शाहीन बाग के दुकानदार विरोध प्रदर्शन से नाराज, बोले- हम दुकान खोलने को बोलते हैं तो हम पर गलत आरोप लगा दिया जाता है

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शाहीन बाग के दुकानदार विरोध प्रदर्शन से नाराज, बोले- हम दुकान खोलने को बोलते हैं तो हम पर गलत आरोप लगा दिया जाता है
शाहीन बाग के दुकानदार विरोध प्रदर्शन से नाराज, बोले- हम दुकान खोलने को बोलते हैं तो हम पर गलत आरोप लगा दिया जाता है
हाईलाइट
  • यहां की दुकानें पिछले दो महीने से बंद हैं
  • शाहीन बाग में CAA व NRC के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन
  • स्थानीय दुकानों का कामकाज पिछले दो महीनों से बिल्कुल ठप पड़ गया है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) व राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच स्थानीय दुकानों का कामकाज पिछले दो महीनों से बिल्कुल ठप पड़ गया है। यहां की दुकानें पिछले दो महीने से बंद हैं और जिन व्यापारियों ने किराए की दुकानें ले रखी हैं, उन पर इस प्रदर्शन का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। शाहीन बाग के दुकानदार कैमरे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। यहां तक की वे अपना नाम बताने से भी डरते हैं। 

स्थानीय दुकानदार शाजिब की यहां जूतों की दुकान है, जिसे उन्होंने किराए पर लिया हुआ है। उन्होंने कहा, काम बिल्कुल खत्म हो गया है। विरोध प्रदर्शन से पहले यहां काम बहुत अच्छा था, लेकिन जबसे यह विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है, तभी से ग्राहकों का आना बंद हो गया है। यह दुकान एक ऐसी जगह पर है, जहां से दिल्ली-नोएडा के लोग गुजरते थे। अब दुकान बंद हो गई है, लेकिन जीएसटी भी देना है। इसलिए आकर बैठ जाते हैं, मगर एक रुपये की भी बिक्री नहीं होती। घर बैठकर भी क्या करेंगे। इसलिए दुकान ही आ जाते हैं।

शाजिब ने कहा, दो महीनों का सीजन होता है, जिससे हम पूरे साल का खर्चा संभालते थे, लेकिन अब हमारे लिए तो मुश्किल बढ़ ही गई है, साथ ही इसमें सरकार का भी नुकसान है। यहां लगभग 150 दुकानें हैं। दुकानों से जीएसटी नहीं जाएगा तो क्या सरकार को फायदा होगा?

उन्होंने कहा, आप पहले भी तो नागरिकता देते रहे हैं। आप ऐसे ही देते रहते, यह कानून लाने की क्या जरूरत है। कभी किसी ने पहले विरोध किया क्या? तो फिर हमारे बीच दीवार खड़ी क्यों कर रहे हो?

जेब से किराया देने की बात को अफवाह बताते हुए शाजिब ने कहा, यह अफवाह है कि दुकानदार जेब से किराया दे रहे हैं और यह भी अफवाह है कि कोई फंड भेज रहा है और हमारा किराया भर रहा है। सच यह है कि दुकान के मालिकों ने खुद कहा है कि जब काम नहीं है तो तुम कहां से दोगे किराया। इसलिए किराए के लिए मालिकों ने ही मना कर दिया है।

शाजिब से सवाल पूछा गया कि क्या आप इस विरोध प्रदर्शन से खफा हैं और क्या इसे आप समर्थन देते हैं? उन्होंने कहा, खफा भी हैं। अगर समर्थन नहीं देंगे तो क्या करेंगे। यहीं रहते हैं, दुकान भी यहीं है। मना भी करेंगे, तब भी कुछ फायदा नहीं। दुकान तो बंद ही है, नुकसान तो हो ही रहा है। यहां एक गुट ऐसा भी है, जो नाराज है इस प्रदर्शन से। क्योंकि कामकाज का नुकसान हो रहा है। एक बार हमने बात भी की, लेकिन हमारे ऊपर ही कई आरोप लगा दिए गए।

पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी जिसमें हमारे लिए फ्रीलांस लिखने वाले एक पत्रकार ने रिपोर्ट दी, उन्होंने ग्राउंड जीरो से जाकर शाहीन बाग के दुकानदारों से बात की। फ्लाइंग मशीन की फ्रेंचाइजीस संभाले शादाब ने कहा, "सर्दियों में हर महीने करीब 15 से 20 लाख तक की सेल करते थे। इस बार स्टॉक बचा रह गया। अगले सीजन में इसे डिस्काउंट पर बेचना पड़ेगा। नुकसान की वजह से कई लोगों की नौकरी चली गई। गलत कानून का खामियाजा हिंदू-मुस्लिम सभी उठा रहे हैं। 1 महीने में कई फ्रेंचाइजीस ने करीब एक हजार कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया। (हमने छुट्टी पर भेजने का मतलब पूछा तो, उन्होंने कहा कि निकाल दिया)। शादाब ने आगे कहा, "कुछ ब्रांड तो यहां की फ्रेंचाइजीस ही बंद करने वाले हैं। प्रदर्शन लंबा चला तो दिक्कतें बढ़ जाएंगी।"

ऑटो वर्क शॉप के मालिक वसीम ने बताया, "हमारे दुकान मालिक गुजर हैं। हमने उन्हें बताया कि इस महीने धंधा नहीं हुआ तो उन्होंने किराया माफ कर दिया। 10 कर्मचारी हैं। उनको आधी सैलरी देकर छुट्टी पर भेज दिया। दुकानें खोलने से भी क्या फायदा। रोड दोनों तरफ से बंद है। वॉलेंटियर्स से एक तरफ का रोड खोलने की अपील की, लेकिन बात नहीं बनी। अब सुप्रीम कोर्ट से ही उम्मीद है।"

(एजेंसी से इनपुट के साथ)

Created On :   4 Feb 2020 3:29 PM GMT

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