सुप्रीम कोर्ट ने अपराध के समय नाबालिग पाए गए दोषी को रिहा करने का आदेश दिया

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने अपराध के समय नाबालिग पाए गए दोषी को रिहा करने का आदेश दिया
हाईलाइट
  • शीर्ष अदालत का फैसला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 15 नवंबर
  • 2018 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने बलात्कार-हत्या के दोषी की मौत की सजा को रद्द कर दिया है, क्योंकि यह साबित हो गया था कि अपराध किए जाने की तारीख पर वह नाबालिग था।

न्यायमूर्ति बीआर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा: अपीलकर्ता की दोषसिद्धि को बरकरार रखा गया है, हालांकि, सजा को रद्द कर दिया गया है। इसके अलावा, चूंकि वर्तमान में अपीलकर्ता की आयु 20 वर्ष से अधिक होगी, इसलिए उसे किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) या किसी अन्य बाल देखभाल सुविधा या संस्थान में भेजने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। अपीलकर्ता न्यायिक हिरासत में है। उसे अविलंब रिहा किया जाए।

शीर्ष अदालत ने बलात्कार और हत्या के अपराध के लिए उसे दोषी ठहराने के निचली अदालत के आदेश की पुष्टि की, लेकिन मध्य प्रदेश में दिसंबर 2017 में हुए बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए अभियुक्त को दी गई मौत की सजा को रद्द कर दिया। पीठ ने कहा- यह केवल सजा का सवाल है जिसके लिए किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधान आकर्षित होंगे और 2015 अधिनियम के तहत अनुमेय से अधिक किसी भी सजा को 2015 अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संशोधित करना होगा।

शीर्ष अदालत का फैसला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 15 नवंबर, 2018 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आया। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था और अपीलकर्ता द्वारा अपनी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया था।

इन अपीलों के लंबित रहने के दौरान अभियुक्तों ने नाबालिग होने और परिणामस्वरूप 2015 अधिनियम के प्रावधानों के तहत उपलब्ध लाभों का दावा करते हुए आवेदन दायर किया। पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता की उम्र 16 साल से कम है और इसलिए अधिकतम तीन साल की सजा दी जा सकती है। अपीलकर्ता पहले ही पांच साल से अधिक समय गुजार चुका है। तीन साल से अधिक का कारावास अवैध होगा, और इसलिए, वह इस पर भी रिहा होने के लिए उत्तरदायी है।

खंडपीठ ने प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, मनावर, धार जिला, मध्य प्रदेश की अदालत की 27 अक्टूबर, 2022 की रिपोर्ट पर विचार किया, साथ ही उसके समक्ष पेश किए गए दस्तावेजी और मौखिक दोनों तरह के सभी भौतिक साक्ष्यों के आधार पर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। शीर्ष अदालत ने निचली अदालत की रिपोर्ट को स्वीकार किया और कहा कि घटना के दिन अपीलकर्ता की उम्र 15 साल, चार महीने और 20 दिन थी।

इसमें कहा गया है, यह भी ध्यान देने योग्य होगा कि संस्था एक निजी संस्था नहीं है, बल्कि एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय है और इस अदालत को सरकारी सेवकों के कामकाजी और सेवानिवृत्त दोनों की गवाही पर अविश्वास करने या यहां तक कि संदेह करने का कोई कारण नहीं मिलता है।

 

(आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   4 March 2023 7:30 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story