्रदेश में शाब्दिक रूप से शासन करती है, सिर्फ मणिपुर और त्रिपुरा में दूसरों के साथ गठबंधन में है। शेष तीन राज्यों मेघालय, मिजोरम, नागालैंड में इसकी उपस्थिति बहुत कम है और क्षेत्रीय दलों की पीठ पर लद के चल रही है। 32 सदस्यीय सिक्किम विधानसभा में इसकी एक भी सीट नहीं है और न ही अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में। जहां तक लोकसभा सीटों का सवाल है, असम में पार्टी की सबसे बड़ी उपस्थिति सात सीटों के साथ है जबकि मीणपुर में दो और अरूणाचल प्रदेश में एक सीट है। शेष राज्यों में एक भी लोकसभा सीट नहीं है, लेकिन नागालैंड, मेघालय और सिक्किम में सहयोगी है।
लोकसभा चुनाव में सीटों का लक्ष्य
लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने 25 सीटों में से 8 असम में 7 और अरूणाचल प्रदेश में 1 जीती थीं। अब 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा इस क्षेत्र से 21 सीटों का लक्ष्य रख रही है, जो इस क्षेत्र की तथ्यात्म स्थिति को देखते हुए बहुत मुश्किल लग रहा है।
कांग्रेस के पास तीन सीपीएम के पास एक सीट
मौजूदा स्थिति की बात करें तो कांग्रेस के पास असम में तीन लोकसभा सीटें है और मेघायल, अरूणाचल प्रदेश और मिजोरम में एक-एक सीट हैं। कांग्रेस के पास कुल 6 सीटें है। जबकि सीपीएम के पास त्रिपुरा में दो सीटें है और शेष सभी सीटें सिक्किम में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, नागालैंड में नागा पीपुल्स फ्रंट जैसी क्षेत्रीय पार्टियों की हैं।
भाजपा के पास बड़ी उपलब्धि नहीं
लोकसभा चुनाव में भाजपा के पास पिछले पांच सालों में बोगीबिल पुल बनाने के अलावा कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। एनआरसी जैसे अन्य मुद्दों पर बांग्लादेश से आने वाले अल्पसंख्यकों को रोकने के मुद्दे ने कई मतदाताओं को दूर कर दिया है। असम, अरूणाचल प्रदेश में भाजपा को दो सीटें मिल सकती हैं। यही हाल नागालैंड, सिक्किम और मेघालय का भी है। बयानबाजी को छोड़कर, मोदी सरकार ने दूरस्थ, भूमिहीन और पिछड़े क्षेत्र के लिए कुछ भी उल्लेखनीय कार्य नहीं किया है। एक्ट ईस्ट पॉलिसी के बारे में बहुत अधिक चर्चा की जाती है, पर इस क्षेत्र में कोई बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई है। 97 प्रतिशत सीमा पड़ोसी राष्ट्रों से लगी हुई है। सफल विदेशी नीति के इस क्षेत्र में अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
Created On :   21 Feb 2019 3:52 PM IST