भारत के वीर सपूतों के नाम से जाने जाएंगे आसपास के द्वीप, सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर पीएम मोदी ने हर द्वीप को दिया एक वीर का नाम
- भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए महत्वपूर्ण दिन- गृह मंत्री अमित शाह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का नामकरण 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए नामकरण किया। साथ ही पीएम मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनने वाले नेताजी के राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल का अनावरण किया। आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती मानाई जा रही है। इसे हम पराक्रम दिवस के रूप में भी मनाते हैं। साल 2021 में भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के उपलक्ष्य में 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में इस पर्व को मनाने की शुरूआत की।
पीएम मोदी ने कही ये बातें
पीएम मोदी ने आगे कहा कि दशकों से नेताजी के जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजानिक करने की मांग हो रही थी, यह काम भी देश ने पूरी श्रद्धा के साथ आगे बढ़ाया। आज हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं के सामने 'कर्तव्य पथ' पर नेताजी की भव्य प्रतिमा हमें हमारे कर्तव्यों की याद दिला रही है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 23, 2023
पीएम मोदी ने कहा कि, अंडमान की ये धरती वो भूमि है, जिसके आसमान में पहली बार मुक्त तिरंगा फहरा था। इस धरती पर पहली आजाद भारतीय सरकार का गठन हुआ था। इस सबके साथ अंडमान की इस धरती पर वीर सावरकर और उनके जैसे अनगिनत वीरों ने देश के लिए बलिदान किया था।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, इन 21 द्वीपों को 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाना जाएगा। जिस द्वीप पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस रहे थे वहां पर उनके जीवन और योगदानों को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक का अनावरण किया गया है
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इस वीडियो कॉन्फेंसिंग में भारत के गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि, आज का दिन भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए महत्वपूर्ण दिन है। आज प्रधानमंत्री जी की ये पहल कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े द्वीपों को हमारे 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम के साथ जोड़कर उनकी स्मृति को चीरंजीव करने का प्रयास किया गया है। बता दें कि, नेताजी का जन्म 26 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। ऐसे में 23 जनवरी 2021 को प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी के 124 वीं जयंती के अवसर पर पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। बता दें कि इस दिन पश्चिम बंगाल, झारखंड, त्रिपुरा और असम में इस दिन राजकीय अवकाश होता है।
नेताजी का 126वां जयंती
स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बीए दर्शनशास्त्र करने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस चंद्र बोस को देश का महान छात्र और सच्चा राष्ट्रवादी नेता के रूप में भी जाने जाते हैं। वर्ष 1919 में वे भारतीय सिविल सेवा को पूरा करने के लिए इंग्लैंड गए थें। इस दौरान वे अपनी वर्ग में अच्चतम अंग्रेजी अंकों के साथ वह चौथे स्थान पर रहे। साल 1921 में वे भारत वापस वापस लौट आए क्योंकि वे ब्रिटिश हुकूमत में काम करना नहीं चाहते थें। भारत लौटने के बाद नेताजी के गुरू देशबंधु चितरंजन दास उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल करना चाहते थे। लेकिन ऐसा करने में वे सफल नहीं रहें।
आजाद हिंद फौज को नौ देशों से मिली मान्यता
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नेताजी ने कई लड़ाईयां लड़ी। वे देश को अंग्रेजों को चंगुल से बाहर निकालकर भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में देखना चाहते थे। यही वजह रही कि 21 अक्टूबर 1943 में देश से बाहर अविभाजित भारत की पहली सरकार बनी थी। जिसे आजाद हिंद सरकार ने नाम से जाना जाने लगा। 4 जुलाई 1943 को सिंगापुर के कैथे भवन समारोह में आजाद हिंद फौज की कमान सुभाष चंद्र बोस के हाथों में आ गई। मालूम हो कि ये ब्रिटिश राज को खिलाफ अखंड भारत की पहली सरकार थी। जिसके बाद 21 अक्टूबर 1943 में आजाद हिंद सरकार को बनाया गया था। साथ ही इस सरकार को नौ देशों से मान्यता भी मिली थी। जिसमें जर्मनी, जापान और फिलीपींस जैसे देश शामिल थे।
Created On :   23 Jan 2023 12:06 PM IST