5 संतों को राज्य मंत्री बनाए जाने के शिवराज सरकार के फैसले को HC में चुनौती
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। राम बहादुर शर्मा नाम के शख्स ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी है। बता दें कि शिवराज सरकार ने जिन पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है उनमे कंप्यूटर बाबा, नर्मदानंद जी महाराज, भय्यू महाराज, योगेंद्र महंत और हरिहरानंद शामिल है। शिवराज सरकार की इस कवायद को नर्मदा यात्रा में हुए कथित घोटाले को दबाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है।
इंदौर खंडपीठ में दाखिल जनहित याचिका
शिवराज सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में राम बहादुर शर्मा नाम के शख्स ने जनहित याचिका दाखिल की है। शिवराज सरकार द्वारा पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने के फैसले के खिलाफ बुधवार को ये याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता रामबहादुर का कहना है कि सरकार द्वारा जिन 5 संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया, वे सरकार के खिलाफ आंदोलन चला रहे थे। अब सरकार ने अचानक उन्हें राजयमंत्री का दर्जा क्यों दिया और हमने राज्य मंत्री की संवैधानिकता को लेकर याचिका लगाई है और सरकार इस पर पुनर्विचार करे।
छिड़ा सियासी घमासान
शिवराज सरकार के इस फैसले पर सियासी घमासान भी छिड़ा हुआ है। कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा, "यह सियासी फायदे के लिए राजनीतिक चाल है। इसके जरिए मुख्यमंत्री अपना पाप धोने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने नर्मदा के संरक्षण को नजरअंदाज कर दिया। इन संतों को यह देखना चाहिए कि क्या राज्य सरकार ने नदी के किनारे 6 करोड़ पेड़ लगाए हैं या नहीं, जैसा कि सीएम ने दावा किया है।"
क्या है मामला?
बता दें कि राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले इन्हीं बाबाओं के नेतृत्व में 28 मार्च को इंदौर में हुई संत समाज की बैठक में फैसला लिया गया था कि प्रदेश के 45 जिलों में उन 6.5 करोड़ पौधों की गिनती कराई जाएगी जिन्हें पिछले साल 2 जुलाई को शिवराज सरकार ने नर्मदा किनारे रोपित करने का दावा किया था। उन्होंने सरकार के इस दावे को महाघोटाला तक करार दिया था और "नर्मदा घोटाला रथ यात्रा" निकालने की घोषणा भी की थी।
राज्य मंत्री का दर्जा देने से पहले प्रदेश सरकार ने इन पांच बाबाओं के नेतृत्व में नर्मदा से सटे क्षेत्रों में पौधरोपण, जल संरक्षण और साफ-सफाई जैसे विषयों पर जनजागरूकता अभियान चलाने के लिए एक विशेष समिति गठित की थी। इस समिति के ही पांच विशेष सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। बाबाओं ने बैठक में तय किया था कि 1 अप्रैल से 15 मई तक नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकाली जाएगी। इसका नेतृत्व कम्प्यूटर बाबा करने वाले थे।
Created On :   4 April 2018 6:28 PM GMT