नवाब मलिक को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत नहीं, रिहाई की याचिका खारिज

No relief to Nawab Malik from Bombay High Court, dismissal petition
नवाब मलिक को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत नहीं, रिहाई की याचिका खारिज
महाराष्ट्र नवाब मलिक को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत नहीं, रिहाई की याचिका खारिज
हाईलाइट
  • ईडी द्वारा 23 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कथित धनशोधन मामले में गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत से उन्हें रिहा करने की मांग की गई थी। मामला करीब 20 साल पहले का है।

ईडी द्वारा 23 फरवरी को गिरफ्तार किए गए 62 वर्षीय मलिक ने याचिका में केंद्रीय एजेंसी द्वारा अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को अवैध बताया है और विशेष पीएमएलए कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसने उन्हें ईडी की हिरासत में भेज दिया।

मलिकी की कानूनी टीम रश्मिकांत एंड पार्टनर्स ने तर्क दिया कि ईडी के अवैध कृत्यों ने उनकी लगातार हिरासत को अवैध बना दिया। बिना अधिकार कार्रवाई के कारण उन्हें बंदी प्रत्यक्षीकरण का लाभ लेने और तत्काल रिहाई का अधिकार मिल गया है।

हालांकि, न्यायमूर्ति पी.बी. वराले और न्यायमूर्ति एस.एम. मोदक ने मलिक की याचिका को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि कुछ बहस योग्य मुद्दे उठाए गए हैं, जिन पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है।

सुनवाई के दौरान मलिक के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने तर्क दिया कि मलिक को उस मामले में फंसाया गया, जो बिना किसी विश्वसनीयता वाले व्यक्तियों के बयानों पर आधारित था और मंत्री के खिलाफ कथित वित्तीय लेनदेन का आरोप 1999 से 2003 से 2005 के बीच का है, जब मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट मौजूद नहीं था।

देसाई ने दोहराया कि 22 साल पुराने एक मामले में मलिक को गिरफ्तार करके पीएमएलए लागू किया गया और मामले के मौजूदा हालात को देखते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग की।

याचिका का विरोध करते हुए ईडी के वकील, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने मलिक की याचिका की स्थिरता पर सवाल उठाते हुए कहा कि रिमांड का आदेश सभी भौतिक सबूतों और विशेष पीएमएलए कोर्ट के समक्ष प्रस्तुतियों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद दिया गया था। मनी लॉन्ड्रिंग एक अलग अपराध था, जिस पर पीएमएलए की धारा 45 लागू है। उन्होंने मांग की कि याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए।

ईडी के अनुसार, मलिक ने कुर्ला में गोवावाला कंपाउंड, पावर ऑफ अटॉर्नी धारक सरदार शाहावली खान और एक सलीम पटेल के माध्यम से एक संपत्ति खरीदी थी। खान 12 मार्च, 1993 के सीरियल ब्लास्ट मामले में इस समय जेल में है। सलीम फरार माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर की बहन हसीना पारकर का गुर्गा है।

इस बीच विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने जोरदार मांग की है कि मलिक को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए या उन्हें बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।

(आईएएनएस)

Created On :   15 March 2022 6:00 PM IST

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