SC ST Act: सरकार के संशोधन को SC ने माना सही, बिना जांच के ही आरोपी होगा गिरफ्तार
- 2018 में सरकार ने कानून में किया था संशोधन
- आरोपी को नहीं मिल सकेगी अग्रिम जमानत
- सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलीलों को खारिज किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2018 को बरकरार रखा है। यानी इस कानून में SC / ST के खिलाफ अत्याचार के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। इसके अलावा मामले पर बिना जांच किए ही आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा। इस कानून को चुनौती देने वाली सभी दलीलों को जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस रविंद्र भट की खंडपीठ ने खारिज कर दिया है। दलीलों में केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल, 2018 में कानून में किए गए संशोधन को चुनौती दी गई थी।
Supreme Court upholds the constitutional validity of SC/ST (Prevention of Atrocities) Amendment Act, 2018 that ruled out any provision for anticipatory bail for a person accused of atrocities against SC/STs. pic.twitter.com/C2LMBwZiO8
— ANI (@ANI) February 10, 2020
सरकार ने किया था कानून में संशोधन
सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2020 को ही यह संकेत दे दिया था कि SC / ST के खिलाफ अत्याचार के आरोपी व्यक्ति की तत्काल गिरफ्तारी और अग्रिम जमानत पर रोक लगाने के लिए कानून में केंद्र द्वारा किए गए संशोधनों को बरकरार रखा जाएगा। दरअसल SC / ST (अत्याचार निवारण) कानून, 1989 के हो रहे दुरुपयोग को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को इस कानून के तहत की जाने वाली शिकायत और गिरफ्तारियों पर रोक लगाई थी।
कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों और आम लोगों के खिलाफ इस कानून के दुरुपयोग के मद्देनजर उसमें गिरफ्तारी के प्रावधानों को बदलाव किया था। इसके बाद SC / ST समुदाय के कुछ लोगों और भीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने देशभर में जमकर हंगामा मचाया था। इस कोहराम को देखते हुए सरकार ने कोर्ट के इस फैसले को पलटने के लिए अप्रैल, 2018 में कानून में संशोधन किया था।
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Created On :   10 Feb 2020 4:19 AM GMT