नूपुर शर्मा पर टिप्पणी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जेबी पारदीवाला ने सरकार को दी सलाह, कहा- सोशल मीडिया को रेगुलेट करने पर विचार करें

Supreme Court judge JB Pardiwala, who commented on Nupur Sharma, advised the government, said - consider regulating social media
नूपुर शर्मा पर टिप्पणी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जेबी पारदीवाला ने सरकार को दी सलाह, कहा- सोशल मीडिया को रेगुलेट करने पर विचार करें
नूपुर शर्मा विवादित बयान नूपुर शर्मा पर टिप्पणी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जेबी पारदीवाला ने सरकार को दी सलाह, कहा- सोशल मीडिया को रेगुलेट करने पर विचार करें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान के बाद देशभर में उग्र प्रदर्शन हुआ। नूपुर के इस बयान की निंदा कई इस्लामिक देशों ने की और भारत सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की थी। हालांकि बीजेपी ने नूपुर शर्मा को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है। पैगंबर पर विवादित बयान को लेकर नूपूर के खिलाफ देश के कई राज्यों में मुकदमा भी दर्ज हुआ है। इन सभी केस को नूपुर ने दिल्ली ट्रांसफर कराने की मांग की थी। जिसको सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा था कि वह हाईकोर्ट की तरफ रूख करें।

कोर्ट ने इसी दौरान नूपुर शर्मा को भी फटकार लगाई और कहा कि देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए नूपुर ही जिम्मेदार है। कोर्ट ने कहा कि देश में नूपुर के बयान से लोगों की भावना भड़की है। यहां तक कि कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में उदयपुर हत्याकांड के लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार ठहराया। कोर्ट के इन सभी टिप्पणियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर तमाम तरह की बयानबाजी देखने को मिली। सोशल मीडिया पर लोग कोर्ट की टिप्पणी पर भी सवाल उठाते दिखे। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट के जज जेबी पारदीवाला ने सरकार को बड़ी सलाह दी है।

उन्होंने कहा है कि सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के लिए कानून बनाए जाने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के जज जेबी पारदीवाला ने नूपुर शर्मा के बयान पर टिप्पणी की थी और जमकर फटकार लगाई थी। जिसकी चर्चा सोशल मीडिया पर खूब हुई थी। एससी के जस्टिस जेबी पारदीवाला ने इस बात पर चिंता जताई कि सोशल मीडिया पर आधा सच, अधूरी जानकारी रखने वाले लोग और कानून के शासन, सबूत और न्यायिक प्रक्रिया को नहीं समझने वाले लोग हावी हो रहे हैं। इस पर सरकार को सोशल मीडिया को रेगुलेट करने पर विचार करनी चाहिए। 


सोशल मीडिया पर ट्रायल न्यायिक कार्यों में हस्तक्षेप

एससी के जज पारदीवाला ने कहा कि संवेदनशील मामलों में सोशल मीडिया पर ट्रायल न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करता है, जो कि अनुचित है। उन्होंने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि संसद में इसके नियमन के लिए कानून लागा चाहिए। जज ने कहा कि कोर्ट रचनात्मक आलोचनाओं को स्वीकार करती है, लेकिन जजों पर निजी हमले स्वीकार नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत पूरी तरह से परिपक्व व शिक्षित लोकतंत्र नहीं हैं। यहां पर विचारों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है। गौरतलब है कि जस्टिस पारदीवाला सीएएन फाउंडेशन की ओर से आयोजित एचआर खन्ना की याद में हो रही संगोष्ठी में अपनी विचार रख रहे थे।

जज ने बताई तीन डी

जस्टिस पारदीवाला ने बताया कि भारत में कानून बनाने का तरीका है कि इसे संसद में पेश करने से पहले इसकी खूबियों पर मीडिया और सार्वजनिक तौर पर स्वतंत्र रूप से चर्चा की जाती है। उसके बाद जब इसे सदन में पेश किया जाता है तो इस पर निर्वाचित प्रतिनिधि चर्चा करते हैं। एक बार बिल सदन में पास हो जाने के बाद इसकी बैधता पर भी सवाल खड़ा किया जा सकता है। इसी ही तीन डी कह सकते हैं। यानी पब्लिक डिस्कशन,पार्लियामेंट्री डिबेट और ज्यूडिशियल डिक्री। 

संसद में बने कानून को भी दी सकती है चुनौती

जज पारदीवाल ने कहा कि लोगों का यह समझने की जरूरत है कि कानून बनाने में अदालतों की निर्णायक आवाज और भूमिका कैसे होती है। उन्होंने के ब्रिटेन में संसद में बने कानून को अमान्य घोषित करना असंभव है क्योंकि वहां संसद की संप्रभुता पूर्ण रूप से है। जबकि भारत में संसद की शक्तियां निर्धारित हैं। उन्होंने कहा कि विधायी अक्षमता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों के आधार पर कानूनों की वैधता को चुनौती दी जा सकती है।

जज पारदीवाल ने आगे कहा कि हमारे देश में दो आधार पर कानून को चुनौती दी सकती है। एक मौलिक अधिकारों का उल्लंघन और दूसरा सार्वजनिक भलाई अगर उस कानून में निहित नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून का शासन भारतीय लोकतंत्र की सबसे अच्छी विशेषता है। उन्होंने कहा मुझे भरोसा है कि सर्वोच्च न्यायालय को किसी भी मुद्दे पर कानून का शासन को ध्यान में रखकर फैसला लेना चाहिए। जनता की राय से न्यायिक फैसले प्रभावित नहीं हो सकते हैं। 

 

Created On :   3 July 2022 6:19 PM IST

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