यूपी में भीषण गर्मी से हुआ धान की खेती का बुरा हाल
- इलाके के किसान इस बात से चिंतित हैं कि फसल की खेती में देरी के कारण उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
- महीनों से चल रही गर्म हवाओं और पानी की कमी की वजह से इलाके के किसान खेतों में बीज बोने में असमर्थ हैं।
- राज्य के गोरखपुर में हीट वेव्स यानी गर्म हवाओं की वजह से धान की फसल बर्बाद हो गई है।
- हीट वेव्स का बुरा असर न केवल धान की खेती में दिखाई दिया है बल्की हरी सब्जियों की खेती भी इसके कार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में इस साल पड़ी भीषण गर्मी से आम लोगों का जीवन तो बेहाल हुआ ही है और अब प्रदेश के अन्नदाता भी इस गर्मी की वजह से मुसीबत में आ गए हैं। राज्य के गोरखपुर में हीट वेव्स यानी गर्म हवाओं की वजह से धान की फसल बर्बाद हो गई है।महीनों से चल रही गर्म हवाओं और पानी की कमी की वजह से इलाके के किसान खेतों में बीज बोने में असमर्थ हैं। इलाके के किसान इस बात से चिंतित हैं कि फसल की खेती में देरी के कारण उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। हीट वेव्स का बुरा असर न केवल धान की खेती में दिखाई दिया है बल्की हरी सब्जियों की खेती भी इसके कारण बुरी तरह प्रभावित हुई है।
साल में दो बार की जाती है धान की खेती
भारत समेत दुनिया के कई देशों में चावल लोगों का मुख्य आहार है। दुनिया भर में सबसे ज्यादा तादाद में धान का उत्पादन भारत में ही होता है। इतना ही नहीं भारत चावल निर्यात करने के मामले में विश्व में चौथा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। हमारे देश में चावल का सबसे ज्यादा उत्पादन पश्चिम बंगाल राज्य में होता है। देश के अधिकांश हिस्सों में धान की खेती साल में कम से कम दो बार की जाती है।
धान की खेती भारत में बहुत अहम होती है
देश में धान की पैदावार के दो मौसम होते हैं। ये रबी और खरीफ दोनों ही तरह की फसलों में शामिल होती है। रबी के मौसम में खेती सिंचाई पर निर्भर होती है। जबकि खरीफ की फसल मानसून पर निर्भर होती है। देश के आंतरिक इलाकों में रहकर खेती करने वाले किसान अब भी फसलों की सिंचाई के लिए बेहतर मौसम और अच्छी बारिश पर निर्भर हैं। ग्रामीण भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन में धान की खेती एक प्रमुख भूमिका निभाती है।
यहां धान की फसल से जुड़े हैं कई उत्सव
धान की खेती भारत के ग्रामीण जीवन में बहुत अहम किरदार निभाती है। इसके साथ कई उत्सव और त्योहार जुड़े हुए हैं। धान की बेहतर पैदावार होने के बाद ग्रामीण भारत का नजारा ही कुछ अलग हो जाता है। इससे जुड़े त्योहारों को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है। केरल में इसे ओणम के रूप में मनाते हैं तो असम में इसे बिहू कहा जाता है। आंध्र प्रदेश में इसे मकर संक्रांति तो तमिलनाडु में थाई पोंगल कहा जाता है। कर्नाटक में भी इसे मकर संक्रांति तो पश्चिम बंगाल में नबन्ना के रूप में मनाया जाता है।
Created On :   15 Jun 2018 7:44 AM GMT