सिंघू बॉर्डर पर मारे गए लखबीर का अंतिम संस्कार सिख परंपरा के अनुसार करें
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष विजय सांपला ने सोमवार को अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सिंघू बोर्डर पर मारे गए लखबीर सिंह का अंतिम संस्कार सिख रेहत मर्यादा (परंपरा) के अनुसार होना सुनिश्चित किया जाए। सांपला ने जत्थेदार को लिखे पत्र में कहा, आपको पंजाब के एक अनुसूचित जाति सिख लखबीर सिंह की दिल्ली-हरियाणा सीमा के पास सिंघू में किसानों के विरोध स्थल पर नृशंस हत्या के बारे में पता होना चाहिए। आपको यह भी जानकारी मिली होगी कि कुछ लोगों, विशेषकर सत्कार समिति के सदस्यों ने श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी का हवाला देते हुए सिख रीति-रिवाजों के अनुसार उसके दाह संस्कार पर आपत्ति जताई थी। वायरल वीडियो में, दोषियों और अन्य लोगों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि लखबीर सिंह ने सिख पवित्र ग्रंथ का अनादर किया था। लेकिन वास्तव में, सोशल मीडिया या समाचार संगठनों पर ऐसा कोई वीडियो सामने नहीं आया है जो यह साबित कर सके कि लखबीर सिंह ने बेअदबी की है। एनसीएससी प्रमुख ने कहा कि किसान संगठनों द्वारा प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दिए गए बयानों के अनुसार, लखबीर गुरुग्रंथ साहिब के बजाय सरबलो ग्रंथ के साथ पाया गया था।
वायरल वीडियो में से एक में लखबीर सिंह अपने कटे हुए हाथ के साथ जमीन पर लेटा हुआ दिखाई दे रहे था, जबकि एक अन्य वीडियो में, उसे धरना दे रहे किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के मुख्य मंच के पास उल्टा लटका हुआ देखा गया था। सांपला ने कहा, एक तीसरे वायरल वीडियो से पता चलता है कि वह एक सड़क पर बैरिकेड से बंधा हुआ था, शायद मौत के बाद उसे लटका दिया गया होगा। उन्होंने कहा, हम दृढ़ता से मानते हैं कि लखबीर सिंह को तब तक दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए, जब तक कि पुलिस जांच में साबित न हो जाए। सांपला ने यह भी जिक्र किया कि पंजाब में, विशेष रूप से सीमावर्ती जिलों में, बड़ी संख्या में एससी सिखों को मिशनरियों और संस्थानों द्वारा लक्षित और परिवर्तित किया गया है और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि लखबीर सिंह की हत्या और सिख परंपरा के अनुसार उसके दाह संस्कार पर आपत्ति जैसी घटनाएं धर्मातरण अभियान को और तेज करेंगी। सांपला ने जत्थेदार से अनुरोध करते हुए आगे कहा कि लखबीर सिंह का भोग संस्कार सिख परंपरा के अनुसार किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे अनुसूचित जाति समाज में सिख धर्म के प्रति सम्मान बढ़ेगा।
(आईएएनएस)
Created On :   18 Oct 2021 11:30 PM IST