सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड की महिलाओं के लिए 30 फीसदी आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक हटाई

Supreme Court lifts High Courts stay on 30 percent reservation for women of Uttarakhand
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड की महिलाओं के लिए 30 फीसदी आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक हटाई
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड की महिलाओं के लिए 30 फीसदी आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक हटाई
हाईलाइट
  • हाईकोर्ट के 24 अगस्त
  • 2022 के फैसले पर रोक लगा दी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस सरकारी आदेश पर लगाई गई रोक हटा दी जिसमें सरकारी नौकरी में केवल स्थानीय महिला उम्मीदवारों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण का आदेश दिया गया था। न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने हाई कोर्ट के 24 अगस्त, 2022 के फैसले पर रोक लगा दी और आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका पर भी नोटिस जारी किया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अधिवक्ता वंशजा शुक्ला ने शीर्ष अदालत में उत्तराखंड सरकार का प्रतिनिधित्व किया। राज्य सरकार ने अपनी दलील में कहा कि उच्च न्यायालय का अंतरिम आदेश प्रतिवादियों द्वारा मांगी गई अंतिम राहत को पारित करने के समान है। उच्च न्यायालय ने गलती से निर्देश दिया था कि महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण क्षैतिज आरक्षण के रूप में माना जाएगा, चाहे उनका आवास या स्थान कुछ भी हो।

राज्य सरकार ने याचिका में कहा, राज्य ने उत्तराखंड की महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करना जारी रखा और 24 जुलाई, 2006 के सरकारी आदेश को लगभग 15 वर्षों तक कभी चुनौती नहीं दी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने इसे ध्यान में नहीं रखा और उक्त सरकारी आदेश पर गलत तरीके से रोक लगा दी। हरियाणा बनाम फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और अन्य के मामले में इस साल फरवरी में पारित शीर्ष अदालत पर भी राज्य सरकार ने काफी भरोसा किया।

राज्य सरकार ने स्थानीय उम्मीदवारों के हरियाणा राज्य रोजगार अधिनियम, 2020 को लागू किया, जिसके तहत हरियाणा निजी कंपनियों, सोसाइटियों, ट्रस्टों, सीमित देयता भागीदारी फर्मों, साझेदारी फर्मों आदि में स्थानीय उम्मीदवारों को 75 प्रतिशत तक आरक्षण प्रदान करता है। उच्च न्यायालय ने अधिनियम पर रोक लगा दी, हालांकि, शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को उच्च न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया।

राज्य सरकार की याचिका में कहा गया है, राज्य की महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों के कारण, राज्य का विचार है कि महिलाएं एक समजातीय समूह का गठन करें, जिस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। ताकि उनके लिए सामाजिक न्याय और समानता सुनिश्चित हो सके।

इसमें कहा गया है, यह कदम महिलाओं के जीवन, आजीविका, रोजगार, स्वास्थ्य और रहने की स्थिति के मौलिक अधिकार को आगे बढ़ाने की ओर है। यह अनुच्छेद 14 संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के साथ पढ़ा गया समानता के व्यापक सिद्धांत के भीतर उचित वर्गीकरण की अनुमति देता है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार राज्य की उन महिलाओं को रोजगार प्रदान करने का इरादा रखती है जो राज्य में बेरोजगार हैं, चाहे उनकी जाति मूल स्थान या जन्म स्थान कुछ भी हो।

(आईएएनएस)

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Created On :   4 Nov 2022 6:31 PM IST

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