किसानों के लिए बुरी खबर, इस बार सामान्य से कम रह सकता है मानसून

Skymet expects Monsoon to be below normal this year
किसानों के लिए बुरी खबर, इस बार सामान्य से कम रह सकता है मानसून
किसानों के लिए बुरी खबर, इस बार सामान्य से कम रह सकता है मानसून
हाईलाइट
  • प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट ने जून से सितंबर महीने तक सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान जताया है।
  • लंबी अवधि में मानसून का औसत 93% रह सकता है।
  • स्काईमेट का मानना ​​है कि सामान्य से कम बारिश होने की संभावना 55% है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्राइवेट वेदर फोरकास्ट एजेंसी स्काईमेट ने जून से सितंबर महीने तक सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान जताया है। स्काईमेट का मानना ​​है कि सामान्य से कम बारिश होने की संभावना 55% है। जबकि, लंबी अवधि में मानसून का औसत 93% रह सकता है। सामान्य से कम बारिश होने के पूर्वानुमान के लिए स्काईमेट ने अल नीनो इफेक्ट को जिम्मेदार बताया है। मानसून का सामान्य से कम रहने का सबसे ज्यादा प्रभाव कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा। किसानों के लिए ये बुरी खबर है।

अल नीनो फिनोमिनन के बनने का मतलब है कि भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में तापमान में वृद्धि। यह मानसून के मौसम के दौरान होने वाली बारिश का पहला संकेत है। अल नीनो के कारण बारिश कम हो जाती है, जबकि इसके विपरीत ला नीना अच्छी बारिश लाता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में पिछले 20 बार पड़े सूखे में से 13 बार सूखा अल नीनो के दौरान पड़ा। 2014 और 2015 में अल नीनो के कारण लगातार दो साल सूखा पड़ा था। स्काईमेट ने भी इस बार सूखे की संभावना से पूरी तरह से इनकार नहीं किया है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने फरवरी में एक अधिसूचना जारी की थी जिसमें कहा गया था कि 2019 में अल नीनो बढ़ेगा। हालांकि यह मध्यम  होगा। स्काईमेट के अधिकारियों ने कहा कि एक मध्यम अल नीनो का भी भारतीय मानसून पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, इसलिए यह भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है।

स्काईमेट ने भविष्यवाणी की है कि जून में बारिश लॉन्ग पीरियड मानसून (एलपीए) की 77 प्रतिशत, जुलाई में 91 प्रतिशत, अगस्त में 102 प्रतिशत और सितंबर में 99 प्रतिशत होगी। बता दें कि जब एलपीए 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत के बीच होता है तो मानसून सामान्य माना जाता है। स्काइमेट के मुताबिक, पूर्वी भारत और मध्य भारत के ज्यादातर हिस्सों में मानसून के खराब रहने की आशंका है। इन इलाकों में शुरुआती दो महीनों में मानसून कमजोर रहेगा।

मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने भी कहा कि "इस वर्ष मानसून के सामान्य से कम रहने की संभावना है। दिल्ली-एनसीआर में ज्यादा हीट वेव कंडीशन नहीं होगी क्योंकि प्री-मॉनसून एक्टिविटी शुरू हो गई है। 5-6 अप्रैल और 11-12 अप्रैल के आसपास धूल भरी आंधी चलने की संभावना है। तापमान में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।"

उन्होंने कहा की "साउथ वेस्ट एमपी, नॉर्थ इंटीरियर कर्नाटक, मराठवाड़ा, विदर्भ में बहुत कम बारिश होगी। बिहार के कुछ हिस्सों और उत्तराखंड के आसपास के हिस्सों में कम बारिश होगी। छत्तीसगढ़, ओडिशा, तटीय आंध्र में मध्यम बारिश। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में सामान्य से कम बारिश होगी।" 

मानसून, भारत के कृषि-क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी है। 1 जून के आसपास मानसून केरल के दक्षिणी सिरे से भारत में प्रवेश करता है और सितंबर में राजस्थान से चला जाता है। भारत की अर्थव्यवस्था में खेती का भले ही 14% से कम का योगदान है लेकिन, यह क्षेत्र देश की 1.3 बिलियन आबादी के आधे से ज्यादा हिस्से को रोजगार देता है।  
 

Created On :   4 April 2019 12:26 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story