मणिपुर में हिंसा के बीच रात का कर्फ्यू लगा
इम्फाल, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। मणिपुर के अशांत चुराचांदपुर जिले में शनिवार को स्थिति तनावपूर्ण बनी रही, जहां उपद्रवियों ने एक सरकारी इमारत में आग लगा दी। जिला प्रशासन ने पर्वतीय जिले में शनिवार से रात का कर्फ्यू लगा दिया, वहीं गुरुवार की रात आंदोलनकारियों ने एक ओपन जिम की कुर्सियों में आग लगा दी और अन्य सामग्री को भी नुकसान पहुंचाया। पुलिस ने कहा कि शुक्रवार रात से आदिवासी बहुल कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में हिंसा की कुछ घटनाएं भी सामने आई हैं।
अफीम की अवैध खेती करने वालों पर राज्य सरकार की कार्रवाई के खिलाफ और विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में आरक्षित और संरक्षित जंगलों में अफीम के खेतों को नष्ट करने के बाद आदिवासियों द्वारा नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू करने के बाद हिंसा की घटनाएं शुरू हो गईं। मणिपुर पुलिस महानिदेशक पी. डौंगेल और वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को चुराचांदपुर जिले का दौरा किया और स्थिति की समीक्षा की। पुलिस ने कहा कि कुछ आंदोलनकारियों ने शुक्रवार आधी रात के आसपास तुईबोंग क्षेत्र में वन रेंज अधिकारी के कार्यालय की इमारत में आग लगा दी और आग बुझाने के लिए दमकल की कई गाड़ियों को लगाया गया।
चुराचांदपुर जिला प्रशासन ने शनिवार को शाम 5 बजे से सुबह 5 बजे तक अनिश्चितकाल के लिए रात का कर्फ्यू लगा दिया। इम्फाल में एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि हिंसा की ताजा घटनाओं को रोकने के लिए भारी सुरक्षा उपाय किए जाने के बावजूद स्थिति अभी भी गंभीर है। वयोवृद्ध कांग्रेस नेता और तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के. मेघचंद्र सिंह ने आदिवासियों और वन भूमि से निपटने में गलत नीति के लिए भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री की आलोचना की।
गुरुवार की हिंसा की घटनाओं के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने चुराचांदपुर जिले का अपना शुक्रवार का दौरा रद्द कर दिया। बीरेन सिंह शुक्रवार को चुराचांदपुर के न्यू लमका टाउन के सद्भावना मंडप में जनसभा को संबोधित करने वाले थे और पीटी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में ओपन जिम का उद्घाटन करने वाले थे। यह कहते हुए कि उनकी सरकार लोगों को नशे के खतरे से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है, मुख्यमंत्री ने शनिवार को दोहराया कि राज्य में अफीम की खेती को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा।
उन्होंने मीडिया से कहा कि राज्य की भाजपा सरकार अफीम की खेती नहीं होने देगी और ऐसे बागानों में शामिल लोगों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। गुरुवार की रात सद्भावना मंडप में तोड़फोड़ हुई और प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिसके कारण स्थानीय आदिवासियों की एक बड़ी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों को आंसूगैस के गोले दागने पड़े। भीड़ ने कस्बे में शांति बनाए रखने के लिए तैनात सुरक्षा बलों पर भी पथराव किया। पुलिस ने दावा किया कि राज्य में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले म्यांमार के नागरिक भी आगजनी की घटना में शामिल थे।
बीरेन सिंह ने इंफाल में कहा कि पुलिस गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। स्वदेशी जनजातीय नेताओं के फोरम (आईटीएलएफ) ने संरक्षित और आरक्षित वनों से राज्य सरकार की बेदखली अभियान के विरोध में चुराचंदपुर जिले में शुक्रवार सुबह 8 बजे से आठ घंटे के बंद का आह्वान किया है। आईटीएलएफ ने एक बयान में कहा कि उन्होंने राज्य सरकार को आरक्षित वनों और संरक्षित वन, आद्र्रभूमि और वन्यजीवों से संबंधित सर्वेक्षण और ग्रामीणों के निष्कासन के बारे में अपनी शिकायतों और आशंकाओं को व्यक्त करते हुए कई ज्ञापन सौंपे थे।
आदिवासियों ने अपनी मांगों के समर्थन में 10 मार्च को राज्य सरकार के खिलाफ तीन जिलों- चुराचंदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल में विरोध रैलियां आयोजित कीं, जिसमें उन घटनाओं में पांच लोग घायल हो गए। अफीम की खेती पर राज्य सरकार की कार्रवाई और वन भूमि के अतिक्रमण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए थे। राज्य सरकार ने इस महीने की शुरुआत में मणिपुर में तीन चर्चो को यह कहते हुए ध्वस्त कर दिया था कि ये चर्च अवैध निर्माण थे। दक्षिणी मणिपुर में पहाड़ी और जंगली चुराचंदपुर जिला, जो म्यांमार और मिजोरम की सीमा से लगा हुआ है, विभिन्न कुकी-चिन उग्रवादी संगठनों का गढ़ है। केंद्र और मणिपुर सरकार ने 22 अगस्त, 2008 को तीन उग्रवादी संगठनों के साथ त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
एसजीके/एएनएम
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Created On :   29 April 2023 9:00 PM IST