फिर उछली पेट्रोल की कीमत, जानिए किस तरह दोगुने हो जाते हैं इसके दाम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पेट्रोल की लगातार बढ़ती हुई कीमत दिल्ली और मुंबई में अब तक की सबसे अधिक ऊंचाई पर पहुंच गई है। सोमवार को ये 76.57 रुपये और 84.49 रुपये रही। सोमवार को ईंधन की कीमतों ने ऊंचाई के अपने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। इससे पहले साल 2013 में पेट्रोल की कीमतें दिल्ली और मुंबई में 76.24 रुपये और 84.07 रुपये रही थी। सोमवार को अन्य प्रमुख शहरों जैसे कोलकाता और चेन्नई में कीमतें पांच साल में सबसे ज्यादा रहीं। सोमवार को कोलकाता में पेट्रोल का मूल्य 79.24 रुपये और चेन्नई में 79.47 रुपये प्रति लीटर रहा। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर/बैरल पहुंच गई है, जो नवंबर 2014 के बाद सबसे ज्यादा महंगाई पर है। ऐसे में सरकार इसका समाधन तलाशने की कोशिश कर रही है। इस मुद्दे पर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है।
जीएसटी के दायरे में नहीं लाना चाहतीं राज्य सरकारें
पेट्रोलियम पदार्थों के दाम एक तो इस वजह से पटरी पर नहीं आ पाते क्योंकि राज्य सरकारें ऐसा करना नहीं चाहतीं। पेट्रोल-डीजल राज्य सरकारों की कमाई का प्रमुख जरिया है। केंद्र को पेट्रोल पर जितना मिलता है, उसका 42 फीसदी राज्यों को जाता है। राज्य सरकारें इस आय को छोड़ना नहीं चाहतीं इस लिए पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं हो पाते। स्थिति यह होती है कि जब दो साल पहले पेट्रोल के दाम कम होते थे, तो पंजाब दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारें वैट बढ़ा देती थीं। इस साल एक जुलाई से पूरे देश में लागू नई कर व्यवस्था जीएसटी से पेट्रोल-डीजल को बाहर रखा गया है। इन पर केंद्र एवं राज्यों के अलग-अलग टैक्स लगाए जा रहे हैं। अब अगर केंद्रीय करों की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद से डीजल पर लागू एक्साइज ड्यूटी में 380 फीसदी और पेट्रोल पर 120 फीसदी का इजाफा हो चुका है। इस दौरान केद्र सरकार को इस मद से हुई कमाई भी तीन गुना से ज्यादा बढ़ गई है।
राज्यों ने इस तरह बढ़ाए वैट-सेल्स टैक्स
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से 27 मार्च 2017 को लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक, अप्रैल 2014 में 10 राज्यों ने डीजल पर 20 फीसदी से ज्यादा वैट लगा रखे थे, लेकिन अगस्त 2017 में ऐसे राज्यों की तादाद बढ़कर 15 हो गई। इसी तरह, अप्रैल 2014 में डीजल पर सबसे ज्यादा 25 फीसदी वैट छत्तीसगढ़ ने लगा रखा था, जबकि अगस्त 2017 में आंध्र प्रदेश में यह आंकड़ा 31.06 प्रतिशत तक पहुंच गया। अप्रैल 2014 में 17 राज्यों ने पेट्रोल पर कम-से-कम 25 प्रतिशत वैट लगा रखे थे और अगस्त 2017 में ऐसे राज्यों की संख्या बढ़कर 26 पर पहुंच गई। अप्रैल 2014 में पेट्रोल पर सबसे ज्यादा 33.06 प्रतिशत वैट पंजाब ने लगा रखे थे। अगस्त 2017 में 48.98 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र टॉप पर पहुंच गया। महाराष्ट्र में पेट्रोलियम पदार्थों पर सबसे अधिक वैट लगता है, यही वजह है कि मुंबई में पेट्रोल-डीजल के दाम सबसे अधिक हैं। इस समय देश के 26 राज्यों में पेट्रोल पर वैट की दर लगभग 25 प्रतिशत है। मुंबई में वैट की दर सबसे ज्यादा 48.98 प्रतिशत है। दिल्ली में लगभग 27 फीसदी वैट राज्य सरकार लेती है।
Central Excise Duty on Petrol
— digvijaya singh (@digvijaya_28) May 21, 2018
May 2014 - Rs 9.2/litre
May 2018 - Rs 19.48/litre
% increase - 211.7%
Diesel
May 2014 - Rs 3.46/litre
May 2018 - Rs 15.33/litre
% increase - 443.06%
In present budget Additional Excise Duty(Road and infrastructure Cess) Rs 8/litre.
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Least GOI and Modiji can do is to reduce Central Excise Duty to the level of May 2014 which would bring the price of Petrol by Rs 18.28/ litre and Diesel by Rs 19.87/litre. They won"t do it today but probably they would do it in February 2019 2 months before LS polls.
— digvijaya singh (@digvijaya_28) May 21, 2018
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पेट्रोल का इस तरह होता है मूल्य निर्धारण
इस समय पेट्रोल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल है। यह राशि भारतीय रुपए में 5436.8 रुपए बैठती है। एक बैरल में 159 लीटर होते हैं। इस तरह पेट्रोल की तेल कंपनियों को खरीद दर 34.19 रुपए प्रति लीटर पड़ती है। इसके बाद शुरू होती है कच्चे तेल की रिफाइनिंग। इस प्रक्रिया में प्रति लीटर लगभग 9 रुपये 34 पैसे का खर्च आता है। इस तरह से देखें तो रिफाइनिंग के बाद पेट्रोल की कीमत 43.53 हो जाती है। इस कीमत पर डीलर्स सरकारी तेल कंपनियों से पेट्रोल खरीदते हैं। डीलरों को पेट्रोल की बिक्री पर लगभग प्रति लीटर 3 रुपये 24 पैसे का कमीशन मिलता है। इसके बाद केन्द्र सरकार इस पर प्रति लीटर 21 रुपये 48 पैसे का उत्पाद शुल्क लगाती है। इसके बाद अब राज्य सरकार इस कीमत पर वैट लगाती है।
खास बातें
-मोदी सरकार के कार्यकाल में अनब्रैंडेड पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 11 बार बदलाव हुए।
-1 अप्रैल 2014 को डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3.56 रुपये प्रति लीटर थी जो 380% की वृद्धि के साथ 17.33 रुपये पर पहुंच चुकी है।
-1 अप्रैल 2014 को पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपये प्रति लीटर थी जो 120% की वृद्धि के साथ 21.48 रुपये पर पहुंच गई है।
-जिससे पेट्रोल की कीमतें 11.77 रुपए/लीटर और डीजल की कीमत में 13.47 रुपए/लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
-सन 2013-14 में केंद्र सरकार को पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से 77982 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी, जो 2016-17 में बढ़कर 242691 रुपये हो गई।
-129045 करोड़ रुपये से बढ़कर 166378 करोड़ रुपये हो गई इस दौरान वैट एवं सेल्स टैक्स से राज्यों की कमाई
-कई राज्यों ने पेट्रोल-डीजल पर वैट प्रतिशत में अच्छी-खासी वृद्धि की, लेकिन उनकी आमदनी में आनुपातिक रूप से कम इजाफा हुआ, क्योंकि पिछले तीन सालों में कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दामों में भारी गिरावट की वजह से पेट्रोल-डीजल की बेस प्राइस भी बहुत कम हो गई।
Created On :   22 May 2018 5:07 AM GMT