केरल में निपाह वायरस की दस्तक, 10 की मौत, 20 सालों से नहीं बनी कोई वैक्सीन
- 1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई में सामने आया था निपाह वायरस ।
- इस बीमारी से बचने के लिए फलों
- खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए।
- पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए
- सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए
- बांग्लादेश में खजूर की खेती करने वालों में भी यह बीमारी फैली थी
- यह बीमारी चमगादड़ से फलों में फिर इंसानों और जानवरों में फैलती है।
- वायरस से प्रभावित शख्स को सांस लेने की दिक्कत और दिमाग मे
डिजिटल डेस्क, केरल। केरल के कोझिकोड में एक अंजान बीमारी ने दस्तक दे दी है। इस बीमारी के जद में 10 लोग आ चुके हैं। बीते 18 दिनों में एक ही परिवार के तीन लोगों सहित कुल नौ मौतों के बाद इलाके में दहशत का माहौल है। इस घटना के बाद राज्य का स्वास्थ्य विभाग भी बिल्कुल अलर्ट हो गया है। बताया जा रहा है कि इस वायरस से पीड़ित शख्स 24 घंटे में कोमा में जा सकता है। निपाह वायरस टेरोपस जीनस नाम के एक खास नस्ल से फैलता है।
निगरानी में रखे गए हैं 25 मरीज
इस वायरस की चपेट में आए छह लोगों की हालत नाजुक है। ऐसे 25 मरीजों को निगरानी में रखा गया है। इन मरीजों को बुखार की शिकायत है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ आपातकालीन बैठक के बाद बताया कि केरल में दुर्लभ वायरस से नौ लोगों की मौत हो गई।
Nine people have died in Calicut district following high fever. Health dept confirmed that out of nine,two persons were affected with Nipah virus. The samples of the other deceased have been sent for tests. A task force has been formed under District Collector U V Jose #Kerala
— ANI (@ANI) May 21, 2018
वहीं पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी (NIV) ने इसके पीछे "निपाह" नाम के एक वायरस को जिम्मेदार बताया है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने भी नौ लोगों की मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि दो मृतक निपाह से पीड़ित पाए हैं. वहीं अन्य मृतकों के सैंपल टेस्ट के लिए भेज दिए गए हैं।
टास्क फोर्स का गठन
जिला कलेक्टर यूवी होज़े के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स गठित की गई है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री केके श्याला ने स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की है। इस बैठक के बाद टास्क फोर्स के गठन का फैसला किया। किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सिंगल विंडो की व्यवस्था की गई है।
केंद्र से मांगी मदद
इससे पहले लोकसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने केरल के कोझिकोड़ जिले में एक वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए केंद्र की मदद मांगी थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को लिखे पत्र में रामचंद्रन ने कहा कि उनके लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वताकरा में कुट्टियाडी और पेरम्ब्रा सहित कुछ पंचायत क्षेत्र "घातक वायरस" की चपेट में हैं। उन्होंने कहा कि कुछ डॉक्टरों ने इसे निपाह नाम का वायरस बताया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने निर्देश पर राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के निदेशक कोझिकोड जाएंगे। एक केंद्रीय टीम भी केरल जाएगी।
Reviewed the situation of deaths related to nipah virus in Kerala with Secreatry Health. I have directed Director NCDC to visit the district and initiate required steps as warranted by the protocol for the disease in consultation with state government.
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) May 20, 2018
मंत्री रामचंद्रन ने पत्र में कहा है, ‘विषाणु की चपेट में आए लोगों की मृत्यु दर 70 प्रतिशत होती है। बीमारी को बढ़ने से रोकने की जरूरत है।’
बता दें कि 1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई में निपाह वायरस का मामला सामने आया था। यह बीमारी चमगादड़ से फलों में फिर इंसानों और जानवरों में फैलती है। जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश में खजूर की खेती करने वालों में भी यह बीमारी फैली थी।
वायरस से हुए इंफेक्शन के लक्षण
वायरस से प्रभावित शख्स को सांस लेने की दिक्कत और दिमाग में जलन महसूस होती है।
निपाह से इंफेक्टेड मरीज़ 24 घंटे में कोमा में जा सकता है।
निपाह के शिकार व्यक्ति को बुखार के साथ सिर दर्द, थकान, भटकाव, मेंटल कंफ्यूजन जैसी चीजें होने लगती हैं।
निपाह से ब्रेन में सूजन आ जाती है, मलेशिया में 50 फीसदी लोग मौत के शिकार बन गए थे।
इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति का कोई पुख्ता इलाज नहीं है, इसकी कोई वैक्सीन नहीं बनी है।
कैसे करें बचाव
इस बीमारी से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए।
पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए, सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए।
Created On :   21 May 2018 10:53 AM IST