बदलाव: अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा मानव संसाधन विकास मंत्रालय, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय रखे जाने को मंजूरी दे दी है। सोमवार रात जारी अधिसूचना के मुताबिक, 29 जुलाई को कैबिनेट की मंजूरी के बाद नई शिक्षा नीति के मसौदे के तहत यह नाम बदला गया था। नई शिक्षा नीति अगले साल से प्रभावी हो जाएगी। नई शिक्षा नीति अब पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी होगी, जिससे शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था को खत्म किया जा सके। प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान 1985 में शिक्षा मंत्रालय का नाम एचआरडी मंत्रालय किया गया था। पीवी नरसिंह राव पहले एचआरडी मंत्री बने थे।
इसरो के पूर्व प्रमुख ने नई शिक्षा नीति को दिया अंतिम रूप
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नई शिक्षा नीति को लेकर पिछले पांच सालों से रणनीति बनाई जा रही थी। अब इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अगुवाई वाली एक उच्चस्तरीय कमेटी ने इसे अंतिम रूप दिया है। हालांकि, नई शिक्षा नीति में गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी अनिवार्य किए जाने का उल्लेख नहीं है। नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई अहम बदलाव किए गए हैं। मंत्रालय ने इस मसौदे पर लोगों को अपना सुझाव देने के लिए कहा था। इस मसौदे पर दो लाख से अधिक सुझाव मिले थे। 34 साल बाद देश में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में बड़े बदलाव किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने भी अपने संबोधन में इस नई नीति की तारीफ की थी।
अब देश में शिक्षा के बदल जाएंगे मायने
नई शिक्षा नीति के मुताबिक, अब 3 साल से 18 साल के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर लाया जाएगा। आने वाले समय में शिक्षक और छात्रों का अनुपात 1:30 होगा। नई शिक्षा नीति में कहानी, रंगमंच, सामूहिक पठन पाठन, चित्रों का डिस्प्ले, लेखन कौशलता, भाषा और गणित पर भी जोर होगा। इस नई शिक्षा नीति के तहत देश में शिक्षा के मायने को बदला जाएगा। इससे न सिर्फ युवाओं को शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे, बल्कि रोजगार प्राप्त करने में भी आसानी होगी।
Created On :   17 Aug 2020 10:39 PM GMT