पीएम केयर्स फंड: रक्षा, वित्त और गृह विभाग के प्रधान सचिवों को नोटिस
डिजिटल डेस्क,नागपुर । बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में अधिवक्ता अरविंद वाघमारे की जनहित याचिका में पीएम केयर्स फंड के विविध पहलुओं पर सवाल खड़े किए गए हैं। सरकार की ओर से फंड में जमा रकम के लेन-देन को सार्वजनिक नहीं करने, पीएम केयर्स फंड चैरिटेबल ट्रस्ट में नए सदस्यों की नियुक्ति नहीं करने, ट्रस्ट का ऑडिट कराने जैसे विविध मुद्दे उठाए हैं। मंगलवार को हुई सुनवाई में केंद्र का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने इस याचिका को खारिज करने की प्रार्थना की।
दलील दी कि सर्वोच्च न्यायालय पहले ही पीएम केयर्स फंड पर केंद्रित दो याचिकाओं को खारिज कर अपना फैसला सुना चुका है। ऐसे में इस विषय पर हाईकोर्ट को सुनवाई नहीं करनी चाहिए।विविध पक्षों को सुनकर न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल किल्लोर की खंडपीठ ने मामले में प्रतिवादी केंद्रीय गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के प्रधान सचिव को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब मांगा है
ट्रस्ट पर विपक्षी दल के नेताओं की भी हो नियुक्ति
याचिकाकर्ता के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 मार्च को एक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाकर पीएम केयर्स फंड का गठन किया। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए सरकार ने लोगों, संस्थाओं और उद्योगों से इस फंड में चंदा जमा करने की अपील की। प्रधानमंत्री को इसका अध्यक्ष, रक्षामंत्री, वित्तमंत्री और गृहमंत्री को इसका पदेन सदस्य बनाया गया। फंड के गठन के दौरान सरकार ने जो दिशा-निर्देश जारी किए थे, उसमें एक घोषणा यह भी की गई थी कि इस ट्रस्ट पर सदस्यों की संख्या कुछ ही दिन में बढ़ाई जाएगी। 3 नामांकित सदस्यों को शामिल किया जाएगा।
याचिकाकर्ता के अनुसार 28 मार्च से लेकर अब तक सरकार ने ट्रस्ट पर किसी भी नए सदस्य की नियुक्ति नहीं की है। बगैर निर्देशों का पालन किए इस ट्रस्ट द्वारा करोड़ों रुपए का चंदा लिया जा रहा है। ऐसे में इस ट्रस्ट पर विपक्षी दलों के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की नियुक्ति होनी चाहिए। वहीं राज्य सरकार द्वारा चंदे का लेन-देन सार्वजनिक नहीं कराने, ट्रस्ट का ऑडिट न होने जैसे विषय भी इसमें उठाए गए हैं।
Created On :   2 Jun 2020 10:15 PM IST