PM मोदी ने जलियांवाला बाग के रीडेवलप्ड कैंपस का उद्घाटन किया, कहा- इस जगह ने आजादी के लिए मर मिटने का हौंसला दिया
- देश की ये भी आकांक्षा थी कि सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे सैनिकों के लिए राष्ट्रीय स्मारक होना चाहिए
- पंजाब में तो शायद ही ऐसा कोई गांव
- ऐसी कोई गली है जहां शौर्य और शूरवीरता की गाथा न गाता हो
- प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अमृतसर में जलियांवाला बाग के रीडेवलप्ड कैंपस का उद्घाटन किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अमृतसर में जलियांवाला बाग के नए स्वरूप का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उद्घाटन किया। मोदी ने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि पंजाब की वीर भूमि और जलियांवाला बाग की पवित्र मिट्टी को मेरा अनेक अनेक प्रणाम। मां भारती की उन संतानों को भी नमन, जिनके भीतर जलती आजादी की लौ को बुझाने के लिए अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी गयी
Join me as we inaugurate the renovated complex of Jallianwala Bagh Smarak today at 6:25 PM. I also invite you to watch the sound and light show. It would display the horrific massacre of April 1919 and instil a spirit of gratitude and reverence towards the martyrs. pic.twitter.com/p2BDHUbXAJ
— Narendra Modi (@narendramodi) August 28, 202
पीएम मोदी ने कहा,वो मासूम बालक-बालिकाएं, वो बहनें, वो भाई, जिनके सपने आज भी जलियांवाला बाग की दीवारों में अंकित गोलियों के निशान में दिखते हैं। वो शहीदी कुआं, जहां अनगिनत माताओं-बहनों की ममता छीन ली गई, उनका जीवन छीन लिया गया। उन सभी को आज हम याद कर रहे हैं। 13 अप्रैल 1919 के वो 10 मिनट, हमारी आजादी की लड़ाई की वो सत्यगाथा बन गए, जिसके कारण आज हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना पा रहे हैं। ऐसे में आज़ादी के 75वें वर्ष में जलियांवाला बाग स्मारक का आधुनिक रूप देश को मिलना, हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा का अवसर है।
पीएम मोदी ने कहा,जलियांवाला बाग वो स्थान है, जिसने सरदार उधम सिंह, सरदार भगत सिंह जैसे अनगिनत क्रांतिवीरों, बलिदानियों और सेनानियों को हिंदुस्तान की आजादी के लिए मर मिटने का हौंसला दिया। आज जो पुनर्निर्माण का काम यहां हुआ है, उसने बलिदान की अमर गाथाओं को और जीवंत बना दिया है। यहां जो अलग-अलग गैलरी बनाई गई हैं, दीवारों पर शहीदों के जो चित्र उकेरे गए हैं, शहीद उधम सिंह जी की प्रतिमा है, वो सब हमें उस कालखंड में लेकर जाते हैं। आजादी के 75वें साल में जलियांवाला बाग का ये नया स्वरूप देशवासियों को इस पवित्र स्थान के इतिहास के बारे में, इसके अतीत के बारे में बहुत कुछ जानने के लिए प्रेरित करेगा।
पीएम मोदी ने कहा,जलियांवाला बाग नरसंहार से पहले स्थान पर पवित्र बैसाखी के मेले लगते थे। इसी दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने सरबत दा भला की भावना के साथ खालसा पंथ की स्थापना की थी। जलियांवाला बाग जैसी ही एक और विभीषिका हमने भारत विभाजन के समय भी देखी है। पंजाब के परिश्रमी और जिंदादिल लोग तो विभाजन के बहुत बड़े भुक्तभोगी रहे हैं। विभाजन के समय जो कुछ हुआ, उसकी पीड़ा आज भी हिंदुस्तान के हर कोने में और विशेषकर पंजाब के परिवारों में हम अनुभव करते हैं। किसी भी देश के लिए अपने अतीत की ऐसी विभीषिकाओं को नजरअंदाज करना सही नहीं है। इसलिए, भारत ने 14 अगस्त को हर वर्ष ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है।
पीएम मोदी ने कहा,आज दुनियाभर में कहीं भी, कोई भी भारतीय अगर संकट से घिरता है तो भारत पूरे सामर्थ्य से उसकी मदद के लिए खड़ा हो जाता है। कोरोना काल हो या फिर अफगानिस्तान का संकट, दुनिया ने इसे निरंतर अनुभव किया है। ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अफगानिस्तान से सैकड़ों साथियों को भारत लाया जा रहा है। चुनौतियां बहुत हैं, हालात मुश्किल हैं, लेकिन गुरु कृपा भी हम पर बनी हुई है। हम लोगों के साथ, पवित्रगुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूप को भी शीश पर रखकर भारत लाए हैं। आज़ादी के महायज्ञ में हमारे आदिवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान है। इतिहास की किताबों में इसको भी उतना स्थान नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था।
पीएम मोदी ने कहा,देश के 9 राज्यों में इस समय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और उनके संघर्ष को दिखाने वाले म्यूज़ियम्स पर काम चल रहा है। बीते वर्षों में देश ने अपनी इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए जी जान से प्रयास किया है। मानवता की जो सीख हमें गुरुओं ने दी थी उसे सामने रखकर देश ने ऐसी परिस्थितियों से सताए हुए अपने लोगों के लिए नए कानून भी बनाए हैं। देश की ये भी आकांक्षा भी थी, कि सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे सैनिकों के लिए राष्ट्रीय स्मारक होना चाहिए। मुझे संतोष है कि नेशनल वॉर मेमोरियल आज के युवाओं में राष्ट्र रक्षा और देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देने की भावना जगा रहा।
पीएम मोदी ने कहा,पंजाब में तो शायद ही ऐसा कोई गांव, ऐसी कोई गली है जहां शौर्य और शूरवीरता की गाथा न गाता हो। गुरुओं के बताए हुए रास्ते पर चलते हुए पंजाब के बेटे-बेटियां मां भारती की तरफ टेढ़ी नजर रखने वालों के सामने चट्टान बनकर खड़े हो जाते हैं। हमारी ये धरोहर और समृद्ध हो इसके लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाशोत्सव हो, गुरु गोविंद सिंह जी का 350वां प्रकाशोत्सव हो या फिर गुरु तेगबहादुर जी का 400वां प्रकाशोत्सव हो, ये सभी पड़ाव सौभाग्य से बीते 7 वर्षों में ही आये हैं।
Created On :   28 Aug 2021 9:17 PM IST