Tamil Nadu: सालों से बंद पड़े वेदांता स्टरलाइट प्लांट में होगा ऑक्सीजन का प्रोडक्शन, SC ने दी अनुमति

Supreme Court allows Vedanta to run Sterlite plant for oxygen production
Tamil Nadu: सालों से बंद पड़े वेदांता स्टरलाइट प्लांट में होगा ऑक्सीजन का प्रोडक्शन, SC ने दी अनुमति
Tamil Nadu: सालों से बंद पड़े वेदांता स्टरलाइट प्लांट में होगा ऑक्सीजन का प्रोडक्शन, SC ने दी अनुमति
हाईलाइट
  • ऑक्सीजन के उत्पादन के अलावा कोई और गतिविधि की इजाजत नहीं
  • ऑक्सीजन के उत्पादन के दौरान स्थानीय प्रशासन और पर्यावरण विशेषज्ञ प्लांट की निगरानी करेंगे
  • वेदांता को ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टिंग प्लांट रन करने की अनुमति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वेदांता लिमिटेड को मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए तमिलनाडु में स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टिंग प्लांट रन करने की अनुमति दे दी। ऑक्सीजन के उत्पादन के दौरान स्थानीय प्रशासन और पर्यावरण विशेषज्ञ प्लांट की निगरानी करेंगी। सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला तमिलनाडु सरकार के उस फैसले के एक दिन बाद आया है जिसमें सरकार ने मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए चार महीने की अवधि के लिए थूथुकुडी में स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टर प्लांट को फिर से खोलने के लिए कहा था। 

ऑक्सीजन के उत्पादन के अलावा कोई और गतिविधि की इजाजत नहीं
वेदांता के प्लांट मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूण ने कहा कि ऑक्सीजन के उत्पादन के अलावा प्लांट में इसी और प्रकार की गतिविधि की इजाजत नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने वेदांता से पूछा कि वह कितनी जल्दी प्रोडक्शन शुरू कर सकते हैं, इसपर वेदांता ने 10 दिन का वक्त मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि ये राष्ट्रीय संकट का वक्त है, ऐसे में सभी को साथ आना चाहिए। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विभिन्न राज्यों को आवंटन के लिए स्टरलाइट द्वारा उत्पादित ऑक्सीजन केंद्र को दी जानी चाहिए। 

2018 में आया था प्लांट को सील करने का आदेश
तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी कि टीएनपीसीबी ने 23 मई 2018 को स्टरलाइट कॉपर प्लांट को सील करने का आदेश दिया था। इसके बाद 28 मई को तमिलनाडु सरकार का भी प्लांट को बंद रखने का आदेश आ गया था। वेदांता समूह ने आदेश को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए इसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी। इसके बपाद एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था – "कुछ विशेष प्रतिबंधों और नियमों के साथ प्लांट को दोबारा खोला जा सकता है। लेकिन इससे पहले वेदांता ग्रुप को अपनी पिछली ग़लतियों के लिए 2.50 करोड़ रुपए टोकन अमाउंट जमा करना होगा। साथ ही तीन साल में 100 करोड़ रुपए का एक फंड तैयार करना होगा, जिससे यहां के लोकल लोगों के हितों के लिए काम किए जा सकें।"

तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी
एनजीटी के इस फैसले के ख़िलाफ तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि कि किसी ट्रिब्यूनल को ये अधिकार नहीं है कि वो राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दे। कोर्ट ने सभी पक्षों को मद्रास हाईकोर्ट जाने के निर्देश दिए थे। इसी के बाद मामला मद्रास हाईकोर्ट के पास आ गया था। हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए प्लांट को सील रखने के फैसले पर मुहर लगा दी थी। बता दें कि पर्यावरणविदों का भी कहना था कि भारी मात्रा में तांबा गलाए जाने के कारण यहां ग्राउंड वॉटर प्रदूषित हो रहा है, जिससे कई गंभीर बीमारियां हो रही हैं।

Created On :   27 April 2021 7:42 AM GMT

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