ट्रांसफर की धमकी मिलने का दावा करने वाले जज से सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सुनवाई 3 दिनों के लिए टालें
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट से एक जमानत मामले में सुनवाई तीन दिन के लिए टालने को कहा, जहां इसने राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) के खिलाफ तीखी टिप्पणी की थी। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने एसीबी के कामकाज के खिलाफ अपनी टिप्पणियों के संबंध में स्थानांतरण (ट्रांसफर) की धमकी मिलने का दावा किया था।
कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि टिप्पणी से बचा जा सकता था और पीठ से कुछ दिनों के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया। एडीजीपी सीमांत कुमार सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अमित कुमार ने कहा कि उनके मुवक्किल के एसीआर को खुली अदालत में पढ़ा गया है और उनकी बात सुने बिना ही उनके खिलाफ सख्ती बरती गई है।
मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की टिप्पणियां एकतरफा थीं और अगर न्यायाधीश को वास्तव में एसीबी के साथ कोई समस्या थी, तो वह इसे उचित पीठ द्वारा सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पास भेज सकते थे।
जस्टिस कृष्णा मुरारी और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने सवाल किया, जमानत मांगने वाले आरोपी का क्या हुआ? मेहता ने कहा कि जमानत पर विचार नहीं किया गया और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने एसीबी अधिकारी की गोपनीय रिपोर्ट मांगी और इसे खुली अदालत में अनावश्यक रूप से पढ़ा। पीठ ने कहा: आपको उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को पार्टी बनाना चाहिए था।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आदेश की एक प्रति मांगी और इस सप्ताह के अंत में मामले को सुनवाई के लिए निर्धारित किया। अदालत 7 जुलाई को जमानत के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एच. पी. संदेश द्वारा जारी आदेश के खिलाफ एडीजीपी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि भले ही शीर्ष अदालत ने मामले को आज सूचीबद्ध कर दिया हो, लेकिन न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई कल करने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा, इस पर विचार करते हुए, हमें लगता है कि न्यायाधीश से सुनवाई को 3 दिन के लिए टालने का अनुरोध करना उचित है।
मामला एक आरोपी द्वारा दायर एक आपराधिक याचिका के संबंध में है, जिसे एसीबी ने कथित तौर पर डिप्टी कमिश्नर (बेंगलुरु अर्बन) की ओर से रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। जस्टिस संदेश ने कहा था, आपका एडीजीपी स्पष्ट रूप से शक्तिशाली है। किसी ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से बात की थी जिसने मुझे एक अन्य न्यायाधीश के स्थानांतरण का उदाहरण दिया था। मैं उस न्यायाधीश का नाम लेने में संकोच नहीं करूंगा जिसने यह जानकारी दी। इस अदालत में तबादलों का खतरा है।
न्यायाधीश ने कहा था कि वे न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे। उच्च न्यायालय ने एसीबी के विशेष वकील को रिपोर्ट और एजेंसी द्वारा अपनी स्थापना के बाद से दायर आरोप पत्र सहित रिकॉर्ड डेटा लाने के लिए भी तलब किया।
(आईएएनएस)
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Created On :   12 July 2022 10:00 PM IST