चिदंबरम ने पूछा- 'कॉन्डोम खरीदने के लिए 'आधार' की क्या जरूरत है?'
डिजिटल डेस्क, मुंबई। आधार लिंकिंग को लेकर अब देश में और ज्यादा बहस शुरू हो गई है। एक तरफ सरकार जहां हर चीज से आधार को लिंक कराने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इसे "प्राइवेसी" के लिए खतरा बता रहा है। शनिवार को इसी मसले पर फॉर्मर फाइनेंस मिनिस्टर और कांग्रेस लीडर पी. चिंदरबरम और इन्फोसिस के फाउंडर एनआर नारायणमूर्ति के बीच बहस छिड़ गई। एक तरफ चिदंबरम ने जहां इसको "प्राइवेसी पर खतरा" बताते हुए सरकार पर निशाना साधा, वहीं दूसरी तरफ नारायण मूर्ति ने आधार की प्राइवेसी की सुरक्षा के लिए संसद में कानून बनाए जाने की बात कही। इतना ही नहीं इन दोनों के बीच काफी देर तक आधार लिंकिंग को लेकर बहस होती रही।
कॉन्डोम खरीदने के लिए भी आधार जरूरी?
आईआईटी-बॉम्बे के सालाना "मूड इंडिगो फेस्टिवल" में शनिवार को चिदंबरम और नारायणमूर्ति के बीच बहस शुरू हो गई। चिदंबरम ने सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि हर चीज को आधार से जोड़ना गलत है। उन्होंने कहा कि सरकार हर चीज को अनसुना कर रही है। वो आधार को हर चीज से जोड़ने के खिलाफ कुछ भी सुनना नहीं चाहती। चिदंबरम ने पूछा कि "अगर कोई युवा पुरुष या महिला छुट्टियां मनाना चाहते हैं, तो इसमें गलत क्या है? अगर किसी को कॉन्डोम खरीदना है तो उसे अपनी पहचान या आधार नंबर देने की क्या जरूरत है?"
सरकार क्यों जानना चाहती है?
इसके आगे कांग्रेस की सीनियर लीडर पी. चिदंबरम ने सवाल किया कि "सरकार को ये क्यों जानना है कि मैं कौन सी दवाइयां खरीदता हूं? कौन से होटल जाता हूं? कौन सी फिल्म देखता हूं? मेरे दोस्त कौन हैं?" उन्होंने आगे कहा कि "अगर मैं सरकार में होता, तो ये सब जानने की कोशिश नहीं करता।"
नारायणमूर्ति ने दिया जवाब
चिदंबरम के इस सवालों का जवाब एनआर नारायणमूर्ति ने दिया। नारायणमूर्ति ने कहा कि "मैं आपकी बातों से सहमत नहीं हूं। आप जिन चीजों की बात कर रहे हैं, वो सभी गूगल पर अवेलेबल है।" नारायणमूर्ति ने ये भी कहा कि "किसी भी आधुनिक देश की तरह ड्राइविंग लाइसेंस की तरह किसी भी व्यक्ति की पहचान बनाई जानी चाहिए। हालांकि इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस तरह की पहचान से किसी की प्राइवेसी को नुकसान न हो।" उन्होंने आगे कहा कि इसके लिए संसद में कानून बनाए जाने की जरूरत है।
Created On :   24 Dec 2017 8:50 AM IST